Radar Antenna : नासा-इसरो NISAR मिशन ने विशाल रडार एंटीना सफलतापूर्वक खोला, धरती निगरानी हेतु ?

Radar Antenna : नासा-इसरो NISAR मिशन ने विशाल रडार एंटीना सफलतापूर्वक खोला, धरती निगरानी हेतु

Radar Antenna : नासा-इसरो NISAR मिशन ने विशाल रडार एंटीना सफलतापूर्वक खोला, धरती निगरानी हेतु ?
Radar Antenna : नासा-इसरो NISAR मिशन ने विशाल रडार एंटीना सफलतापूर्वक खोला, धरती निगरानी हेतु ?
नासा-इसरो के संयुक्त मिशन NISAR ने अंतरिक्ष में रचा कीर्तिमान
  • नासा और इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के संयुक्त सहयोग से संचालित धरती-निगरानी उपग्रह मिशन NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इस मिशन का 12 मीटर व्यास वाला ड्रमनुमा रडार एंटीना रिफ्लेक्टर, जिसे धरती की सतह पर होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए डिजाइन किया गया है, अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक पूरी तरह से खुल गया है। इस प्रक्रिया की पुष्टि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (@NASAJPL) द्वारा की गई है। इस एंटीना का सफल विस्तार न केवल मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह भविष्य में होने वाले पर्यावरणीय और भौगोलिक परिवर्तनों की सटीक निगरानी करने में मदद करेगा।
जटिल तकनीकी प्रक्रिया से खुला एंटीना: एक इंजीनियरिंग चमत्कार
  • NISAR का सबसे महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण भाग उसका विशाल रडार एंटीना रिफ्लेक्टर है, जो लॉन्च के समय पूरी तरह से मुड़ा हुआ था ताकि यह रॉकेट में समा सके। इस एंटीना को अंतरिक्ष में जाकर फैलाने की प्रक्रिया को विशेष तकनीकी रणनीति के तहत अंजाम दिया गया।
  • 9 अगस्त से लेकर 13 अगस्त 2025 तक यह एंटीना धीरे-धीरे 9 मीटर लंबे बूम पर लगाया गया। यह चरण काफी संवेदनशील था क्योंकि किसी भी गड़बड़ी से मिशन को बड़ा नुकसान हो सकता था। फिर 15 अगस्त को छोटे विस्फोटक बोल्ट (pyrotechnic bolts) फायर किए गए, जिससे एंटीना के “ब्लूम” होने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस प्रक्रिया की तुलना छाता खोलने से की जा सकती है, जिसमें एंटीना में लगे तनाव को धीरे-धीरे हटाया गया और फिर मोटर और केबल प्रणाली की सहायता से इसे अंतिम स्थिति में लॉक किया गया।
  • यह प्रक्रिया अत्यंत सटीकता और संतुलन की मांग करती थी, जिसे वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम ने शानदार तकनीकी समन्वय से अंजाम दिया। यह एंटीना अब मिशन के लिए पूरी तरह सक्रिय है और धरती की सतह से संबंधित अत्यंत सूक्ष्म बदलावों को रिकॉर्ड करने के लिए तैयार है।
धरती की बदलती सतह पर होगी बारीकी से निगरानी
  • NISAR मिशन का मुख्य उद्देश्य धरती की सतह पर हो रहे भौगोलिक, पारिस्थितिकीय और जलवायु परिवर्तनों की लगातार और उच्च-रिज़ोल्यूशन में निगरानी करना है। यह उपग्रह दिन-रात, किसी भी मौसम में कार्य करने की क्षमता रखता है, क्योंकि इसका रडार सिस्टम L-बैंड और S-बैंड सिग्नल का उपयोग करता है, जो बादलों और अंधेरे में भी ज़मीन की स्थिति को माप सकता है।
मिशन की कुछ प्रमुख निगरानी गतिविधियाँ इस प्रकार हैं:
  • हिमनदों और बर्फ की चादरों की गति और पिघलने की प्रक्रिया पर नजर रखना, जिससे समुद्र स्तर में हो रहे बदलावों का आकलन किया जा सके।
  • भूकंपीय फॉल्ट लाइनों और ज्वालामुखी क्षेत्रों में होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को मापना, जो बड़े भूकंप या विस्फोट की पूर्व चेतावनी प्रदान कर सकते हैं।
  • वन क्षेत्रों, दलदलों और पारिस्थितिक तंत्रों में हो रहे धीमे बदलावों को पहचानना, जिससे जैव विविधता और पर्यावरणीय संतुलन पर प्रभाव का विश्लेषण किया जा सके।
  • शहरीकरण, भूमि उपयोग, जल संसाधनों और कृषि क्षेत्रों में हो रहे बदलावों की नियमित निगरानी करना, जिससे नीति निर्धारण में सहायता मिले।

