An example of humanity : सेवा में अग्रणी सुमित तोमर ने रचा मानवता का उदाहरण

सेवा परमो धर्म को साकार करते दिखे सिंभावली थाना अध्यक्ष सुमित तोमर
उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के सिंभावली क्षेत्र में “सेवा परमो धर्म” की भावना को सजीव रूप से चरितार्थ करते नजर आए थाना अध्यक्ष श्री सुमित तोमर और उनकी पुलिस टीम। सावन मास में कांवड़ यात्रा के दौरान ग्राम सिखेड़ा स्थित शिव मंदिर में जब कांवड़ियों ने रात्रि विश्राम के लिए ठहराव किया, तो थकान और भूख से व्याकुल श्रद्धालुओं की स्थिति देख थाना अध्यक्ष ने जो कर दिखाया, वह मानवता की मिसाल बन गया। कांवड़ियों ने थकावट और भूख की शिकायत की तो उन्होंने तुरंत अपने श्रद्धा भाव से भोजन, फल और प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था करवाई।
भोजन, फल, और चिकित्सा की व्यवस्था कर खुद बढ़ाया सेवा भाव
कांवड़ियों की स्थिति देख थाना अध्यक्ष सुमित तोमर ने केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि मानवीय संवेदनाओं का परिचय देते हुए अपनी टीम के साथ मिलकर शिव मंदिर परिसर में भोजन और फल की व्यवस्था करवाई। उन्होंने मंदिर प्रांगण में खुद मौजूद रहकर सभी कांवड़ियों को ससम्मान भोजन करवाया। यही नहीं, थाना अध्यक्ष ने श्रद्धालुओं की थकान को दूर करने के लिए अपने हाथों से पट्टी की, शरीर की मालिश की और पेन रिलीवर स्प्रे भी लगाया। पुलिसकर्मियों ने भी इस सेवा में भागीदारी निभाई और कांवड़ियों को भरपूर सहयोग दिया।

कांवड़ियों में उमड़ा भावुकता और कृतज्ञता का सैलाब
इस आत्मीय सेवा को देखकर कांवड़ियों की आंखें नम हो गईं। पुलिस प्रशासन को अक्सर सख्त और औपचारिक छवि के रूप में देखा जाता है, लेकिन सिंभावली थाना अध्यक्ष और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि जब सेवा भाव और संवेदना दिल में हो, तो वर्दी भी ममता का प्रतीक बन जाती है। कांवड़ियों ने धन्यवाद स्वरूप थाना अध्यक्ष को आशीर्वाद दिया और कहा कि ऐसा अनुभव उन्हें पहली बार मिला है। स्थानीय लोगों और मंदिर समिति ने भी इस सेवा कार्य की सराहना की और इसे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
समापन
थाना अध्यक्ष सुमित तोमर और उनकी टीम द्वारा कांवड़ियों की सेवा केवल एक प्रशासनिक कार्य नहीं बल्कि एक सच्चे धर्म और कर्तव्य का पालन था। ऐसे कर्मशील और संवेदनशील अधिकारी समाज में विश्वास और मानवीयता की मिसाल पेश करते हैं।
वास्तव में—
“परहित बस जिनके मन माही । तिनके जग कुछ दुर्लभ नाही।।”
यह सेवा भाव न केवल कांवड़ियों के लिए राहतदायक रहा, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे गया कि सच्चा धर्म वही है, जिसमें दूसरों की भलाई हो।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)