Deaths in violence : थाईलैंड-कंबोडिया सीमा संघर्ष: हजारों नागरिकों की पलायन, हिंसा में मौतें

1. संघर्ष की नवीनतम तस्वीर और विस्थापन का दायरा
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच सीमा पर हालिया हिंसा अब तक की सबसे भयावह स्थति में तब्दील हो चुकी है। दोनों देशों के सैनिक टैंकों,िएल्ब्यूएम-21 रॉकेट सिस्टम और F‑16 विमान तक का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस संघर्ष में अब तक 14 से 16 लोग मारे जा चुके हैं, जिसमें अधिकतर नागरिक एवं सैनिक शामिल हैं। इतना ही नहीं, थाईलैंड की चार सीमावर्ती प्रांतों की लगभग 1,00,000 से 1,30,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं और उन्हें अस्थायी आश्रयों में रखा गया है।
2. दीर्घकालीन सीमा विवाद की जड़ें और वर्तमान विवाद की तूल
यह संघर्ष उन विवादित क्षेत्रों को लेकर है जहाँ फ्रांसीसी औपनिवेशिक काल से सीमांकन विवाद बना हुआ था। विशेष रूप से प्राए विएर मंदिर और टा मुएन थॉम जैसे धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों को लेकर दोनों देशों में टकराव गहरा रहा है। हाल की हिंसा 24 जुलाई को शुरू हुई जब थाई सैनिकों ने कथित रूप से कंबोडियाई सैनिकों द्वारा रॉकेट और ड्रोन की वापसी के निशान देखे। बाद में दोनों ओर से भारी हथियारों से जवाबी कार्रवाई की गई।
दोनों देश एक-दूसरे पर संघर्ष की शुरुआत का आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। थाईलैंड ने कहा कि कंबोडियाई बलों ने पहले आग खोली, जबकि कंबोडिया ने थाईलैंड पर अकारण सैन्य आक्रमण का आरोप लगाया।
3. मानवता पर असर: नागरिक जीवन, अर्थव्यवस्था व सुरक्षा को भारी झटका
इस त्वरित हिंसा का असर आम जनजीवन पर भारी पड़ा है। थाईलैंड की सीमा सुलियत प्रांत सहित कई गांवों को खाली करा दिया गया। लोग विस्थापित होकर अस्थायी आश्रयों में चले गए, जहाँ खाने, रहने और चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान किया गया। कंबोडिया में भी लगभग 20,000 लोग आंतरिक विस्थापित हो चुके हैं।
आर्थिक दृष्टि से भी इससे भारी प्रभाव पड़ा है—सीमा बंद होने के कारण व्यापार बंद, ग़ैर-ज़रूरी प्रवासियों की संख्या घटना, और पर्यटन व स्थानीय व्यवसाय अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। कंबोडिया में फल, सब्जी, पेट्रोलियम आयात रोक दिया गया, जबकि थाईलैंड ने कंबोडियाई वाहन पर पाबंदी लगा दी।
4. अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता एवं आगे का सुरक्षित मार्ग
कम्बोडिया के प्रधानमंत्री हों मानेत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने की मांग की है, जहाँ इस संकट का विवेचन होने की संभावना है। अमेरिकी, चीन, EU समेत ASEAN देशों ने दोनों देशों से तनाव समाप्ति व नागरिक सुरक्षा का आग्रह किया है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने संयम की अपील की है।
वैश्विक स्तर पर भी इस संघर्ष की गंभीरता को देखते हुए कूटनीतिक प्रयास तेज हो रहे हैं। हालांकि थाई सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वे द्विपक्षीय बातचीत को प्राथमिकता देंगे। वहीं कंबोडिया ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में पुनः मामला उठाया है।
निष्कर्ष: अब केवल सैन्य टकराव नहीं, सामरिक और राजनीतिक चुनौती
थाईलैंड और कंबोडिया का यह संघर्ष केवल सीमाविवाद से बढ़ कर तबाही और विस्थापन का रूप ले चुका है। तकनीकी शक्तियों की युद्ध शैली—हथियार, विमानों और नागरिक लक्ष्यों पर हमले—इस संघर्ष को उच्च स्तर पर लेकर गए हैं। एक लाख से अधिक विस्थापन और दर्जनों की मानव हानि ने स्थिति को गम्भीर बना दिया है।
अब इस संघर्ष का समुचित निवारण राजनीतिक संवाद, सैन्य संयम और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता से संभव है। यदि दोनों देश युद्ध की राह चुनते हैं, तो यह क्षेत्रीय स्थायित्व और मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। समय की मांग है कि युद्ध की बजाय शांति के लिए दरवाजे खुले रहें—ताकि पीड़ितों को राहत मिले और इस पुरातनी सीमा विवाद को समाप्ति की ओर ले जाया जाए।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)