Sub-Inspector Priya Singh : मुरादनगर थाने में महिला उपनिरीक्षक प्रिया सिंह, हेड कांस्टेबल शाहिद अली रिश्वत लेते गिरफ्तार हु

कमिश्नरेट गाजियाबाद के अंतर्गत थाना मुरादनगर में तैनात महिला उपनिरीक्षक प्रिया सिंह एवं हेड कांस्टेबल शाहिद अली को एंटी करप्शन टीम ने 50,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत की गई, जिसने पुलिस महकमे में हड़कंप मचा दिया है और आम जनता के बीच व्यापक चर्चा का विषय बन गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एंटी करप्शन टीम को एक शिकायत प्राप्त हुई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि थाना मुरादनगर में तैनात पुलिसकर्मी एक मामले में कार्रवाई के एवज में रिश्वत की मांग कर रहे हैं। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए टीम ने पहले मामले की गोपनीय जांच की, आरोपों की पुष्टि की और फिर योजनाबद्ध तरीके से जाल बिछाकर दोनों आरोपितों को रिश्वत लेते समय रंगे हाथ पकड़ लिया।
बताया जा रहा है कि गिरफ्तार की गई महिला उपनिरीक्षक प्रिया सिंह की नियुक्ति वर्ष 2023 में हुई थी। कम समय में ही इस तरह के गंभीर आरोपों में नाम सामने आना पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली और आंतरिक अनुशासन पर सवाल खड़े करता है। वहीं, हेड कांस्टेबल शाहिद अली की भूमिका भी पूरे मामले में संदिग्ध पाई गई, जिसके बाद दोनों के खिलाफ विधिक कार्रवाई की गई।
एंटी करप्शन टीम द्वारा गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपितों को आवश्यक कानूनी प्रक्रिया के तहत हिरासत में लिया गया। उनके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया है और मामले की विस्तृत जांच जारी है। जांच में यह भी पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि कहीं यह मामला किसी बड़े नेटवर्क या पूर्व में की गई ऐसी गतिविधियों से तो जुड़ा नहीं है।
इस घटना ने एक बार फिर यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि कानून की रक्षा करने वाले ही यदि कानून को तोड़ने लगें, तो आम नागरिक किससे न्याय की उम्मीद करे। पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार के मामलों से न केवल विभाग की छवि धूमिल होती है, बल्कि जनता का भरोसा भी कमजोर पड़ता है। विशेष रूप से जब ऐसे आरोप नए और अपेक्षाकृत कम अनुभव वाले अधिकारियों पर लगते हैं, तो यह प्रशिक्षण, निगरानी और जवाबदेही की व्यवस्था पर गंभीर चिंतन की आवश्यकता को दर्शाता है।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई जा रही है। किसी भी स्तर पर दोषी पाए जाने वाले अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि एंटी करप्शन टीम की यह कार्रवाई इस बात का संकेत है कि विभाग के भीतर भी स्वच्छता बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं।
साथ ही यह भी कहा गया है कि आरोप सिद्ध होने तक किसी को दोषी ठहराना उचित नहीं है। कानून के अनुसार जांच पूरी होने और न्यायालय के निर्णय के बाद ही अंतिम निष्कर्ष निकाला जाएगा। पुलिस प्रशासन ने जनता से अपील की है कि यदि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी द्वारा रिश्वत मांगे जाने या अनुचित व्यवहार की शिकायत हो, तो वे बिना भय के संबंधित अधिकारियों या एंटी करप्शन विभाग से संपर्क करें।
इस घटना के बाद मुरादनगर थाना क्षेत्र सहित पूरे गाजियाबाद कमिश्नरेट में पुलिसकर्मियों के बीच सतर्कता बढ़ा दी गई है। आंतरिक स्तर पर भी समीक्षा की जा रही है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नैतिक शिक्षा और निगरानी तंत्र को और मजबूत करने की बात कही जा रही है।
समाज के लिए यह मामला एक संदेश भी है कि भ्रष्टाचार चाहे किसी भी स्तर पर हो, अंततः कानून की पकड़ में आ सकता है। वहीं, पुलिस विभाग के लिए यह आत्ममंथन का अवसर है कि वह अपने ढांचे में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी को और अधिक मजबूत करे।
अंततः, यह प्रकरण जांच के अधीन है और न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ेगा। उम्मीद की जानी चाहिए कि सच्चाई सामने आएगी और दोषियों को कानून के अनुसार सजा मिलेगी, वहीं निर्दोष पाए जाने वालों को न्याय। ऐसे मामलों से सबक लेकर ही व्यवस्था को बेहतर और भरोसेमंद बनाया जा सकता है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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