Adopted Hinduism : मुस्लिम महिलाएं बनी सनातनी: गाजियाबाद में दो महिलाओं ने अपनाया हिंदू धर्म

गाजियाबाद से एक महत्वपूर्ण और चर्चा में आने वाली घटना
- गाजियाबाद से एक महत्वपूर्ण और चर्चा में आने वाली घटना सामने आई है, जहाँ दो मुस्लिम महिलाओं ने इस्लाम धर्म छोड़कर सनातन धर्म को अपना लिया है। इन दोनों महिलाओं के नाम सोनिया खान और खुशबू खान थे, जिन्होंने अब क्रमशः सोनिया चौधरी और खुशबू साहो के रूप में अपनी नई धार्मिक और सामाजिक पहचान स्वीकार कर ली है। यह निर्णय उन्होंने पूरी तरह से स्वेच्छा और आत्मचिंतन के बाद लिया है। दोनों महिलाओं ने कहा कि उन्होंने कई वर्षों से मानसिक और धार्मिक दबाव महसूस किया और अब उन्होंने शांति और सम्मान से जीने के लिए सनातन धर्म को चुना है।
सोनिया चौधरी ने बताया कि
- सोनिया चौधरी ने बताया कि वह मुस्लिम धर्म की कुछ कुरीतियों और महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये से काफी परेशान थीं। उन्होंने कहा कि एक महिला के रूप में उन्हें कभी आत्मसम्मान और स्वतंत्रता का अनुभव नहीं हुआ। “हर बात पर पर्दा, हर फैसले में पुरुषों की दखल और धार्मिक कट्टरता से मैं टूट चुकी थी,” सोनिया ने कहा। उन्होंने आगे बताया कि जब उन्होंने हिंदू धर्म की शिक्षाओं और जीवन दर्शन को पढ़ा, तो उन्हें आत्मिक शांति और जीवन की एक नई दिशा मिली। इसी विश्वास ने उन्हें अपने जीवन में बड़ा बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। वहीं दूसरी महिला, खुशबू साहो ने भी अपने जीवन में आए संघर्ष और दमन का उल्लेख करते हुए बताया कि उन्होंने एक लंबे समय से धर्म परिवर्तन का विचार मन में रखा था। खुशबू ने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को बराबरी का दर्जा नहीं मिलता और हर कदम पर उन्हें सवालों और शंकाओं का सामना करना पड़ता है। सनातन धर्म में उन्हें आत्मगौरव और स्वतंत्रता की भावना महसूस हुई। उन्होंने बताया कि उनका यह फैसला किसी दबाव या लोभ में नहीं लिया गया, बल्कि उन्होंने स्वयं पढ़कर, समझकर और अनुभव कर यह रास्ता चुना है।
धर्म परिवर्तन पूरी तरह शांतिपूर्ण और स्वेच्छा
- धर्म परिवर्तन की इस प्रक्रिया को पूरी तरह कानूनी तरीके से किया गया है। एक धार्मिक समारोह के दौरान दोनों महिलाओं ने विधिवत रूप से यज्ञ, हवन और मंत्रोच्चारण के बीच सनातन धर्म की दीक्षा ली। इस मौके पर स्थानीय धार्मिक नेताओं और समाज के लोगों की उपस्थिति रही। यह धर्म परिवर्तन पूरी तरह शांतिपूर्ण और स्वेच्छा से हुआ, जिसकी पुष्टि दोनों महिलाओं ने एक लिखित बयान में भी की है। उन्होंने यह भी कहा कि वे अब अपने नए जीवन और पहचान के साथ एक नई शुरुआत करना चाहती हैं और समाज से अपेक्षा करती हैं कि उन्हें स्वीकार किया जाए। यह घटना एक बार फिर धर्म, स्वतंत्रता और महिला सशक्तिकरण को लेकर समाज में गहरी बहस को जन्म दे रही है। जहां कुछ लोग इसे महिलाओं के आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता की जीत मान रहे हैं, वहीं कुछ वर्गों में इसका विरोध भी देखा जा रहा है। हालांकि, भारतीय संविधान हर नागरिक को अपने धर्म को चुनने और बदलने की पूरी स्वतंत्रता देता है। सोनिया और खुशबू जैसे उदाहरण यह दिखाते हैं कि आज की महिलाएं अपने जीवन के बड़े फैसले खुद लेने में सक्षम हैं और वे अपने अधिकारों को पहचान रही हैं। गाजियाबाद की यह घटना न केवल व्यक्तिगत आज़ादी की मिसाल है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और बदलाव की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण संकेत देती है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)