Administrative negligence : घायल मोर की मदद में प्रशासन लापरवाही, ग्रामीण जुटे ?

Administrative negligence : घायल मोर की मदद में प्रशासन लापरवाही, ग्रामीण जुटे

Administrative negligence : घायल मोर की मदद में प्रशासन लापरवाही, ग्रामीण जुटे ?
Administrative negligence : घायल मोर की मदद में प्रशासन लापरवाही, ग्रामीण जुटे ?

घायल अवस्था में मिला राष्ट्रीय पक्षी मोर, प्रशासनिक लापरवाही उजागर

जनपद हापुड़ के थाना बाबूगढ़ क्षेत्र के गांव होशियारपुर गढ़ी में राष्ट्रीय पक्षी मोर घायल अवस्था में पाया गया, जिससे पूरे गांव में हलचल मच गई। यह मोर ग्रामवासी पदम सिंह पुत्र इकराम सिंह के घर के पास घायल हालत में पड़ा मिला। जैसे ही इसकी जानकारी पदम सिंह ने थाना बाबूगढ़ के प्रभारी महेन्द्र कुमार सिंह को दी, पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची और स्थिति का जायज़ा लिया। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए वन विभाग को भी सूचना दी, लेकिन दुर्भाग्यवश वन विभाग की ओर से कोई त्वरित प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी। बताया गया कि वन विभाग के अधिकारी इस मामले में 11:00 बजे के बाद ही समय दे पाएंगे, जबकि मोर की हालत गंभीर बनी हुई है।


ग्रामीणों में रोष, मजदूरों ने दिखाई संवेदनशीलता

घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ घायल मोर को देखने इकट्ठा हो गई। गांव में चर्चा का विषय यह है कि जब बात राष्ट्रीय पक्षी की हो, तो प्रशासनिक लापरवाही क्यों? जहां ग्रामीण और मजदूर अपनी मजदूरी छोड़कर मोर की देखभाल में लगे हैं, वहीं वन विभाग का विलंब प्रशासनिक संवेदनहीनता को दर्शाता है। मजदूरों ने अस्थायी रूप से मोर को सुरक्षित स्थान पर रखा है ताकि कोई कुत्ता या अन्य जंगली जानवर उसे नुकसान न पहुंचा सके। उनका कहना है कि यदि समय रहते उपचार नहीं मिला, तो मोर की जान भी जा सकती है और तब इसका जिम्मेदार कौन होगा?


“समय रहते उपचार हो तो जान बच सकती है” – मकान मालिक पदम सिंह

मोर के घायल होने की सूचना सबसे पहले देने वाले पदम सिंह का कहना है कि उन्होंने तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचना दी, लेकिन अब तक कोई चिकित्सीय सहायता नहीं मिल सकी है। उनका मानना है कि यदि प्रशासन इस पर समय रहते ध्यान दे, तो मोर की जान बचाई जा सकती है। उन्होंने अपील की कि वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को ऐसे मामलों में संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए क्योंकि यह केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारे देश का राष्ट्रीय गौरव है।


निष्कर्ष:

घायल मोर की यह घटना केवल एक पक्षी के जीवन-मरण का मामला नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक सजगता और वन्य जीवों के प्रति संवेदनशीलता की भी कसौटी है। यदि राष्ट्रीय पक्षी को भी समय पर उपचार नहीं मिल पा रहा है, तो यह वन्य संरक्षण की वर्तमान स्थिति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। आशा है कि प्रशासन शीघ्र संज्ञान लेकर घायल मोर को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगा और भविष्य में ऐसी लापरवाही दोहराई नहीं जाएगी।

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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