Cheating with : ईडी का गांधी परिवार पर गंभीर आरोप, कोर्ट में कहा-कांग्रेस को दान देने वालों के साथ की धोखाधड़ी

- नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में बड़ा दावा किया कि कांग्रेस पार्टी को दान देने वालों के साथ धोखाधड़ी की गई।
- ईडी के अनुसार कांग्रेस को दान देने वालों में से कुछ लोगों को पार्टी टिकट भी दिए गए, जिससे यह साफ होता है कि दानदाताओं के साथ छल हुआ है।
- ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दलील दी कि गांधी परिवार का दावा गलत है कि उनका एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर कोई नियंत्रण नहीं था। उन्होंने कहा कि एजेएल ही नेशनल हेराल्ड का मूल प्रकाशक है और इसे गांधी परिवार नियंत्रित करता रहा है।
- नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में बड़ा दावा किया कि कांग्रेस पार्टी को दान देने वालों के साथ धोखाधड़ी की गई..!
- ईडी के अनुसार कांग्रेस को दान देने वालों में से कुछ लोगों को पार्टी टिकट भी दिए गए, जिससे यह साफ होता है कि दानदाताओं के साथ छल हुआ है।
- ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने दलील दी कि गांधी परिवार का दावा गलत है कि उनका एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) पर कोई नियंत्रण नहीं था। उन्होंने कहा कि एजेएल ही नेशनल हेराल्ड का मूल प्रकाशक है और इसे गांधी परिवार नियंत्रित करता रहा है।
गांधी परिवार पर संपत्ति हथियाने का आरोप
- ईडी ने अदालत में बताया कि यंग इंडियन लिमिटेड सिर्फ एक आवरण कंपनी है, जो गांधी परिवार की कठपुतली है और इसका इस्तेमाल एजेएल की लगभग दो हजार करोड़ रुपये की संपत्तियों को हथियाने के लिए किया गया।
- ईडी ने दावा किया कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मात्र 50 लाख रुपये में यह सब हासिल किया, जबकि असली संपत्ति का मूल्य हजारों करोड़ है।
- ईडी ने इस मामले को क्लासिक मनी लॉन्ड्रिंग केस करार दिया और कहा कि यंग इंडियन लिमिटेड के माध्यम से आपराधिक आय अर्जित करने की योजना रची गई।
नेशनल हेराल्ड दोबारा प्रकाशित करने का नहीं था इरादा
- एएसजी राजू ने कहा कि यंग इंडियन ने नेशनल हेराल्ड अखबार को दोबारा प्रकाशित करने का कोई इरादा नहीं दिखाया, जिससे यह साफ होता है कि उनका उद्देश्य पत्रकारिता नहीं, बल्कि संपत्ति पर कब्जा करना था।
- इससे पहले, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आरएस चीमा ने अदालत में दलील दी थी कि एजेएल को कांग्रेस ने कभी बेचना नहीं चाहा बल्कि उसे बचाने की कोशिश की गई।
- उन्होंने कहा कि एजेएल स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक था, जिसकी स्थापना 1937 में नेहरू, कृपलानी, रफी अहमद किदवई जैसे नेताओं ने की थी।
- कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ईडी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि यह आश्चर्यजनक और राजनीति से प्रेरित मामला है।
मामले में अगली सुनवाई अब 14 जुलाई को होगी
- उन्होंने दलील दी कि यंग इंडियन कोई लाभकारी कंपनी नहीं है और इसने एजेएल का ऋण खत्म करने के उद्देश्य से ही काम किया। कोर्ट ने अब 14 जुलाई को आरोपितों की सफाई सुनने के लिए अगली सुनवाई तय की है।
- इस केस के शिकायतकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने आरोप लगाया है कि दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित 1600 करोड़ रुपये मूल्य के हेराल्ड हाउस पर कब्जे की साजिश के तहत एजेएल की संपत्तियों को यंग इंडियन के नाम पर किया गया।
- उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह भूमि समाचार पत्र के लिए दी थी, न कि व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए। कोर्ट ने दो मई को सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा समेत सात आरोपितों को नोटिस जारी किया था।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)