Dr. Rupesh Kumar : शुकतीर्थ धाम में पहुँचे सहारनपुर मंडल के नवागंतुक आयुक्त डॉ. रूपेश कुमार – श्रद्धा, संस्कृति और संकल्प का अद्भुत संगम

हस्तिनापुर। गंगा तट पर अवस्थित दिव्य एवं पवित्र शुकतीर्थ धाम में रविवार को सहारनपुर मंडल के नवागंतुक आयुक्त डॉ. रूपेश कुमार का आगमन एक ऐतिहासिक और भावनात्मक क्षण बन गया। यह वही तीर्थभूमि है, जहाँ महर्षि वेदव्यास के पुत्र महामुनि श्री शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को अमृतमय श्रीमद्भागवत कथा सुनाकर उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाया था। डॉ. रूपेश कुमार ने इस पवित्र धरा पर पहुँचकर सर्वप्रथम भागवत पीठ श्री शुकदेव आश्रम में पूजन-अर्चन कर अपनी श्रद्धा अर्पित की।
आयुक्त ने आश्रम परिसर में स्थित तीर्थ जीर्णोद्धारक पूज्य वीतराग स्वामी कल्याणदेव जी महाराज के समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित करते हुए श्रद्धांजलि दी और उनके राष्ट्र एवं समाजोद्धार के कार्यों को नमन किया। स्वामी कल्याणदेव जी महाराज ने शुकतीर्थ को पुनर्जीवित कर इसे ज्ञान, साधना और सेवा का केंद्र बनाया था। आयुक्त ने कहा कि “ऐसे संतों के तप और त्याग से ही यह धरा आज भी अध्यात्म और संस्कृति की ज्योति से आलोकित है।”
इसके उपरांत डॉ. रूपेश कुमार ने सिद्ध अक्षय वट वृक्ष की परिक्रमा की, जो शुकतीर्थ की पहचान और आस्था का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि यहीं पर श्री शुकदेव जी ने सात दिन तक भगवान श्रीकृष्ण की कथामृत धारा प्रवाहित की थी। आयुक्त ने वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर कुछ समय ध्यानस्थ होकर आध्यात्मिक अनुभूति प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने श्री शुकदेव मंदिर में विधिवत पूजन कर मंदिर के दर्शन किए।
श्री शुकदेव आश्रम के पीठाधीश्वर परमहंस स्वामी ओमानंद महाराज ने मंडलायुक्त का ससम्मान स्वागत किया और उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इस अवसर पर जिला अधिकारी उमेश मिश्रा, एमडीए की उपाध्यक्ष कविता मीणा, सीडीओ कमल किशोर कण्डारकर, तथा देश भूषण जी भी उपस्थित रहे। पीठाधीश्वर ने इन सभी अधिकारियों को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि “प्रशासन और आध्यात्मिक संस्थाएं जब मिलकर समाज सेवा का संकल्प लें, तो तीर्थ न केवल श्रद्धा के केंद्र बनते हैं बल्कि लोककल्याण के भी आधार बनते हैं।”
कार्यक्रम के दौरान ट्रस्टी ओमदत्त देव ने स्वामी कल्याणदेव जी महाराज के जीवन से जुड़े कई दुर्लभ ऐतिहासिक पत्रों और दस्तावेजों का अवलोकन डॉ. रूपेश कुमार को कराया। इनमें उनके सामाजिक सुधार आंदोलनों, शिक्षा प्रसार कार्यों तथा गंगा तट संरक्षण के प्रयासों से संबंधित सामग्री सम्मिलित थी। इन दस्तावेजों को देखकर आयुक्त ने कहा कि “यह हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में संत समाज की भूमिका को सशक्त बनाया।”

इस मौके पर आचार्य जी.सी. उप्रेती, कथा व्यास अचल कृष्ण शास्त्री, दीपक मिश्रा, संत समाज के अनेक विद्वान, साधु-संत और स्थानीय श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। आश्रम परिसर में सत्संग एवं भागवत कथा के प्रसंग भी प्रस्तुत किए गए, जिनमें महामुनि श्री शुकदेव जी और राजा परीक्षित के संवादों का वर्णन हुआ। कथा के दौरान जब परीक्षित को मृत्यु से पूर्व मोक्ष का उपदेश दिया गया, तो उपस्थित सभी भावविभोर हो उठे। स्वयं आयुक्त डॉ. रूपेश कुमार भी इस प्रसंग को सुनकर भावनाओं से अभिभूत दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि “भागवत कथा केवल धर्म नहीं, बल्कि जीवन के गूढ़तम प्रश्नों का उत्तर है—यह सिखाती है कि मृत्यु के भय को कैसे ज्ञान और भक्ति से पराजित किया जा सकता है।”
आयुक्त ने इस अवसर पर कार्तिक गंगा स्नान मेले की तैयारियों का भी स्थलीय निरीक्षण किया। उन्होंने घाटों की स्वच्छता, यातायात व्यवस्था, सुरक्षा प्रबंधन और स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आने वाले मेले में श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। उन्होंने कहा कि “शुकतीर्थ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की आत्मा है। यहाँ आने वाले लाखों श्रद्धालु हमारी आस्था के दूत हैं—उन्हें सुविधा देना हमारा दायित्व है।”
पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज ने कहा कि शासन और प्रशासन का यह सहयोग शुकतीर्थ के विकास को नई दिशा देगा। उन्होंने बताया कि भागवत पीठ के माध्यम से समाज सेवा, संस्कार शिक्षा, तथा पर्यावरण संरक्षण की अनेक योजनाएँ चलाई जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि निकट भविष्य में तीर्थ क्षेत्र के पुनरोद्धार एवं सौंदर्यीकरण के लिए विशेष कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है।
कार्यक्रम के समापन पर आयुक्त डॉ. रूपेश कुमार ने कहा कि “शुकतीर्थ जैसी पवित्र स्थली केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह हमारी सभ्यता, संस्कृति और चरित्र का केंद्र है। यहाँ आकर आत्मा को जो शांति मिली है, वह शब्दों में व्यक्त नहीं की जा सकती। प्रशासन की ओर से हर संभव सहयोग इस क्षेत्र के विकास में दिया जाएगा।”
इस प्रकार श्रद्धा, प्रशासनिक उत्तरदायित्व और सांस्कृतिक गौरव का यह अद्भुत संगम शुकतीर्थ धाम में देखने को मिला। तीर्थ की पवित्रता और संतों की तपस्या के बीच नवागंतुक आयुक्त का यह आगमन आध्यात्मिकता और सेवा भावना का नया अध्याय खोल गया।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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