CP Radhakrishnan : उपराष्ट्रपति पद पर सीपी राधाकृष्णन, भाजपा की बदली रणनीति के पीछे क्या कारण

उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर आज बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक हुई थी, जिसके बाद सीपी राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी के तौर पर तय हुआ है।
Vice President Election 2025:
- उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 21 अगस्त तक नामांकन होना है और उससे पहले आज संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बीजेपी ने एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर दिया। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया है कि एनडीए की तरफ से सीपी राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे।
- बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय करने के लिए ही बुलाई गई थी। इसके बाद सीपी राधाकृष्णन का नाम तय किया गया है। खास बात यह है कि वे किशोरावस्था से ही आरएसएस से जुड़ गए थे।
एनडीए के सभी नेता साथियों ने किया था समर्थन
- जेपी नड्डा ने कहा है कि उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में विपक्ष से भी बातचीत की जाएगी, ताकि सर्वसम्मति से उम्मीदवार का चयन हो सके। जेपी नड्डा ने कहा कि जैसा कि हमने पहले भी कहा था, हम उनसे लगातार संपर्क में रहे हैं। हमारे वरिष्ठ नेता पहले भी उनसे मिले थे और आगे भी संपर्क में रहेंगे। उन्होंने बताया कि बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद के लिए सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है और सभी सहयोगी दलों ने इस फैसले को समर्थन किया है।
RSS से हुई थी राजनीतिक जीवन की शुरुआत
- बता दें कि सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुप्पुर में 20 अक्टूबर 1957 को जन्मे थे। उनका पूरा नाम चन्द्रपुरम पोनुस्वामी राधाकृष्णन है। सीपी राधाकृष्णन बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत RSS और जनसंघ से की। वे 1998 और 1999 में कोयम्बटूर से लोकसभा सांसद चुने गए। 2003 से 2006 तक तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष रहे।
- सीपी राधाकृष्णन के बारे में बताते चलें कि वे फरवरी 2023 से जुलाई 2024 तक झारखंड के राज्यपाल रहे थे। इसके अलावा मार्च से जुलाई 2024 तक उन्होंने तेलंगाना के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार और मार्च से अगस्त 2024 तक पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार भी संभाला था। फिलहाल वे 31 जुलाई 2024 से महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
धनखड़ के मुकाबले बिल्कुल अलग है सीपी राधाकृष्णन की राजनीतिक शैली
- साल 2022 में जगदीप धनखड़ को जब एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया था, तो उस वक्त जाटों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। ऐसे में हो सकता है कि सरकार ने जाटों को सकारात्मक संदेश देने के उद्देश्य से जगदीप धनखड़ का चुनाव किया। जगदीप धनखड़ भाजपा के लिए बाहरी थे क्योंकि उनका संघ से जुड़ाव नहीं था और वे लंबे समय तक कांग्रेस पार्टी में भी रहे।
- वहीं सीपी राधाकृष्णन का ताल्लुक तमिलनाडु से है और वे ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। यह भाजपा की ओबीसी सोशल इंजीनियरिंग को भी मदद करता है। कर्नाटक को छोड़कर भाजपा अभी तक दक्षिण भारत के राज्यों में अपने पैर नहीं जमा पाई है। तमिलनाडु में करीब डेढ़ साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। सीपी राधाकृष्णन के नाम का विरोध भी कई विपक्षी पार्टियां नहीं कर पाएंगी। सीपी राधाकृष्णन किशोरावस्था से ही संघ से जुड़े रहे हैं और भाजपा और संघ की विचारधारा के मजबूत समर्थक हैं।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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