Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल ?

Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल

Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल ?
Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल ?

जौनपुर जिले से एक बार फिर दबंगई और पुलिस की लापरवाही की घटना सामने आई है। जिले के दो अलग-अलग थाना क्षेत्रों में मारपीट की वारदातें सामने आई हैं, जिनमें से एक खेतासराय थाना क्षेत्र के लेदरही गांव की है और दूसरी चन्दवक थाना क्षेत्र के घुड़दौड़ गांव की। इन घटनाओं में पीड़ित पक्ष ने गंभीर आरोप लगाए हैं, खासतौर पर पुलिस की निष्क्रियता और दबंगों के खिलाफ कार्रवाई न करने को लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है।

पहली घटना खेतासराय थाना क्षेत्र के लेदरही गांव की है, जहां बच्चों के मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। इस विवाद में गांव के चार लोगों पर मारपीट का आरोप लगा है। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन ग्रामीणों का आरोप है कि मामले को शुरू में दबाने की कोशिश की गई थी और उचित कार्रवाई में देरी की गई।

दूसरी और अधिक चिंताजनक घटना चन्दवक थाना क्षेत्र के घुड़दौड़ गांव की है, जहां दबंग पड़ोसियों द्वारा महिलाओं से मारपीट की गई। यह घटना 28 अगस्त की बताई जा रही है। पीड़िता परमशिला ने बताया कि पड़ोसियों ने न केवल उनके साथ, बल्कि उनकी बेटियों ममता और सुनीता के साथ भी मारपीट की। मारपीट के दौरान महिलाओं को अपशब्द कहे गए और गंभीर रूप से शारीरिक एवं मानसिक प्रताड़ना दी गई।

सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि इस पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे यह मामला सामने आया। वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि किस तरह से दबंगों ने महिलाओं को बेरहमी से पीटा। बावजूद इसके, पुलिस ने तुरंत कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़िता परमशिला का आरोप है कि वह बीते 11 दिनों से लगातार थाना जा रही थीं और थाना प्रभारी निरीक्षक छत्र प्रकाश सिंह के साथ-साथ हल्का दरोगा राजेश्वर पांडे से कई बार शिकायत की, लेकिन पुलिस टालमटोल करती रही और कार्रवाई से बचती रही।

ग्रामीणों ने भी पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि घटना के वीडियो और चश्मदीद गवाहों के बावजूद पुलिस ने आरोपियों को संरक्षण देने की कोशिश की। यह रवैया न केवल न्याय की धज्जियां उड़ाता है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब तक वीडियो वायरल नहीं हुआ, तब तक पुलिस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

पीड़िता ने मजबूर होकर उच्च अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। इसके बाद जब सोशल मीडिया पर वीडियो तेजी से फैल गया और स्थानीय मीडिया ने भी इसे उठाया, तब जाकर पुलिस हरकत में आई। चंदवक थानाध्यक्ष सत्य प्रकाश सिंह ने बताया कि अब मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और आवश्यक जांच की जा रही है।

Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल ?
Questions raised on police : जौनपुर बच्चों के विवाद से शुरू हुआ मामला महिलाओं से मारपीट तक पहुंचा, पुलिस पर उठे सवाल ?

यह घटना प्रदेश में महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े करती है। एक ओर सरकार महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। पीड़िता को 11 दिनों तक थाने के चक्कर लगाने पड़े, यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यदि वीडियो वायरल नहीं होता, तो शायद आज भी इस मामले को नजरअंदाज किया जा रहा होता।

घटना के बाद गांव में तनाव का माहौल है। लोग भयभीत हैं और दबंगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, पुलिस अब दावा कर रही है कि मामले की जांच तेज़ी से की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ मुकदमा दर्ज कर देना पर्याप्त है? क्या आरोपियों की गिरफ्तारी होगी या यह मामला भी अन्य मामलों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

घटना ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में पुलिस प्रशासन पर से लोगों का भरोसा लगातार घट रहा है। यदि शिकायत के बाद तुरंत कार्रवाई की जाती, तो शायद यह मामला इतना नहीं बढ़ता। अब लोगों को उम्मीद है कि उच्च अधिकारी स्वयं संज्ञान लेकर मामले में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करें और दोषियों को सजा दिलवाएं।

इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सोशल मीडिया आज के समय में एक सशक्त माध्यम बन चुका है, जिसके दबाव में प्रशासन को भी कार्रवाई करनी पड़ती है। यह घटना केवल एक गांव की नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं की कहानी है, जो आज भी न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही हैं।

अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले में कितनी तत्परता दिखाती है और क्या दोषियों को सजा दिलाई जा सकेगी, या यह मामला भी राजनीतिक और सामाजिक दबाव के चलते कहीं खो न जाए। ग्रामीणों और पीड़िता की उम्मीदें अब न्याय प्रणाली और प्रशासन पर टिकी हैं।

News Editor- (Jyoti Parjapati)

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