Dadupur-Nalvi Canal: दादूपुर-नलवी नहर : नहर बंद, नुकसान चालू! हरियाणा के किसान बेहाल

चंडीगढ़। यह सिर्फ खेतों में पानी नहीं है। यह उन किसानों की आंखों से निकलता दर्द है जिनकी मेहनत, सपने और फसलें सब कुछ डूब गईं। हरियाणा सरकार द्वारा दादूपुर-नलवी नहर परियोजना को डी-नोटिफाई करना अब सिर्फ एक राजनीतिक फैसला नहीं है। सैकड़ों किसान अब रोजाना तबाही का सामना कर रहे हैं। बूंदें नहीं, बर्बादी बरसी! हाल ही में आए भीषण तूफान ने इस तकलीफ को और बढ़ा दिया है। खेत नहर के पानी से लबालब हो गए हैं। अभी-अभी रोपी गई धान की फसल पूरी तरह डूब गई है। जलभराव से गांव-गांव प्रभावित हो रहे हैं और किसान उस फैसले को कोस रहे हैं जिसने कभी ‘विकास’ के नाम पर उम्मीदें जगाई थीं- लेकिन अब वो सपने मिट्टी में मिल गए हैं भरोसा किया… अब मिली सजा ? प्रभावित किसानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार से यही कहा: हमें विकास नहीं, समाधान चाहिए था। सीधे शब्दों में उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने जमीन वापस करके खेती शुरू की, उनके खेत तो बर्बाद हुए ही, साथ ही आसपास के खेतों की फसलें भी डूब गईं। किसानों का यह कथन कठोर लेकिन सत्य है: “हम सरकार के साथ हैं, लेकिन क्या सरकार अभी भी हमारे साथ है?” पानी में डूबी फसलें, कर्ज में डूबे किसान किसानों के अनुसार, धान की रोपाई अभी भी जारी है। बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है। इसके अलावा नहर का बहाव भी अनियंत्रित है। अगर नहर का वैज्ञानिक प्रबंधन नहीं किया गया तो फसलें तो बर्बाद होंगी ही, कर्ज के बोझ तले किसान की रीढ़ भी टूट जाएगी नुकसान का इलाज? नहर बनाओ, राहत पाओ! किसानों का एक ही जवाब है: “अधूरी नहर अब बर्बादी की रेखा बन गई है। “दादूपुर-नलवी नहर अगर समय पर और व्यवस्थित तरीके से बनाई गई होती, तो आज यह नौबत नहीं आती। हालांकि अब इसकी दिशा भटक गई है, लेकिन पानी को सही दिशा में ले जाना जरूरी है। खेत तालाब बन गए हैं, जहां पानी की निकासी नहीं हो रही है। नुकसान का हिसाब आंकड़ों से नहीं, आंसुओं से लगाओ! सरकार जब कोई योजना बंद करती है तो सिर्फ अपने बजट पर विचार करती है। लेकिन किसानों को खेतों में डूबता अपना भविष्य नजर आता है। – सैकड़ों एकड़ फसल बर्बाद। हजारों किसानों की मेहनत बर्बाद और आने वाली फसल का कोई भरोसा नहीं। भाषण से नहीं, नहर से बचेगी फसल! यह समस्या राजनीति से परे है। यह धरती और जीवन का सवाल है। किसानों को सहानुभूति नहीं, व्यवस्था चाहिए। सरकार को अब यह समझ लेना होगा कि परियोजनाओं को अधूरा छोड़ना सिर्फ कागजी गलती नहीं है, बल्कि किसी और की जिंदगी के लिए यह बेहद भयानक हो सकती है। अभी सवाल यह नहीं है कि दादूपुर-नलवी नहर कब बनी, बल्कि सवाल यह है कि क्या इसका जीर्णोद्धार होगा या किसान हर साल इस जलभराव में डूबते रहेंगे? अब वक्त है पन्नों से बाहर निकलकर विषयों पर बात करने का। अगर अभी नहर नहीं बनी तो कल किसान जिंदा नहीं बचेंगे।
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News Editor-( Jyoti Parjapati)