Committee Meetings : हीरालाल बारह सैनी इंटर कॉलेज, अलीगढ़ में नीरज पवार की अध्यक्षता में प्रदेश कार्य समिति बैठक

बीजिंग:
- चीन और भारत जिस तरह से गर्मजोशी के साथ एक दूसरे के स्वागत में रेड कार्पेट बिछा रहे हैं, वो थोड़ा हैरान करने वाला है। नई दिल्ली में पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी का जोरदार स्वागत किया गया और अब चीन से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का व्यक्तिगत तौर पर स्वागत करने वाले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस महीने 31 अगस्त और 1 सितंबर को तियानजिन में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का व्यक्तिगत स्वागत करेंगे।
- पिछले सात सालों में ये पहला मौका होगा जब भारतीय प्रधानमंत्री का चीन का दौरा होगा। गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हुए हिंसक झड़प के बाद फिर से दोनों देशों ने रिश्ते को पटरी पर लाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। इससे पहले दोनों नेताओं ने पिछली बार कजान में हुए BRICS सम्मेलन के दौरान मंच साझा किया था। इस बार का शिखर सम्मेलन, ग्लोबल साउथ की एकजुटता का प्रतीक माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब अमेरिका ने भारत पर रूस से तेल आयात के कारण टैरिफ लगाए हैं।
Committee Meetings : हीरालाल बारह सैनी इंटर कॉलेज, अलीगढ़ में नीरज पवार की अध्यक्षता में प्रदेश कार्य समिति बैठक ?
SCO शिखर सम्मेलन से अमेरिका को संकेत?
- चीन में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में सिर्फ मोदी और पुतिन को ही नहीं, बल्कि मध्य एशिया, मध्य पूर्व, दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के कई अन्य नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है। SCO के गठन के बाद से यह सम्मेलन सबसे बड़ा होने वाला है। चीनी विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे “नई प्रकार की अंतरराष्ट्रीय संबंधों की दिशा में एक महत्वपूर्ण शक्ति” बताया है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते कहा था कि मॉस्को को उम्मीद है कि चीन और भारत के साथ त्रिपक्षीय वार्ता जल्द ही होगी।
- वहीं, रिसर्च एजेंसी ‘द चाइना-ग्लोबल साउथ प्रोजेक्ट’ के प्रधान संपादक एरिक ओलैंडर ने कहा कि “शी जिनपिंग इस शिखर सम्मेलन का उपयोग यह दिखाने के अवसर के रूप में करना चाहेंगे कि अमेरिका के नेतृत्व के बाद की अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था कैसी दिखने लगी है। इसके अलावा चीन ये भी दिखाने की कोशिश करेगा कि अमेरिका ने चीन, ईरान, रूस और अब भारत के खिलाफ जो टैरिफ लगाए हैं, उसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।” उन्होंने कहा कि “देखिए कि ब्रिक्स ने डोनाल्ड ट्रंप को कितना परेशान कर दिया है, और वास्तव में इन समूहों को ऐसा करने के लिए ही बनाया गया है… यह शिखर सम्मेलन ‘दिखावे’ के बारे में है, वास्तव में एक शक्तिशाली संदेश देने के बारे में है।” लेकिन क्या भारत के लिए इसके मायने बस इतने तक ही हैं? भारत क्या चीन पर विश्वास कर सकता है? क्या भारत भरोसा कर सकता है कि दक्षिण एशिया में चीन अपनी आक्रामक कार्रवाइयां रोक देगा?
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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