NISAR को इन सभी गतिविधियों के लिए वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता और नीति-निर्माताओं के लिए एक मूल्यवान उपकरण माना जा रहा है, जो धरती के पर्यावरण को समझने और सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगा।

आपदाओं से पहले चेतावनी और कृषि-जल प्रबंधन में मदद
  1. NISAR मिशन की विशेषता यह है कि यह न केवल परिवर्तन को रिकॉर्ड करता है, बल्कि इससे जुड़े जोखिम और संभावित आपदाओं की पूर्व चेतावनी भी प्रदान कर सकता है। उदाहरण के लिए, जब किसी क्षेत्र में भूस्खलन की संभावना हो या बर्फबारी से हिमस्खलन का खतरा हो, तो NISAR की रडार छवियों के माध्यम से उसके शुरुआती संकेतों को पहचाना जा सकता है।
  • इसी तरह, बाढ़, सूखा, या ज्वालामुखी विस्फोट जैसे प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में NISAR की जानकारी से स्थानीय प्रशासन, आपदा प्रबंधन एजेंसियाँ और वैज्ञानिक समुदाय सतर्क रह सकते हैं और समय रहते जनसंख्या को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, कृषि क्षेत्र में भी NISAR एक क्रांतिकारी भूमिका निभाएगा। यह उपग्रह फसल चक्र, सिंचाई की स्थिति और मिट्टी की नमी जैसी जानकारियाँ प्रदान करेगा, जिससे किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने में मदद मिलेगी। जल संसाधनों की निगरानी से जल संकट वाले क्षेत्रों की पहचान कर जल वितरण योजनाएं भी बेहतर बनाई जा सकेंगी।
नया युग: भारत और अमेरिका की तकनीकी साझेदारी की मिसाल
  • NISAR मिशन, भारत और अमेरिका के बीच अंतरिक्ष विज्ञान में गहराते सहयोग का प्रतीक है। यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग की मिसाल भी प्रस्तुत करता है। इस मिशन की लागत लगभग 1.5 अरब डॉलर आंकी गई है, जिसमें NASA ने रडार सिस्टम और रिफ्लेक्टर सहित मुख्य उपकरणों का निर्माण किया है, जबकि ISRO ने लॉन्च व्हीकल (GSLV Mk II) और मिशन संचालन की ज़िम्मेदारी ली है।

इस संयुक्त मिशन की सफलता भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक भरोसेमंद तकनीकी भागीदार के रूप में प्रस्तुत करती है और भविष्य में होने वाले अन्य अंतरिक्ष सहयोगों का मार्ग प्रशस्त करती है। इसके माध्यम से भारत न केवल वैश्विक पर्यावरणीय सुरक्षा में योगदान देगा, बल्कि देश के भीतर आपदा प्रबंधन, कृषि नीति और जल संसाधन नीति को और अधिक वैज्ञानिक एवं टिकाऊ बनाएगा।


  • निष्कर्ष:
    NISAR मिशन निस्संदेह धरती की सतह पर हो रहे परिवर्तनों की अभूतपूर्व निगरानी का युग लेकर आया है। इसका एंटीना सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में खुलना न केवल तकनीकी दृष्टि से एक अद्भुत उपलब्धि है, बल्कि इससे यह मिशन अब पूरी तरह से क्रियाशील हो गया है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, पारिस्थितिक असंतुलन और कृषि संकट जैसे मुद्दों से जूझ रहे विश्व के लिए यह मिशन एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक साधन साबित होगा। भारत और अमेरिका की यह साझेदारी आने वाले वर्षों में पृथ्वी की सुरक्षा और सतत विकास में एक निर्णायक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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