A flood of devotion surged : बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज पर भक्ति उमड़ा सैलाब

बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज का भव्य आयोजन
- मथुरा के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज का पर्व अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक था, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता का भी संदेश लेकर आया। सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें मंदिर द्वार से लेकर आसपास के मार्गों तक दिखाई दीं। अनुमानतः 50,000 से अधिक भक्तों की उपस्थिति ने इस पर्व को ऐतिहासिक बना दिया। हरियाली तीज के पावन अवसर पर मंदिर को फूलों, पत्तियों और पारंपरिक झूलों से सजाया गया, जिसने पूरे परिसर को आध्यात्मिक सुगंध और हरियाली से भर दिया।
सुरक्षा और व्यवस्था में प्रशासन की अहम भूमिका
- इस विशाल आयोजन के सुचारु संचालन हेतु मंदिर प्रशासन और जिला पुलिस ने विशेष तैयारियां की थीं। पूरे परिसर में CCTV कैमरों, हेलमेट कैमरों, बैरिकेडिंग और गाइडेड प्रवेश मार्गों की व्यवस्था की गई। श्रद्धालुओं को नियंत्रित रूप से प्रवेश देने के लिए ऑड गेटिंग प्रणाली भी लागू की गई। सुरक्षा बलों और स्वयंसेवकों की तैनाती से श्रद्धालुओं को सुरक्षित वातावरण मिला। यातायात प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए पास की सड़कों को वाहनों के लिए बंद कर विशेष पैदल मार्ग बनाए गए थे।
श्रद्धालुओं की सेवा में समर्पित व्यवस्थाएं
- भक्तों की सुविधा के लिए प्रशासन ने मंदिर परिसर में पीने के पानी, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, साफ-सुथरे टॉयलेट, छाया युक्त विश्राम स्थल और वाटर कूलर जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की थीं। बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चों के लिए विशेष सहायता केंद्र बनाए गए थे। हर प्रवेश द्वार पर इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर और दिशा सूचक बोर्ड भी लगाए गए, जिससे कोई भी श्रद्धालु असुविधा महसूस न करे।
भक्ति भाव में डूबे श्रद्धालु, आरती और भजन से गूंजा मंदिर
- हरियाली तीज के दिन भक्तों ने पूरे श्रद्धा भाव से भगवान बांके बिहारी की पूजा-अर्चना की। सुबह और शाम की आरतियों में हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। मंदिर परिसर भजन-कीर्तन, झांकियों और पूजा से गूंज उठा। पुष्पांजलि, अक्षत, दूर्वा और चंदन अर्पण कर भक्तों ने अपनी भक्ति अर्पित की। मंदिर में आयोजित भजन प्रतियोगिता में स्थानीय कलाकारों ने भाग लिया, जिससे कार्यक्रम में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हुआ।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों से बच्चों और युवाओं को जोड़ने का प्रयास
- पर्व के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष श्रृंखला भी आयोजित की गई। बच्चों और युवाओं के लिए धार्मिक कथाएँ, नाटक मंचन, पर्यावरण जागरूकता संदेश और भक्ति आधारित गायन प्रस्तुत किए गए। पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ मंदिर परिसर में वृक्षारोपण भी कराया गया, जिसमें 100 से अधिक पौधे लगाए गए। इससे यह संदेश गया कि धार्मिक आस्था और प्रकृति संरक्षण साथ-साथ चल सकते हैं।
सामाजिक संगठनों और सेवाभावियों की भूमिका सराहनीय
- हरियाली तीज पर्व पर स्थानीय समाजसेवी संगठनों, महिला मंडलों, स्वयंसेवकों और व्यापार संघों ने सहयोग करते हुए कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ये समूह सफाई, सुरक्षा, चिकित्सा, रक्तदान जागरूकता, मतदाता जागरूकता और कोविड बचाव से जुड़े संदेशों के प्रचार-प्रसार में भी लगे रहे। इस आयोजन ने यह भी दर्शाया कि धार्मिक उत्सव सामाजिक जिम्मेदारी निभाने का एक बड़ा अवसर होता है।
हरियाली तीज: संस्कृति, आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम
- बांके बिहारी मंदिर में हरियाली तीज का यह भव्य आयोजन एक ऐसे समाज का परिचायक बना जिसमें आस्था, संस्कृति और प्रकृति के प्रति सम्मान की भावना गहराई से मौजूद है। हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भागीदारी, अनुशासित व्यवस्थाएं, पर्यावरण संरक्षण के संदेश और भक्ति में डूबा वातावरण — सभी ने मिलकर एक प्रेरणादायक माहौल तैयार किया। यह आयोजन सिद्ध करता है कि जब धर्म, संस्कृति और सामाजिक चेतना मिलती हैं, तब समाज सशक्त और संगठित होता है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)