World record for speed : जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया, भारत से 1.6 करोड़ गुना तेज ?

World record for speed : जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया; भारत से 1.6 करोड़ गुना तेज

World record for speed : जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया; भारत से 1.6 करोड़ गुना तेज
World record for speed : जापान ने 10.20 लाख Gbps इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया; भारत से 1.6 करोड़ गुना तेज

 

  • नई दिल्ली:-  जापान ने 10.20 लाख गीगाबिट्स प्रति सेकेंड की इंटरनेट स्पीड का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।
    इस स्पीड से आप नेटफ्लिक्स की पूरी लाइब्रेरी या 10,000 4K मूवीज को सिर्फ एक सेकेंड में डाउनलोड कर सकते हैं।
    150 जीबी का गेम 3 मिली सेकेंड में डाउनलोड होगा। ये भारत की औसत इंटरनेट स्पीड 63.55 Mbps से करीब 1.6 करोड़ गुना तेज है। वहीं अमेरिकी इंटरनेट स्पीड से 35 लाख गुना ज्यादा है।
  • 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमालः यह रिकॉर्ड को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की जॉइंट टीम ने बनाया।
    इसके लिए 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया। ये आज की स्टैंडर्ड फाइबर केबल्स जितनी ही पतली (0.125 मिमी) है, लेकिन इसमें 19 अलग-अलग कोर हैं।
  • 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी के जरिए ये स्पीड हासिल की
    इस रिकॉर्ड को जापान के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी (NICT) और सुमितोमो इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज की एक जॉइंट टीम ने हासिल किया। उन्होंने जून में 1.02 पेटाबिट्स प्रति सेकेंड की स्पीड से डेटा भेजकर यह रिकॉर्ड बनाया है। इसमें 19-कोर ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये आज की स्टैंडर्ड फाइबर केबल्स जितनी ही पतली (0.125 मिमी) है, लेकिन इसमें 19 अलग-अलग कोर हैं।

इसे इस तरह समझें:

  • सामान्य फाइबर केबल में एक कोर होता है, जो डेटा को एक सिंगल लेन में भेजता है।
  • 19-कोर फाइबर एक 19-लेन हाईवे की तरह है, जहां हर कोर अलग डेटा भेजता है।
  • इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने खास तरह के एम्प्लिफायर्स का इस्तेमाल किया, जो सिग्नल को 1,808 किलोमीटर की दूरी तक बिना कमजोर हुए पहुंचाने में मदद करते हैं।
  • इसे इस तरह समझे
    जब डेटा लाइट की तरह फाइबर केबल में लंबी दूरी तक जाता है, तो सिग्नल कमजोर पड़ने लगता है, जैसे लंबी सैर के बाद आपकी एनर्जी कम हो जाती है। एम्प्लिफायर्स इस सिग्नल को फिर से ताकतवर बनाते हैं।
  • ये टेक्नोलॉजी आम लोगों तक कब पहुंचेगी
    फिलहाल ये स्पीड लैब में हासिल की गई है और इसे आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने में अभी समय लगेगा। इसके लिए 3 मुख्य चुनौतियां हैं:
  • हाई कॉस्ट: इस तरह के हाई-स्पीड सिस्टम्स को कॉमर्शियल तौर पर लागू करने के लिए बहुत ज्यादा निवेश चाहिए।
  • हार्डवेयर लिमिटेशंस: मौजूदा डिवाइसेज और राउटर्स इतनी स्पीड को हैंडल करने के लिए तैयार नहीं हैं।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर: ये टेक्नोलॉजी मौजूदा फाइबर केबल्स के साथ काम करती है, लेकिन बड़े पैमाने पर इसे लागू करने के लिए अपग्रेड्स जरूरी होंगे।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

 

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