Palestinians : फिलिस्तीनियों के दुश्मन को क्या हथियार दे रहा भारत, इजरायल संग ‘कारगिल वाली’ अटूट दोस्ती पर सवाल क्यों?

नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि इजरायल और हमास, दोनों ने अमेरिका के 20 सूत्रीय शांति प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। जिसके बाद अब हमास के कैद से इजरायली बंधकों की रिहाई की संभावना बढ़ गई है। इस शांति प्रस्ताव के तहत इजरायल, गाजा पट्टी के एक बड़े हिस्से से अपनी सैनिकों को वापस बुलाएगा। हालांकि ये युद्धविराम कितने दिनों तक चलेगा, इसको लेकर कई सवाल हैं, क्योंकि इजरायल हमास का निरस्त्रीकरण चाहता है, लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? ये बड़ा सवाल है।
दो वर्षों तक चले इस भयावह युद्ध की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को हुई थी, जब हमास ने इजरायल के दक्षिणी इलाकों में बड़े पैमाने पर हमला किया था। अचानक हुए हमले में 1200 नागरिकों की हत्या कर दी गई थी और 250 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिसमें इजरायल के साथ साथ कई और देशों के नागरिक शामिल थे। इसके बाद इजरायल ने तत्काल जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पट्टी पर आक्रामक सैन्य अभियान छेड़ दिया। यह संघर्ष का असर पहले कुछ हफ्तों तक सीमित नजर आ रहा था, लेकिन जल्द ही यह पूरी गाजा और इजरायल की सीमाओं तक फैल गया।
67 हजार मौतें, लाखों टन गोला-बारूद गिराया गया
इजरायल ने गाजा में हमास के खिलाफ युद्ध में लाखों टन गोला-बारूद गिराया। गाजा पट्टी के 80 प्रतिशत से ज्यादा बिल्डिंग ध्वस्त कर दिए गये हैं और करीब 5 करोड़ टन मलबा गाजा पट्टी में फैल गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस मलबे को हटाने में ही कई साल लग जाएंगे और बड़ा सवाल ये है, कि इतना सारा मलबा कहां फेंका जाएगा? इस युद्ध में गाजा में लगभग 67,000 लोगों की मौत हुई, जिनमें हजारों बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। पिछले दो सालों के युद्ध में गाजा पूरी तरह से नर्क बन चुका है, हर तरफ सिर्फ दर्द और दर्द है। इस खतरनाक संघर्ष ने न सिर्फ बुनियादी ढांचे को तबाह कर दिया है, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी पर कभी ना मिटने वाला जख्म दिया है। नवभारत टाइम्स से बात करते हुए भारत के जियो-पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमर आगा ने कहा कि “गाजा में स्थिति काफी खराब है। अब कोई संस्था नहीं बची है, सारे खत्म हो चुके हैं। लेकिन कई मुद्दे हैं, जिनपर सहमति बनना बाकी है। लेकिन गाजा में इतनी तबाही मच चुकी है कि अमन-शांति होना काफी मुश्किल है।”इजरायल ने दावा किया है कि उसने 17,000 से ज्यादा हमास के लड़ाकों को ढेर किया है, जबकि हमास ने अपने लगभग 6,000–8,000 सैनिकों की मौत की पुष्टि की है। अलग अलग रिपोर्ट्स में अलग अलग दावे हैं और नवभारत टाइम्स इन आंकड़ों की पुष्टि नहीं करता है। लेकिन गाजा की करीब करीब पूरी आबादी विस्थापित हो चुकी है। पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाएं पूरी तरह खत्म हो गईं। आखिरकार अक्टूबर 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता ने युद्धविराम की राह खोल दी है। ट्रंप ने कतर, मिस्र और तुर्की के सहयोग से दोनों पक्षों को शांति समझौते की घोषणा की है। लेकिन इन सबके बीच कुछ रिपोर्ट्स में प्रोपेगेंडा फैलाने की कोशिश की गई कि भारत, इजरायल को हथियारों की सप्लाई क्यों कर रहा है? आरोप लगाए गये कि भारतीय हथियारों से इजरायल, गाजा में युद्ध को जारी रखे हुआ है। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भारत और इजरायल के संबंधों पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं?

