Political stir intensifies : वे अब हमारे नहीं हैं कांग्रेस नेता के बयान से शशि थरूर पर सियासी हलचल तेज़

- कांग्रेस पार्टी में इन दिनों एक बार फिर भीतरघात और असहमति की आंच तेज हो गई है। इस बार विवाद का केंद्र बने हैं वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर। केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वी. मुरलीधरन के हालिया बयान ने राजनीतिक हलकों में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि “थरूर अब हमारे नहीं हैं”, और जब तक वे अपना रुख नहीं बदलते, पार्टी उन्हें तिरुवनंतपुरम में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं करेगी। इस बयान के बाद कांग्रेस के अंदरूनी मतभेद एक बार फिर सतह पर आ गए हैं। आइए इस पूरे घटनाक्रम को तीन अहम बिंदुओं में समझते हैं।
1. मुरलीधरन का तीखा बयान: “थरूर हमारे साथ नहीं हैं”
वी. मुरलीधरन, जो कि केरल कांग्रेस में लंबे समय से एक प्रभावशाली नेता रहे हैं, ने सार्वजनिक रूप से शशि थरूर पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा:“शशि थरूर अब हमारे नहीं हैं। जब तक वे पार्टी लाइन पर नहीं आते, उन्हें किसी कार्यक्रम में बुलाने का सवाल ही नहीं उठता।” इस बयान से साफ हो गया कि केरल कांग्रेस में थरूर की स्थिति अस्थिर हो चुकी है। मुरलीधरन ने यह भी कहा कि थरूर के कार्यक्रमों का बहिष्कार करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे पहले से ही पार्टी की गतिविधियों से अलग हो चुके हैं। इस तरह का बयान न सिर्फ कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान को उजागर करता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पार्टी के भीतर थरूर को लेकर असंतोष चरम पर है।
2. असहमति की पृष्ठभूमि: क्यों थरूर बन रहे हैं निशाना?
शशि थरूर पिछले कुछ समय से पार्टी लाइन से हटकर बयान देते रहे हैं। उन्होंने कई बार कांग्रेस नेतृत्व की रणनीतियों पर सवाल उठाए, और केरल में पार्टी के कामकाज को लेकर अलग राय रखी है। इसके अलावा, वे राज्य के कुछ विवादित मुद्दों पर भी पार्टी से अलग रुख अपना चुके हैं, जिससे उनका पार्टी नेतृत्व से टकराव बढ़ता गया।
थरूर के आलोचकों का मानना है कि वे “अति स्वतंत्र” और कभी-कभी पार्टी विरोधी रुख अपनाते हैं, जिससे संगठन को नुकसान होता है। वहीं, उनके समर्थकों का तर्क है कि वे एक “स्वतंत्र सोच रखने वाले नेता” हैं जो पार्टी को आधुनिक और व्यावहारिक दृष्टिकोण देने की कोशिश कर रहे हैं।
पार्टी के भीतर यह खींचतान कोई नई नहीं है, लेकिन अब यह खुलकर सामने आ गई है, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या थरूर कांग्रेस में लंबे समय तक बने रहेंगे?
3. राजनीतिक भविष्य और पार्टी की रणनीति पर प्रभाव
मुरलीधरन के बयान से यह तय हो गया है कि शशि थरूर फिलहाल केरल कांग्रेस के लिए ‘अंदर के लेकिन बाहर’ जैसे स्थिति में हैं। यह कांग्रेस के लिए दोहरा संकट है – एक ओर उन्हें एक लोकप्रिय, पढ़े-लिखे, वैश्विक दृष्टिकोण वाले नेता की जरूरत है, दूसरी ओर वही नेता पार्टी की एकता को चुनौती दे रहा है।
थरूर ने इस बयान पर अब तक कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि यह खाई और गहरी हुई, तो यह केरल में कांग्रेस की साख को नुकसान पहुंचा सकती है।
साथ ही, पार्टी के अंदर से ऐसे स्वर उभरना यह भी दर्शाता है कि कांग्रेस में आंतरिक संवाद और असहमति को संभालने की क्षमता कमजोर हो रही है, जो किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के लिए चिंता का विषय हो सकता है।
निष्कर्ष
शशि थरूर और कांग्रेस के बीच का यह टकराव सिर्फ एक व्यक्ति विशेष से जुड़ा विवाद नहीं है, बल्कि यह उस बड़ी बहस का हिस्सा है जो आज की राजनीति में विचार, अनुशासन और नेतृत्व के बीच संतुलन को लेकर चल रही है। मुरलीधरन के बयान ने आग में घी का काम किया है और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि क्या कांग्रेस थरूर को मनाने का प्रयास करेगी या यह दूरी किसी और बड़ी राजनीतिक हलचल का कारण बनेगी।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)