Glorious celebration : श्री राजराजेश्वर भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती शोभायात्रा जौनपुर में धर्म, संस्कृति और समाज का गौरवशाली उत्सव

जौनपुर की पावन धरती पर इस वर्ष एक बार फिर धर्म, भक्ति और समाज एकता का संगम देखने को मिलेगा। आगामी 9 नवम्बर, रविवार को श्री राजराजेश्वर भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन जयंती शोभायात्रा का भव्य आयोजन किया जा रहा है, जिसकी तैयारी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ चल रही है। इस शोभायात्रा का आयोजन जौनपुर जायसवाल समाज सेवा समिति के तत्वावधान में किया जा रहा है। शोभायात्रा का शुभारंभ भंडारी स्टेशन से होगा और यह अपने गंतव्य मंगलम लान, मियापुर तक जाएगी। मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालु समाज के लोग स्वागत द्वार बनाकर पुष्पवर्षा करेंगे, जिससे वातावरण भक्ति और आस्था से सराबोर हो जाएगा।
भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन, जिन्हें राजराजेश्वर और कार्तवीर्य अर्जुन के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय इतिहास में शक्ति, पराक्रम और धर्मपालन के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने अपने जीवन में सदैव सत्य, न्याय और लोककल्याण का मार्ग अपनाया। उनके सहस्त्र (हज़ार) बाहुओं का अर्थ केवल शारीरिक बल नहीं, बल्कि असंख्य क्षमताओं और धर्मनिष्ठ कर्मों का प्रतीक है। इसीलिए समाज आज भी उनकी जयंती को केवल एक धार्मिक आयोजन के रूप में नहीं, बल्कि साहस, एकता और सेवा की भावना के प्रतीक उत्सव के रूप में मनाता है।
इस वर्ष की शोभायात्रा में विशेष रूप से श्री चित्रगुप्त भगवान पूजन महासमिति, जौनपुर की सहभागिता उल्लेखनीय रहेगी। समिति के सदस्य और समाज के गणमान्य लोग इससे पूर्व भगवान चित्रगुप्त जी की शोभायात्रा में शामिल होकर धार्मिक सौहार्द और समाजिक एकता का परिचय दे चुके हैं। उस अवसर पर सेवा समिति के अध्यक्ष एवं समाज के लोगों ने स्वागत द्वार बनाकर पुष्पवर्षा की थी, जिसके लिए महासमिति ने हृदय से आभार व्यक्त किया है।

अब पुनः 9 नवम्बर, रविवार को दोपहर 3 बजे, मियापुर शेषपुर चौराहे पर श्री राजराजेश्वर भगवान सहस्त्रबाहु जी का पूजन एवं शोभायात्रा का स्वागत-अभिनंदन किया जाएगा। इस शुभ अवसर पर श्री चित्रगुप्त भगवान पूजन महासमिति, जौनपुर के सदस्यों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना, स्वागत समारोह और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर क्षेत्र के सभी धर्मप्रेमी, समाजसेवी, युवा और नागरिकों से सादर निवेदन है कि वे इस धार्मिक अनुष्ठान में सम्मिलित होकर अपने आचरण से समाजिक एकता और आध्यात्मिकता का संदेश दें।
एकत्रीकरण स्थल मियापुर शेषपुर चौराहे से कुछ दूरी पर स्थित श्री मनोज श्रीवास्तव एडवोकेट, जिलाध्यक्ष अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, जौनपुर के आवास पर निर्धारित किया गया है। श्रद्धालुजन दोपहर ढाई बजे से तीन बजे तक वहाँ एकत्र होंगे, जिसके पश्चात् सामूहिक रूप से शोभायात्रा स्थल की ओर प्रस्थान किया जाएगा। इस आयोजन में नगर के प्रमुख नागरिक, समाजसेवी संस्थाएँ, धार्मिक संगठन और युवा मंडल भी भाग लेंगे।
जौनपुर जायसवाल समाज सेवा समिति ने इस भव्य आयोजन की पूरी रूपरेखा तैयार की है। समिति का उद्देश्य न केवल भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के आदर्शों का प्रचार-प्रसार करना है, बल्कि समाज में पारस्परिक सहयोग, एकता और धार्मिक चेतना को बढ़ावा देना भी है। सेवा समिति और महासमिति दोनों संस्थाएँ एकजुट होकर यह संदेश देना चाहती हैं कि जब समाज धर्म और संस्कृति के आधार पर संगठित होता है, तब उसकी शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। यही भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के जीवन का वास्तविक संदेश है — “शक्ति और धर्म का समन्वय ही सच्ची विजय है।”
पूरे मार्ग में शोभायात्रा के दौरान सजाए गए रथ, भगवान की आकर्षक झांकियाँ, भजन-कीर्तन और धार्मिक ध्वजों की शोभा देखते ही बनती है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस आयोजन से न केवल समाज में एकता की भावना प्रबल होती है, बल्कि यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी देता है। बच्चों और युवाओं के लिए यह अवसर अपने धर्म, संस्कृति और परंपरा को जानने और समझने का सजीव माध्यम बनता है।
भगवान चित्रगुप्त जी की पूजा करने वाली महासमिति ने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से समाज में आपसी प्रेम और सौहार्द का संदेश फैलाया जाएगा। पूजन कार्यक्रम के बाद सामूहिक प्रसाद वितरण और सत्संग का भी आयोजन होगा, जहाँ स्थानीय विद्वान भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन के जीवन और उनके आदर्शों पर प्रकाश डालेंगे।
इस आयोजन का मूल भाव यही है कि धर्म केवल मंदिरों या पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे कर्म, हमारे आचरण और समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है। भगवान सहस्त्रबाहु अर्जुन हमें सिखाते हैं कि शक्ति का उपयोग सदैव धर्म, न्याय और समाज कल्याण के लिए होना चाहिए।
अंत में, श्री चित्रगुप्त भगवान पूजन महासमिति, जौनपुर ने सभी धर्मावलंबियों, समाजबंधुओं और नागरिकों से सादर निवेदन किया है कि वे इस भव्य शोभायात्रा और पूजन समारोह में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इसे सफल बनाएं। यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि समाजिक एकता, सांस्कृतिक गौरव और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक आयोजन है।