Artificial : उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों पर लगाम लगाने की कवायद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से उम्मीदें

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे एक बड़ी चिंता का विषय
- उत्तर प्रदेश में सड़क हादसे एक बड़ी चिंता का विषय बन गए हैं। हर महीने औसतन 2000 से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं। साल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, केवल जून महीने तक ही प्रदेश में 14,000 से अधिक लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है। ये आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं और यह दर्शाते हैं कि सड़क सुरक्षा के लिए अब तक किए गए उपाय पर्याप्त नहीं हैं। राज्य सरकार और परिवहन विभाग द्वारा वर्षों से जागरूकता अभियान, हेलमेट और सीट बेल्ट की अनिवार्यता, चालान की कार्रवाई जैसे अनेक प्रयास किए गए, लेकिन इन सबके बावजूद स्थिति में सुधार नहीं हो पाया है।
- ऐसे में अब एक नई उम्मीद के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सामने आया है। केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक AI आधारित सड़क सुरक्षा पायलट प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। यदि यह प्रोजेक्ट सफल होता है, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा। यह कदम देशभर में सड़क सुरक्षा व्यवस्था को आधुनिक और ज्यादा प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन साबित हो सकता है।
समस्या की गंभीरता
- उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और घनी आबादी वाले राज्य में सड़क नेटवर्क भी बहुत विस्तृत है। लाखों वाहन प्रतिदिन सड़कों पर दौड़ते हैं। लेकिन ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन, सड़क निर्माण की खामियां, खराब ड्राइविंग व्यवहार, ओवरलोडिंग, ओवरस्पीडिंग, और वाहन चालकों की लापरवाही जैसी वजहों से हादसों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) और परिवहन विभाग के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि पिछले कुछ वर्षों में न केवल हादसों की संख्या बढ़ी है, बल्कि उनमें जान गंवाने वालों की संख्या में भी भारी इजाफा हुआ है।
क्यों जरूरी है AI आधारित मॉडल?
- परंपरागत तरीकों से ट्रैफिक नियंत्रण और सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना आज के समय में चुनौतीपूर्ण हो गया है। ट्रैफिक पुलिस की सीमित संख्या, मैन्युअल निगरानी की कठिनाइयाँ, और रियल टाइम डेटा की कमी के चलते दुर्घटनाओं को रोकना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में AI जैसे अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग एक गेम चेंजर बन सकता है।
- AI की मदद से न केवल ट्रैफिक डेटा का विश्लेषण किया जा सकता है, बल्कि दुर्घटना संभावित क्षेत्रों (Accident Prone Zones) की पहचान भी की जा सकती है। इसके साथ ही ट्रैफिक मूवमेंट की लाइव निगरानी, ओवरस्पीडिंग की पहचान, ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई जैसे कार्य भी रियल टाइम में संभव हो पाएंगे।
पायलट प्रोजेक्ट में क्या होगा?
- AI आधारित इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य के प्रमुख शहरों और राष्ट्रीय/राज्य राजमार्गों पर हाई-टेक कैमरे, सेंसर और डेटा एनालिटिक्स टूल्स लगाए जाएंगे। इनकी मदद से:
- हाई रिस्क जोन्स की पहचान: AI एल्गोरिदम पिछले हादसों के डेटा का विश्लेषण कर उन क्षेत्रों की पहचान करेगा जहाँ बार-बार दुर्घटनाएँ होती हैं।
- रियल टाइम ट्रैफिक मॉनिटरिंग: CCTV कैमरों और सेंसर की मदद से ओवरस्पीडिंग, रेड लाइट जंपिंग, गलत दिशा में गाड़ी चलाना जैसे अपराधों की तुरंत पहचान की जाएगी।
- इंटेलिजेंट ट्रैफिक लाइट सिस्टम: AI आधारित सिग्नल सिस्टम ट्रैफिक की भीड़ को देखकर लाइट्स को कंट्रोल करेगा जिससे जाम और दुर्घटनाओं की आशंका कम होगी।
- ड्राइवर बिहेवियर एनालिसिस: कुछ जगहों पर AI सिस्टम यह भी ट्रैक करेगा कि ड्राइवर गाड़ी कैसे चला रहा है — क्या वह थका हुआ है, फोन पर बात कर रहा है या शराब के नशे में है।
- रख-रखाव की निगरानी: AI सिस्टम सड़कों की हालत, गड्ढों की स्थिति और संकेतकों की स्थिति की भी निगरानी करेगा और संबंधित विभाग को अलर्ट भेजेगा।
लाभ क्या होंगे?
AI आधारित मॉडल के कई लाभ हो सकते हैं:
- दुर्घटनाओं में कमी: संभावित खतरे पहले ही पहचान लिए जाएंगे जिससे समय रहते कार्रवाई की जा सकेगी।
- जागरूकता में इजाफा: ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर त्वरित कार्रवाई से लोगों में नियम पालन की आदत बनेगी।
- सरकारी संसाधनों की बचत: मैन्युअल निगरानी पर निर्भरता घटेगी और सीमित संसाधनों का बेहतर उपयोग हो पाएगा।
- डेटा आधारित नीति निर्माण: सटीक और विस्तृत आंकड़ों के आधार पर सरकार भविष्य की योजनाएं बेहतर बना सकेगी।
चुनौतियाँ भी हैं
हालाँकि AI का उपयोग कई फायदे दे सकता है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियाँ भी होंगी:
- तकनीकी संसाधनों की कमी: ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे और इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी से AI लागू करने में दिक्कत आ सकती है।
- डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा: निगरानी सिस्टम से लोगों की निजता से जुड़े सवाल उठ सकते हैं।
- फंडिंग और मेंटेनेंस: तकनीक को लगाने और लंबे समय तक चलाने के लिए भारी निवेश और मेंटेनेंस की जरूरत होगी।
निष्कर्ष
- उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों की भयावहता को देखते हुए AI आधारित सड़क सुरक्षा मॉडल की शुरुआत एक साहसिक लेकिन जरूरी कदम है। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो न सिर्फ प्रदेश बल्कि पूरे देश में सड़क सुरक्षा की दिशा में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है। यह तकनीक न केवल जान बचा सकती है बल्कि सड़क पर अनुशासन भी ला सकती है।
- अब ज़रूरत इस बात की है कि सरकार, प्रशासन और आम नागरिक — तीनों मिलकर इस बदलाव को अपनाएं और एक सुरक्षित भारत की ओर कदम बढ़ाएं।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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