Jungle Raj in the state : मोहन यादव को अमित शाह से मिली फटकार बच्चों की मौत, अथाह भ्रष्टाचार और पूरे प्रदेश में जंगलराज से कुर्सी आई खतरे में

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने आज फिर अमित शाह से दिल्ली आकर मुलाकात की है। बताया जा रहा है कि अमित शाह और मोहन यादव की मुलाकात अच्छे माहौल में नहीं हुई है। मुलाकात के बाद मोहन यादव डरे और घबराए हुए नजर आये हैं।
विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि मोहन यादव की कुर्सी अब खतरे में है। खबर है कि अमित शाह उनसे बहुत नाराज़ हैं, और बिल्कुल भी मोहलत देने को तैयार नहीं हैं। आपको बता दें कि तीन महीने पहले शाह ने उन्हें साफ कहा था कि सरकार की छवि सुधारो, भ्रष्टाचार पर रोक लगाओ और जनता का भरोसा जीतो। लेकिन तीन महीने बाद हालात और बिगड़ गए। मोहन यादव ने सुधरने के बजाय इन महीनों को “आखिरी मौका” मानकर भ्रष्टाचार और अफसरशाही की नई हदें पार कर दीं।
बच्चों की मौत पर सरकार की बेरुखी
ज़हरीली कफ़ सिरप से 19 बच्चों की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला दिया। जांच और कार्रवाई में भारी देरी हुई। जब बच्चों की जान जा रही थी, तब सरकार बयान देने और जिम्मेदारी टालने में लगी रही। किसी मंत्री ने इस्तीफ़ा नहीं दिया, न मुख्यमंत्री ने कोई सख्त कदम उठाया।
इस मामले ने दिल्ली के नेताओं को सबसे ज़्यादा नाराज़ किया है। अमित शाह को मिली रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने पूरे मामले को दबाने की कोशिश की।
तबादला, भर्ती और रिश्वत का खेल
प्रदेश में तबादला और भर्ती घोटालों का बोलबाला है। हर पद पर पैसों का खेल चल रहा है। कहा जा रहा है कि बिना रिश्वत कोई काम नहीं होता।
अमित शाह ने साफ कहा था कि भ्रष्टाचार खत्म करो, लेकिन हुआ उल्टा — शिकायतें और बढ़ गईं। इससे बीजेपी की साख बुरी तरह गिर रही है।

अपराध और माफिया का बढ़ता असर
प्रदेश में अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। महिलाओं पर हमले, लूट और नशे का कारोबार बढ़ गया है। कई जगह माफिया नेताओं के संरक्षण में सक्रिय हैं।
पुलिस राजनीतिक दबाव में काम कर रही है। कानून व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ चुकी है, और यही बात अब पार्टी के लिए चिंता का विषय बन गई है।
जनता से दूरी, अफसरों पर भरोसा
मोहन यादव पर आरोप है कि वे जनता से कट गए हैं। वे ज्यादातर फैसले कुछ अफसरों और सलाहकारों से पूछकर लेते हैं।
बीजेपी के कई विधायक शिकायत कर चुके हैं कि मुख्यमंत्री उनसे बातचीत नहीं करते। संगठन के अंदर भी यह बात फैल चुकी है कि मोहन यादव अब न जनता के बीच लोकप्रिय हैं, न पार्टी में भरोसेमंद।
अमित शाह का अल्टीमेटम और “विदाई की तैयारी
दिल्ली से खबर है कि अमित शाह ने मोहन यादव को तीन महीने का वक्त दिया था कि वे कामकाज में सुधार लाएँ। लेकिन नतीजा उल्टा निकला…हालात और बिगड़ गए।
अब पार्टी नेतृत्व नए चेहरे की तलाश में है, जो साफ छवि वाला हो और जनता में भरोसा जगा सके। कहा जा रहा है कि नवंबर या दिसंबर तक मोहन यादव की विदाई तय मानी जा रही है।
जनता में गुस्सा, बीजेपी में बेचैनी
जनता में नाराज़गी साफ दिख रही है। लोग कह रहे हैं कि सरकार सिर्फ बयान देती है, काम कुछ नहीं करती। बच्चों की मौत, बढ़ते भ्रष्टाचार और अपराध ने यह धारणा मजबूत कर दी है कि सरकार अब जनता की नहीं, अफसरों और दलालों की सुनती है। बीजेपी के अंदर भी डर है कि अगर जल्दी बदलाव नहीं हुआ तो अगले चुनाव में बड़ा नुकसान हो सकता है।
मोहन यादव को सुधार का मौका मिला था, लेकिन उन्होंने उसे कमाई का आखिरी वक्त समझ लिया। अब उनकी कुर्सी पर संकट साफ नजर आ रहा है। दिल्ली से लेकर भोपाल तक सब जानते हैं कि मोहन यादव की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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