Abhaneri Festival : दौसा में 26-27 सितंबर को आयोजित होगा आभानेरी उत्सव

आभानेरी, दौसा।
- राजस्थान की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहरों को विश्व पटल पर स्थापित करने की दिशा में एक और सार्थक प्रयास करते हुए पर्यटन विभाग की ओर से 26 एवं 27 सितम्बर को आभानेरी उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन दौसा जिले की प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी आभानेरी में स्थित 8वीं-9वीं शताब्दी की चमत्कारिक वास्तुकला वाली चांद बावड़ी और हर्षद माता मंदिर के व्यापक प्रचार-प्रसार, संरक्षण तथा पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा रहा है। यह उत्सव न केवल इन प्राचीन धरोहरों की ऐतिहासिक महत्ता को उजागर करता है,
- बल्कि पर्यटकों को राजस्थान की जीवंत लोक संस्कृति, परंपराओं और विविध कलाओं से भी रुबरु कराता है। चांद बावड़ी, जो अपनी अनूठी वास्तुकला और 3,500 सीढ़ियों वाले संरचना के लिए विश्वविख्यात है, इस अवसर पर रंग-बिरंगे सांस्कृतिक आयोजनों की साक्षी बनेगी। पर्यटन विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 26 एवं 27 सितम्बर को प्रातः 9.00 बजे से सायं 5.00 बजे तक लोक कलाकारों द्वारा पारंपरिक नुक्कड़ प्रस्तुतियाँ दी जाएंगी, जिनमें राजस्थान की समृद्ध लोकशैली को प्रस्तुत करते हुए कच्ची घोड़ी नृत्य, कठपुतली नृत्य, शहनाई वादन, बहरूपिया कला, पद दंगल जैसी प्रस्तुतियाँ सम्मिलित होंगी। साथ ही, पर्यटकों को ग्रामीण जीवन का अनुभव कराने हेतु ऊँटगाड़ी द्वारा “विलेज सफारी” का भी आयोजन किया जाएगा, जो विशेष आकर्षण का केंद्र होगा।
26 सितम्बर को सायं 7.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक
- “राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या” का आयोजन होगा, जिसमें राजस्थान के प्रसिद्ध लोक कलाकारों द्वारा पारंपरिक गीत-संगीत और नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे। इस संध्या में मांगणियारों का सुरमयी गायन, चित्ताकर्षक कच्ची घोड़ी नृत्य, मनमोहक कालबेलिया नृत्य, चंग और ढप वादन, घूमर नृत्य, भवाई नृत्य, भपंग वादन और पद दंगल जैसी रंगारंग प्रस्तुतियाँ दर्शकों को लोक संस्कृति की गहराइयों से परिचित कराएंगी। यह कार्यक्रम न केवल पर्यटकों के लिए मनोरंजन का माध्यम होगा, बल्कि लोककलाओं के संरक्षण और संवर्धन का एक प्रभावशाली माध्यम भी बनेगा। इसी प्रकार, 27 सितम्बर को सायं 7.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक “भजन संध्या” का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रसिद्ध भजन गायक दिलबर हुसैन द्वारा भक्ति रस से ओत-प्रोत भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। यह संध्या विशेष रूप से आध्यात्मिक वातावरण निर्मित करेगी और दर्शकों को एक दिव्य अनुभूति प्रदान करेगी।
Abhaneri Festival : दौसा में 26-27 सितंबर को आयोजित होगा आभानेरी उत्सव ?
पर्यटन विभाग के अधिकारियों के अनुसार,
- विगत वर्षों में इस प्रकार के आयोजनों और क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों से आभानेरी आने वाले पर्यटकों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई है। स्थानीय बुनियादी ढांचे जैसे सड़कों, प्रकाश व्यवस्था, स्वच्छता, और सूचना पटों के विकास ने भी इस स्थान को पर्यटकों के लिए अधिक सुलभ और आकर्षक बनाया है। साथ ही, स्थानीय शिल्प, भोजन, और हस्तशिल्प उत्पादों को भी इस उत्सव के माध्यम से प्रोत्साहन मिला है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति मिली है। आभानेरी उत्सव के माध्यम से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि यह कार्यक्रम एक सांस्कृतिक संवाद का माध्यम बनकर लोककलाओं, लोककलाकारों और आमजन को जोड़ने का कार्य भी कर रहा है। इस आयोजन में ग्रामीण महिलाओं की भागीदारी, शिल्पकारों के स्टॉल, पारंपरिक व्यंजनों की प्रदर्शनी और स्थानीय उत्पादों की बिक्री ने इसे एक समग्र सांस्कृतिक और पर्यटन उत्सव में परिवर्तित कर दिया है।
राजस्थान सरकार और पर्यटन विभाग का यह प्रयास सराहनीय है,
- क्योंकि ऐसे आयोजनों के माध्यम से हमारी ऐतिहासिक धरोहरें केवल संरक्षित नहीं होतीं, बल्कि जीवंत भी रहती हैं। युवाओं और पर्यटकों को इस धरोहर से जुड़ने का अवसर मिलता है और वे इसके पीछे छिपी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्ता को समझ पाते हैं। चांद बावड़ी और हर्षद माता मंदिर जैसे स्थल महज स्थापत्य के अद्भुत नमूने नहीं हैं, बल्कि वे उस समय की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक हैं, जिन्हें सहेजना हम सबकी जिम्मेदारी है। आभानेरी उत्सव इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहा है और इसे एक जनआंदोलन का रूप दे रहा है। इस आयोजन से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं, जिससे वे पर्यटन और सांस्कृतिक उद्योग में भविष्य निर्माण की संभावनाएँ तलाश सकते हैं।
निश्चित ही,
- आभानेरी उत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण, संवर्धन और प्रचार-प्रसार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह आयोजन न केवल स्थानीय कला व संस्कृति को जीवित रखने का माध्यम है, बल्कि वैश्विक मंच पर भी इन धरोहरों को पहचान दिलाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। आने वाले वर्षों में यदि इस उत्सव को और भी व्यापक स्तर पर आयोजित किया जाए, तो यह न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन सकता है। ऐसे प्रयासों से न केवल आभानेरी जैसे ऐतिहासिक स्थल पुनर्जीवित होंगे, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान भी और अधिक मजबूत होगी। आभानेरी उत्सव निश्चय ही राजस्थान के सांस्कृतिक कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर चुका है और इसकी निरंतरता इस क्षेत्र के पर्यटन व संस्कृति दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी सिद्ध हो रही है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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