Death of Vatsala : विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मौत ?

Death of Vatsala : विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मौत

Death of Vatsala : विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मौत ?
Death of Vatsala : विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मौत ?

पन्ना: एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी मानी जाने वाली वत्सला की मंगलवार को  में मौत हो गई। उसकी उम्र 100 साल से अधिक बताई जा रही थी। वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथिनी माना जाता था। टाइगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों ने वत्सला का अंतिम संस्कार किया। वत्सला हथिनी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र थी और सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती थी।विश्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला की मौत 8 जुलाई 2025 को मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के हिनौता रेंज में दोपहर करीब 1:30 बजे हुई। उनकी उम्र लगभग 100-105 वर्ष बताई जा रही थी। वत्सला 1971 में केरल से मध्य प्रदेश लाई गई थीं और 1993 से पन्ना टाइगर रिजर्व में रह रही थीं। वह पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र थीं और रिजर्व की शान मानी जाती थीं। वत्सला ने कभी बच्चे को जन्म नहीं दिया, लेकिन उनकी दीर्घायु और शांत स्वभाव ने उन्हें खास बनाया।

मंगलवार दोपहर हुई मौत

हथिनी के मौत का जानकारी पन्ना टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कर्मचारियों ने दी। अधिकारियों ने कहा कि ‘अन्य मादा हाथी के प्रसव एवं बच्चा होने के उपरांत वह एक नानी अथवा दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी।’ पन्ना बाघ अभयारण्य की ओर से जारी एक बयान में बताया गया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरईयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी। इसके मुताबिक वनकर्मियों द्वारा उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया लेकिन दोपहर को हथिनी वत्सला की मृत्यु हो गई।

नर्मदापुरम से पन्ना लाई गई थी वत्सला

बयान के अनुसार हथिनी वत्सला केरल से नर्मदापुरम लाई गई थी और बाद में उसे पन्ना बाघ अभयारण्य लाया गया था। वृद्ध होने के कारण वत्सला को आंखों से दिखना बंद हो गया था तथा वह अधिक दूरी तक नहीं चल पाती थी, इसलिये गश्ती कार्य में इसका उपयोग नहीं लिया जाता था। उसे हिनौता हाथी केम्प में रखा गया था और प्रतिदिन खैरईयां नाले तक नहाने के लिये ले जाया जाता था और भोजन में दलिया दिया जाता था।

सीएम ने जताया दुख

वत्सला की मृत्यु पर शोक जताया और कहा, ‘वत्सला का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। उन्होंने कहा कि वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मध्यप्रदेश की संवेदनाओं की प्रतीक थीं। उन्होंने कहा, ‘टाइगर रिजर्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिये रहीं। उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘वह आज हमारे बीच नहीं है, पर उसकी स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी। वत्सला को विनम्र श्रद्धांजलि

वत्सला का होता था हेल्थ परीक्षण

टाइगर रिजर्व के प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथिनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था। बयान में कहा गया है कि इसलिए वत्सला पन्ना बाघ अभयारण्य के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही। इसमें कहा गया कि पन्ना बाघ अभयारण्य में बाघ पुनर्स्थापना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

 

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