भारत और इजरायल के बीच मजबूत रक्षा संबंध
भारत और इजरायल के रक्षा संबंध पर सवाल उठाने वाले लोग और प्रोपेगेंडा फैलाने वाली विदेशी संस्थाएं भूल जाती हैं कि खुद भारत सालों से आतंकवाद से पीड़ित रहा है और इन संस्थाओं ने सालों से अपने आंख कान बंद रखे हैं। भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश के लिए अपनी सुरक्षा को टॉप प्रायोरिटी में रखना सबसे ज्यादा जरूरी है और ऑपरेशन सिंदूर ने एक बार फिर से इस बात को साबित किया है, जब सिर्फ इजरायल पूरी तरह से भारत के ‘जवाब देने के अधिकार’ का खुला समर्थन किया था। इजरायल ने पिछले कुछ सालों में भारत को रक्षा क्षेत्र में काफी मदद दी है।इजरायल की आधुनिक रक्षा तकनीक, ड्रोन, मिसाइल सुरक्षा प्रणाली और खुफिया साझा नेटवर्क भारत की सुरक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाता है। इस सहयोग पर सवाल उठाना बिल्कुल गलत है, क्योंकि सवाल उठाने वाले आतंकवाद के खिलाफ सवाल नहीं उठाते हैं। गाजा संघर्ष और पहलगाम आतंकी हमला ने साफ किया है कि भारत को ऐसी डिफेंस टेक्नोलॉजी की जरूरत है, जिससे वो पाकिस्तान और चीन जैसे देशों का मुकाबला कर सके। सवाल उठाने वाले लोगों को ध्यान देना चाहिए कि इजरायल कैसे कारगिल युद्ध के दौरान से ही भारत की मदद कर रहा है, जब कई देशों ने जरूरत के समय भारत का साथ देने से इनकार कर दिया था। 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान, जब भारत पश्चिमी देशों से प्रतिबंधों और आपूर्ति संकट का सामना कर रहा था, उस वक्त भी इजरायल ने सच्चे दोस्त की भूमिका निभाई थी। इजरायली हथियारों ने युद्ध को पलट दिया था। इजरायल ने भारत को लेजर-गाइडेड बम, लाइटनिंग लेजर डिजाइनर पॉड्स और निगरानी ड्रोन दिए थे। भारतीय वायुसेना के मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने इजरायली लाइटनिंग पॉड्स और पेववे-III लेजर-गाइडेड बमों से टाइगर हिल जैसे रणनीतिक ठिकानों पर पाकिस्तानी सैनिकों को निशाना बनाया था। पाकिस्तान के बंकरों को इसी बम से उड़ाया गया था।नवभारत टाइम्स से बात करते हुए भारत के पूर्व राजदूत अशोक सज्जनहर ने कहा कि “भारत ने इजरायल और फिलीस्तीन के साथ संबंध को अलग अलग रखे हैं। हमारे इजरायल के साथ अलग संबंध रहेंगे और फिलीस्तीन के साथ अलग संबंध रहेंगे। हमारे संबंध इस आधार पर हैं कि हमारे राष्ट्रीय हितों की किससे पूर्ति होती है। हमने रूस के अलावा अपने डिफेंस सेक्टर में विविधता जबसे लाना शुरू किया है, तो हम अमेरिका के पास गये, फ्रांस के पास गये और इजरायल के पास गये। इजरायल हमारी अच्छी मदद करता है, चाहे टेक्नोलॉजी हो या एग्रीकल्चर हो।” उन्होंने आगे कहा कि “जब अब्राहम अकॉर्ड हो रहा है, जब अरब देश इजरायल से रिश्ते बना रहे हैं, तो फिर हम क्यों ना करें। फिर भी भारत गाजा में मानवाधिकार की बात उठाता है, उठाता आया है, लेकिन भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में इजरायल का समर्थन करता है।” वहीं, भारतीय हथियारों के सवाल पर उन्होंने कहा कि “हमारे रूस से भी संबंध हैं अमेरिका से भी संबंध हैं, जबकि अमेरिका और रूस एक दूसरे के दुश्मन हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि अगर हमारे संबंध अमेरिका से अच्छे हैं तो उससे रूस को नुकसान होगा।
