Medical Colleges : हापुड़, मेडिकल कॉलेजों की कैंटीन पर खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी, संदिग्ध खाद्य पदार्थों के लिए गए नमूने

Medical Colleges : हापुड़, मेडिकल कॉलेजों की कैंटीन पर खाद्य सुरक्षा विभाग की छापेमारी, संदिग्ध खाद्य पदार्थों के लिए गए नमूने ?
जिलाधिकारी के निर्देश
- जनपद हापुड़:- में जिलाधिकारी के निर्देश पर खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने दो प्रमुख मेडिकल कॉलेजों की कैंटीन पर छापेमारी की कार्रवाई की। यह छापेमारी सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस और रामा मेडिकल कॉलेज की कैंटीनों में की गई। कार्रवाई का उद्देश्य कैंटीनों में उपलब्ध खाद्य सामग्री की गुणवत्ता की जांच करना और यह सुनिश्चित करना था कि छात्रों एवं स्टाफ को स्वच्छ और सुरक्षित भोजन मिल रहा है या नहीं।
छापेमारी की प्रमुख जानकारी
- इस छापेमारी अभियान का नेतृत्व मुख्य सुरक्षा अधिकारी द्वारा किया गया, जबकि मौके पर जिले के सभी प्रमुख खाद्य सुरक्षा अधिकारी उपस्थित थे। यह अभियान स्वास्थ्य सुरक्षा के मद्देनज़र एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, जो कि विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में छात्रों की स्वास्थ्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किया गया।
- खाद्य सुरक्षा अधिकारियों ने दोनों कॉलेजों की कैंटीनों में रखे खाद्य पदार्थों की गहनता से जांच की और संदेहास्पद या गुणवत्ताहीन प्रतीत हो रहे खाद्य सामग्रियों के नमूने लिए गए।
सरस्वती इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की कैंटीन से लिए गए नमूने
- छापेमारी के दौरान सरस्वती मेडिकल कॉलेज की कैंटीन से निम्नलिखित खाद्य पदार्थों के नमूने लिए गए:
- अरहर दाल: जिसे छात्रों को नियमित रूप से परोसा जाता है। दाल की गुणवत्ता, रंग और गंध को लेकर संदेह जताया गया।
- हल्दी पाउडर: मसालों में मिलावट की संभावना को देखते हुए हल्दी का सैंपल लिया गया, क्योंकि यह खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से एक संवेदनशील घटक है।
- शाही पनीर: जो कि एक तैयार व्यंजन है और छात्रों को प्रतिदिन भोजन में परोसा जाता है, उसमें उपयोग की गई सामग्री की गुणवत्ता और ताजगी की जांच हेतु नमूना लिया गया।
रामा मेडिकल कॉलेज की कैंटीन से लिए गए नमूने
- वहीं रामा मेडिकल कॉलेज की कैंटीन से भी दो प्रमुख खाद्य सामग्रियों के नमूने एकत्र किए गए:
- सरसों का तेल: जो कि अधिकांश व्यंजनों में प्रयोग होता है। तेल की गुणवत्ता जांचने के लिए इसका सैंपल लिया गया, क्योंकि तेल में मिलावट की संभावना सबसे अधिक होती है और यह सीधे तौर पर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
- सोया चाप: यह एक लोकप्रिय व्यंजन है जो कि छात्रों को भोजन में नियमित रूप से दिया जाता है। इस उत्पाद की संरचना, ताजगी और सुरक्षित उपयोग के लिए जांच आवश्यक मानी गई।
जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया
- सभी लिए गए नमूनों को सीलबंद कर, निर्धारित मानकों के अनुसार फूड टेस्टिंग लैब भेज दिया गया है। इस कार्यवाही की जानकारी देते हुए सहायक आयुक्त (खाद्य) श्री सुनील कुमार ने बताया कि लिए गए सभी नमूनों की लैब में वैज्ञानिक जांच की जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट होगा कि इन खाद्य पदार्थों में मिलावट है या नहीं, और वे खाद्य सुरक्षा मानकों पर खरे उतरते हैं या नहीं।
- श्री सुनील कुमार ने आगे कहा कि यदि किसी भी नमूने में मानकों से कम गुणवत्ता या मिलावट पाई जाती है, तो संबंधित मेडिकल कॉलेज की कैंटीन के विरुद्ध खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें जुर्माना, लाइसेंस रद्द करना या अस्थायी रूप से कैंटीन बंद करने जैसे कठोर कदम भी शामिल हो सकते हैं।
छात्रों और अभिभावकों में संतोष
- जैसे ही छापेमारी की खबर सामने आई, छात्रों और उनके अभिभावकों में इस कार्रवाई को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने को मिली। छात्रों का कहना है कि यह एक स्वागत योग्य कदम है, क्योंकि कैंटीनों की सफाई और भोजन की गुणवत्ता को लेकर पहले भी शिकायतें आती रही हैं, लेकिन इस स्तर की सघन जांच पहली बार हुई है। छात्रों का कहना है कि कई बार भोजन का स्वाद अजीब होता है या उसमें ताजगी नहीं होती, जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अब इस तरह की कार्रवाई से कैंटीन संचालक सतर्क होंगे और गुणवत्ता में सुधार होगा।
जिलाधिकारी का सख्त निर्देश
- जिलाधिकारी ने पहले ही स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा को लेकर अधिकारियों को सख्त निर्देश दे रखे हैं। उनका कहना है कि छात्रों और आम जनता को मिल रहा भोजन पूरी तरह से सुरक्षित और मानकों के अनुरूप होना चाहिए। विशेष रूप से हॉस्टल्स और शैक्षणिक संस्थानों की कैंटीनों में लापरवाही को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि आगे भी इस तरह की औचक जांचें की जाती रहेंगी ताकि खाद्य सुरक्षा को लेकर संस्थानों में जवाबदेही बनी रहे।
निष्कर्ष
- जिलाधिकारी के निर्देश पर की गई इस छापेमारी से यह स्पष्ट है कि जिला प्रशासन खाद्य सुरक्षा के प्रति पूरी तरह गंभीर है। मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान, जहां हजारों छात्र पढ़ाई और निवास करते हैं, वहां स्वच्छता और भोजन की गुणवत्ता सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यह कार्रवाई न केवल संस्थानों के लिए चेतावनी है, बल्कि एक सकारात्मक संदेश भी है कि शासन-प्रशासन छात्रों के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील और सतर्क है।
- अब सबकी निगाहें लैब रिपोर्ट पर टिकी हैं, जिससे यह तय होगा कि कैंटीनों द्वारा परोसे जा रहे खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं या नहीं। रिपोर्ट आने के बाद यदि कोई खामी पाई जाती है, तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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