Rural Traffic : हिंडन नदी उफान पर, पुल अधूरा – कांवड़ यात्रा और ग्रामीण यातायात पूरी तरह बाधित ?

Rural Traffic : हिंडन नदी उफान पर, पुल अधूरा – कांवड़ यात्रा और ग्रामीण यातायात पूरी तरह बाधित

Rural Traffic : हिंडन नदी उफान पर, पुल अधूरा – कांवड़ यात्रा और ग्रामीण यातायात पूरी तरह बाधित ?
Rural Traffic : हिंडन नदी उफान पर, पुल अधूरा – कांवड़ यात्रा और ग्रामीण यातायात पूरी तरह बाधित ?

सेतु निगम की लापरवाही से ग्रामीणों में गुस्सा, कांवड़ यात्रा पर संकट

  • जनपद सहारनपुर के विकासखंड मुजफ्फराबाद स्थित ग्राम नवरंगपुर में लगातार हो रही मूसलधार बारिश के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं। इस क्षेत्र में स्थित हिंडन नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है, जिससे सुंदरपुर से मां शाकंभरी देवी मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। इस मार्ग से हर साल श्रावण मास में हजारों की संख्या में कांवड़िये गंगाजल लेने हरिद्वार जाते हैं, परंतु इस बार यह पवित्र यात्रा नदी के तेज बहाव और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
  • हिंडन नदी पर निर्माणाधीन पुल का कार्य सेतु निगम द्वारा पिछले कई महीनों से अधूरा छोड़ा गया है। इस कारण वहां अस्थायी और संकरा रास्ता ही रह गया था, जो अब बारिश और नदी के उफान के कारण पूरी तरह बह गया या असुरक्षित हो गया है। इससे दोनों ओर कांवड़िये, यात्री, श्रद्धालु और स्थानीय ग्रामीण फंस गए हैं। मार्ग पर न तो आवाजाही संभव है और न ही कोई वैकल्पिक उपाय नजर आ रहा है।

जलस्तर बढ़ा, कांवड़ यात्रा और ग्रामीण यातायात दोनों प्रभावित

  • हिंडन नदी के उफान ने पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मचा दी है। नदी का बहाव इतना तेज है कि छोटे वाहन तो क्या, पैदल यात्री भी पार नहीं कर पा रहे हैं। कई श्रद्धालु अपने बच्चों और सामान के साथ मार्ग पर ही फंसे हैं, जहां न कोई शेड है, न पीने का पानी, और न ही कोई सहायता दल मौजूद है।
  • ग्राम नवरंगपुर और आस-पास के गांवों के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस स्थिति की पहले से जानकारी थी। श्रावण मास और कांवड़ यात्रा हर साल होती है, फिर भी सेतु निगम द्वारा न तो पुल निर्माण कार्य तेज किया गया और न ही अस्थायी वैकल्पिक मार्ग की योजना बनाई गई।
  • ग्रामीणों का कहना है कि अगर सेतु निगम चाहती तो जेसीबी और मिट्टी डालकर एक वैकल्पिक पुल या पक्का रास्ता तैयार किया जा सकता था, जिससे आवागमन जारी रहता और कोई बड़ा हादसा भी नहीं होता। लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि लोगों को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।

श्रद्धालुओं की आस्था पर असर, प्रशासन की चुप्पी से बढ़ी नाराजगी

  • श्रद्धालु यह कहते सुने जा रहे हैं कि प्रशासन को श्रावण मास में इस मार्ग की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को समझना चाहिए। यह मार्ग न केवल देवभूमि हरिद्वार से जुड़ता है, बल्कि यहां से निकलने वाले हजारों कांवड़िए अपनी कांवड़ यात्रा के माध्यम से भक्ति और एकता का संदेश देते हैं। लेकिन जब रास्ते ही अवरुद्ध हो जाएं और प्रशासन मौन धारण कर ले, तो सवाल उठना लाज़मी है।
  • कई श्रद्धालुओं ने प्रशासन से अपील की है कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए इस मार्ग को तुरंत खोलने की व्यवस्था की जाए। कांवड़ियों के अनुसार, केवल कांवड़ यात्रा ही नहीं, बल्कि स्थानीय जनजीवन भी इस मार्ग पर आश्रित है। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे, मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे और लोगों की दिनचर्या पूरी तरह से बाधित हो गई है।
  • सेतु निगम और जिला प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर सोशल मीडिया पर भी नाराजगी जताई जा रही है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई वैकल्पिक मार्ग नहीं बनाया गया, तो वे आंदोलन करने को विवश होंगे।

ग्रामीणों की मांग: जब तक पुल न बने, तब तक अस्थायी वैकल्पिक व्यवस्था हो

  • ग्रामीणों और कांवड़ियों की तरफ से एक स्पष्ट मांग उठाई गई है — जब तक सेतु निगम द्वारा हिंडन नदी पर पुल का निर्माण पूरा नहीं होता, तब तक मार्ग पर अस्थायी पुल, रपटा या मिट्टी-गिट्टी डालकर वैकल्पिक रास्ता बनाया जाए। उनका कहना है कि अगर प्रशासन और निर्माण एजेंसी चाहे, तो यह कार्य 24 से 48 घंटे में पूरा हो सकता है।
  • उन्होंने यह भी कहा कि इस मार्ग का महत्व केवल कांवड़ यात्रा तक सीमित नहीं है। यह मार्ग नवरंगपुर, सुंदरपुर, भोपा, ललितपुर, झंझेड़ी और अन्य गांवों का मुख्य संपर्क मार्ग है। ऐसे में इस सड़क पर यातायात का ठप होना केवल धार्मिक असुविधा नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और आपात सेवाओं के लिए भी बड़ा खतरा है।
  • स्थानीय प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए सेतु निगम पर दबाव बनाना चाहिए, ताकि स्थिति सुधारी जा सके। ग्रामीणों और श्रद्धालुओं का भरोसा तभी कायम रहेगा जब जमीन पर कुछ होता हुआ दिखेगा। फिलहाल, लोग संकट में हैं, और समाधान के लिए आशा लगाए बैठे हैं।

निष्कर्ष:

  • सहारनपुर के नवरंगपुर क्षेत्र में हिंडन नदी पर अधूरे पुल निर्माण और प्रशासनिक उदासीनता ने न केवल कांवड़ यात्रा को संकट में डाला है, बल्कि हजारों ग्रामीणों की दिनचर्या को भी ठप कर दिया है। यह समय है कि जिला प्रशासन और सेतु निगम संवेदनशीलता, तत्परता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करें, ताकि श्रद्धालुओं और ग्रामीणों को राहत मिल सके।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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