“भारत-इजरायल के ज्वाइंट डिफेंस प्रोग्राम
हर्मेस 900 ड्रोन- अडानी ग्रुप और इजरायल के बीच पिछले कुछ सालों में रक्षा क्षेत्र में साझेदारी महत्वपूर्ण रूप से बढ़ी है, जिसमें प्रमुख कंपनियों जैसे एल्बिट सिस्टम्स, टॉवर सेमीकंडक्टर और इजरायल वेपन इंडस्ट्रीज (IWI) शामिल हैं। भारत ने ये डिफेंस समझौते ‘मेक इन इंडिया’ के तहत किए हैं। साल 2018 में, अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस ने इजरायल की प्रमुख रक्षा कंपनी एल्बिट सिस्टम्स के साथ एक ज्वाइंट वेंचर स्थापित किया, जिसका नाम अडानी एल्बिट एडवांस्ड सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड है। इस साझेदारी के तहत, भारत में पहली बार हर्मेस 900 ड्रोन का निर्माण शुरू हुआ, जिसका इस्तेमाल भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर में किया था।बराक एयर डिफेंस सिस्टम- इसके अलावा भारत और इजरायल बराक-9 एयर डिफेंस सिस्टम साथ मिलकर बना रहे हैं। बराक-8 ने ही ऑपरेशन सिंदूर में हरियाणा के सिरसा के ऊपर पाकिस्तान के फतह मिसाइल को इंटरसेप्ट किया था। बराक एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल भारतीय नौसेना भी अपने एयरक्राफ्ट कैरियर और अलग अलग युद्धपोतों की सुरक्षा के लिए करती है। यह एक मध्यम से लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) ने संयुक्त रूप से विकसित किया है।
स्पाइक एटीजीएम- स्पाइक एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (ATGM) इजरायल की राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स और भारत की भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की गई है। यह प्रणाली भारतीय सेना द्वारा टैंक और अन्य बख्तरबंद लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए उपयोग की जाती है।
आर्बेल (Arbel) सिस्टम- आर्बेल एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित हथियार प्रणाली है, जिसे भारतीय और इजरायली कंपनियों ने मिलकर विकसित किया है। यह प्रणाली छोटे हथियारों की सटीकता और प्रभावशीलता को बढ़ाती है।
इसके अलावा भारत और इजरायल मिलकर रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम टेक्नोलॉजी जैसे कठिन सेक्टर में भी काम कर रहे हैं। इसके अलावा कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि भारत और इजरायल कथित तौर पर एक शक्तिशाली लेजर हथियार प्रणाली के डेवलपमेंट पर सहयोग कर रहे हैं। यह परियोजना आत्मनिर्भरता के लिए गाइडेड-ऊर्जा हथियार विकसित करने की भारत की बड़ी पहल का हिस्सा है। इसके जरिए भारत, लेजर लाइट से एयरक्राफ्ट और ड्रोन स्वार्म का मुकाबला कर सकेगा। इसके अलावा इजरायल, भारत को एडवांस रडार सिस्टम बनाने में भी मदद दे रहा है। इसीलिए सवाल ये हैं कि आखिर भारत क्यों इजरायल के साथ समझौता ना करे या मजबूत संबंध ना बनाए? भारत और इजरायल के डिफेंस पार्टनरशिप पर सवाल उठाने वाले लोग दरअसल, कई वजहों से प्रोपेगेंडा चलाते हैं, उनका अपना स्वार्थ होता है, वोट बैंक की राजनीति होती है और भारत के खिलाफ जलन होती है, इसके अलावा कोई और वजह समझ नहीं आती।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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