Deep resentment : कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के विवादित बयान पर महिला आयोग ने जताया गहरा आक्रोश

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग
- उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबीता चौहान ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य द्वारा 25‑साल की अविवाहित महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। महिला आयोग ने इस मामले को संज्ञान लेने की घोषणा की है, जिसमें आयोग ने स्पष्ट किया कि यह बयान महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाला है। माफी माँगना पर्याप्त नहीं, बल्कि गंभीर कार्रवाई की जानी चाहिए। बबीता चौहान ने कहा कि या तो अनिरुद्धाचार्य में बुद्धि की कमी है, या कम उम्र में मिली शोहरत उन्हें संभालने में सक्षम नहीं बनाई है ।
संदिग्ध टिप्पणी और व्यापक विरोध
- वृंदावन स्थित गौरी गोपाल आश्रम में आयोजित एक धार्मिक सभा में कथावाचक ने कहा कि “पंद्रह-चौबीस की लड़कियाँ शादी तक ‘मुंह मार चुकी’ होती हैं” और सुझाव दिया कि माता-पिता को लड़कियों की शादी 14‑15 वर्ष की उम्र में कर देना चाहिए ताकि वे परिवार में आसानी से घुल-मिल जाएँ । इसके बाद मथुरा की महिला अधिवक्ताओं ने एसएसपी से शिकायत करते हुए कथित कथावाचक के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। महानगर बार एसोसिएशन ने कथावाचक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्णय लिया और समिति गठित की है जो मामले की जांच कर रिपोर्ट सौंपेगी ।
महिला आयोग की प्रतिक्रिया और कार्रवाई की चेतावनी
- बबीता चौहान ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य के बयान ने महिलाओं और बेटियों को अपमानित किया है। उनका कहना है कि मंच पर बैठकर इतनी घटिया भाषा का प्रयोग अस्वीकार्य है, विशेष रूप से जब इस कथावाचक से जुड़ी 80% ऑडियंस महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि समान रूप से महिलाओं की भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए, और केवल माफी मांग लेना इस तरह के बयान की गंभीरता को कम नहीं करेगा।
कथावाचक की सफाई और सवाल उठते नीयत पर
- अख़बारों के अनुसार अनिरुद्धाचार्य ने वीडियो जारी कर आत्म-देखरेख दी, यह दावा करते हुए कि वीडियो में छेड़छाड़ की गई है और उन्होंने ऐसा बयान सभी महिलाओं के लिए नहीं दिया, केवल कुछ विशिष्ट लड़कियों के संदर्भ में उल्लेख किया था। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाने का नहीं था । किन्तु महिला आयोग और अधिवक्ताओं ने कहा है कि यह सफाई स्वीकार्य नहीं और कथावाचक की मंशा पर गंभीर प्रश्न यह विवाद खड़े करते हैं।
- निष्कर्षतः, यह मामला महिलाओं की गरिमा, संरक्षण और सम्मान का है। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का बयान केवल व्यक्तिगत विचार नहीं, बल्कि समाज में ग़लत संदेश फैलाने वाला एक सार्वजनिक एवं संवेदनशील मुद्दा बन गया है। अब यह देखना है कि महिला आयोग, पुलिस अथवा न्यायालय इस मामले में कितनी त्वरित और गंभीर कार्रवाई करते हैं।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)