Creation, culture : सुरवी 2025 बाल कला महोत्सव – सृजन, संस्कार और सपनों का उत्सव

आज मुझे “सुरवी 2025” बाल कला महोत्सव में सम्मिलित होने और अपने प्रिय विद्यार्थियों के साथ समय बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह अवसर मेरे लिए अत्यंत आनंददायक और प्रेरणादायक रहा। इस प्रकार के आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम या उत्सव भर नहीं होते, बल्कि वे हमारे भविष्य के निर्माताओं — हमारे बच्चों — के सपनों, उनकी कल्पनाशक्ति और उनकी जन्मजात प्रतिभा को निखारने के लिए एक सशक्त मंच प्रदान करते हैं।
बच्चे किसी भी राष्ट्र की सबसे मूल्यवान पूंजी होते हैं। उनके भीतर छिपी हुई सृजनात्मकता, जिज्ञासा और नवोन्मेष की भावना ही किसी समाज को नई दिशा प्रदान करती है। “सुरवी 2025” महोत्सव इस तथ्य का सशक्त उदाहरण है कि जब बच्चों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, तो वे अपनी रचनात्मकता से सबको अभिभूत कर देते हैं। आज यहाँ उपस्थित प्रत्येक बाल कलाकार भविष्य का वैज्ञानिक, शिक्षक, कलाकार, नेता या समाजसेवी बनने की क्षमता रखता है।
इस मंच के माध्यम से हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हर बच्चा अनमोल है और उसकी रुचि, सोच और कल्पना का सम्मान किया जाना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य केवल अंकों की प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास का माध्यम बनना चाहिए — जहाँ उनकी बौद्धिक, भावनात्मक, शारीरिक और नैतिक क्षमताएँ समान रूप से विकसित हों।
हमारी सरकार इस दिशा में निरंतर कार्यरत है। शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक सुधार लाते हुए हम नई तकनीकों, डिजिटल टूल्स और नवीन शिक्षण विधियों को विद्यालयों में शामिल कर रहे हैं। “स्मार्ट क्लासरूम”, “डिजिटल लर्निंग”, “वर्चुअल लैब्स” और “आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग” जैसी पहलें इस सोच का परिणाम हैं कि शिक्षा को अनुभवात्मक और जीवनोपयोगी बनाया जाए। जब शिक्षा में तकनीक का मेल होता है, तब बच्चे न केवल जानकारी प्राप्त करते हैं, बल्कि अपने विचारों को वैश्विक स्तर पर व्यक्त करने की क्षमता भी विकसित करते हैं।
इसके साथ-साथ हमारी सरकार बच्चों के चरित्र निर्माण और मूल्यों के प्रति सम्मान की भावना को भी प्राथमिकता दे रही है। हम यह मानते हैं कि ज्ञान तभी सार्थक होता है जब उसमें संस्कार और संवेदना का समावेश हो। इसलिए विद्यालयों और बाल महोत्सवों में नैतिक शिक्षा, सामुदायिक सेवा और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य ऐसे नागरिक तैयार करना है जो न केवल बुद्धिमान हों, बल्कि करुणाशील, जिम्मेदार और संवेदनशील भी हों।
आज “सुरवी 2025” जैसे आयोजन यह प्रमाणित करते हैं कि जब बच्चों को अभिव्यक्ति का अवसर दिया जाता है, तो वे समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यहाँ मंच पर प्रस्तुत की गई चित्रकला, नृत्य, नाटक, संगीत और अन्य कला रूप न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि इनमें समाज के प्रति बच्चों की सोच, उनकी रचनात्मक दृष्टि और उनके भीतर छिपे भविष्य के भारत की झलक मिलती है।

हर एक बच्चे का सपना अनूठा होता है। किसी को डॉक्टर बनकर सेवा करनी है, किसी को वैज्ञानिक बनकर नवाचार करना है, तो कोई कलाकार बनकर सौंदर्य और सृजन का संदेश देना चाहता है। इन सभी सपनों को साकार करने के लिए एक अनुकूल वातावरण, प्रेरणा और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। यह हमारी साझा जिम्मेदारी है कि हम बच्चों के सपनों में विश्वास करें, उनके उत्साह को बनाए रखें और उन्हें सही दिशा दिखाएँ।
हमारी सरकार का दृढ़ विश्वास है कि बच्चों की प्रतिभा का सही उपयोग तभी संभव है जब उन्हें समान अवसर मिले। इसी दृष्टि से हम शिक्षा के क्षेत्र में समानता, समावेशिता और पहुँच (Accessibility) को प्राथमिकता दे रहे हैं। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बच्चों को समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए नए विद्यालयों का निर्माण, शिक्षकों का प्रशिक्षण और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को भी शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया जा रहा है। क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि कला और खेल बच्चों के आत्मविश्वास, टीम स्पिरिट और नेतृत्व क्षमता को मजबूत करते हैं।
आज के इस बाल कला महोत्सव में भाग ले रहे सभी बच्चों में भविष्य का भारत बसता है। ये वही नन्हे-मुन्ने हैं जो आने वाले समय में विज्ञान, संस्कृति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और शासन के क्षेत्र में देश का नाम रोशन करेंगे। हमें इन पर गर्व है और इनके सपनों को पंख देने की जिम्मेदारी हम सबकी है — माता-पिता, शिक्षक, समाज और सरकार — सभी की।
मैं यहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों और अभिभावकों को भी बधाई देना चाहता हूँ, जिन्होंने इन बच्चों को प्रोत्साहित किया, उनका आत्मविश्वास बढ़ाया और उन्हें अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर दिया। आपकी भूमिका इस पूरे प्रयास का आधार है, क्योंकि परिवार और विद्यालय ही बच्चे के व्यक्तित्व के पहले दो विद्यालय हैं।
मुझे विश्वास है कि “सुरवी 2025” जैसे आयोजन न केवल बच्चों को प्रेरणा देंगे, बल्कि समाज में कला, संस्कृति और शिक्षा के प्रति नई चेतना जगाएँगे। हमारे छात्र बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ें और अपने ज्ञान व कौशल से देश की प्रगति में योगदान दें — यही हमारी सबसे बड़ी आशा और अपेक्षा है।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हर बच्चे को शिक्षा, अवसर और सम्मान मिलेगा। कोई भी प्रतिभा उपेक्षित नहीं रहेगी, कोई भी सपना अधूरा नहीं रहेगा। यही “सुरवी 2025” बाल कला महोत्सव की सच्ची भावना और उद्देश्य है — सृजन, संस्कार और सपनों के संग भारत के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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