DGP: जामवाल ने सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान से संबंध होने का सनसनीखेज दावा किया

लद्दाख के पुलिस महानिदेशक (DGP)
- एस.डी. सिंह जामवाल ने शनिवार को लेह में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान एक सनसनीखेज आरोप प्रस्तुत किया कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को “राज्य का दर्जा” दिलाने की मांग की मुहिम का नेतृत्व कर रहे सामाजिक पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक पाकिस्तान से जुड़े हैं। उन्होंने दावे किए कि वांगचुक न केवल पाकिस्तान से संबंध रखते हैं, बल्कि उनकी पड़ोसी देशों — विशेषकर पाकिस्तान और बांग्लादेश — की यात्राओं पर संदेह है। जामवाल ने यह भी बताया कि पुलिस ने हाल ही में एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी को गिरफ्तार किया है, जो कथित रूप से वांगचुक के संपर्क में था और भारत से जानकारी इकट्ठा कर इस्लामाबाद भेज रहा था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में DGP जामवाल ने कहा कि
- उनके पास रिकॉर्ड है जिसमें यह दर्शाया गया है कि उक्त पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी भारत से सामग्री एकत्र कर रहा था और उन्हें भेज रहा था। उन्होंने यह भी जिक्र किया कि वांगचुक ने पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार डॉन के एक कार्यक्रम में भाग लिया था, और उन्होंने बांग्लादेश की यात्रा भी की थी — इस तरह की यात्राएँ और उनकी गतिविधियाँ “बड़ा सवालिया निशान” पैदा करती हैं। जामवाल ने यह आरोप लगाया कि वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग, नेपाल तथा बांग्लादेश का हवाला दिया, और उनका संपूर्ण इतिहास और प्रोफ़ाइल सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक पर विदेशी फंडिंग और FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) उल्लंघन की जांच हो रही है।
जामवाल ने यह भी आरोप लगाया कि
- 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा एवं प्रदर्शन, जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई और कई अन्य घायल हुए, का “प्रमुख प्रेरक” वांगचुक ही थे। उन्होंने कहा कि इस हिंसा ने केंद्र और लद्दाख के नेतृत्व के बीच चल रही वार्ता प्रक्रिया को बाधित किया। वे यह तर्क दे रहे हैं कि वांगचुक ने भूख हड़ताल के दौरान भी उन तरीकों का उपयोग किया कि शांतिपूर्ण आंदोलन से हिंसा की ओर माहौल बदला जाए। उन्हें गिरफ्तार कर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत जोधपुर जेल भेज दिया गया है।
जिन बिंदुओं पर जामवाल ने खास जोर दिया, वे निम्नलिखित हैं:
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पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी की गिरफ्तारी: उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने एक पाकिस्तानी PIO (Persons of Indian Origin / प्रति अनुसार “पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी”) को गिरफ्तार किया है, जो वांगचुक के संपर्क में था और रिपोर्ट इस्लामाबाद भेज रहा था।

DGP: जामवाल ने सोनम वांगचुक पर पाकिस्तान से संबंध होने का सनसनीखेज दावा किया ? -
विदेश यात्राएँ एवं कार्यक्रम: जामवाल ने वांगचुक की विदेश यात्राओं — विशेष रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश — एवं पाकिस्तान के डॉन अखबार कार्यक्रम में उनकी भागीदारी को संदिग्ध बताया। उकसावे और भाषणों का इतिहास: उन्होंने कहा कि वांगचुक के भाषणों में उन्होंने “अरब स्प्रिंग, नेपाल, बांग्लादेश” आदि का संदर्भ दिया, जो एक प्रेरक प्रयास हो सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक का सार्वजनिक इतिहास और गतिविधियाँ YouTube आदि पर उपलब्ध हैं। वित्तीय एवं फंडिंग जांच: जामवाल ने यह भी कहा कि वांगचुक की संस्थाओं पर FCRA उल्लंघन की जांच हो रही है और विदेशी फंडिंग स्रोतों की जांच की जा रही है।
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हिंसा और आंदोलन की प्रक्रिया पर असर: उन्होंने तर्क दिया कि वांगचुक ने आंदोलन की प्रक्रिया को प्रभावित किया, वार्ता को बाधित किया, और आंदोलन को हिंसक स्वरूप देने का प्रयास किया।
हालाँकि, इस तरह के दावों पर ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण पक्ष हैं:
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अभी तक इन दावों की सार्वजनिक रूप से पुष्टि नहीं हुई है। जामवाल ने कहा कि “मामले की जांच जारी” है।
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वांगचुक की पत्नी गितांजलि अँगमो ने इन आरोपों को “झूठी प्रचार रणनीति” करार दिया है और कहा है कि कई एजेंसियों (CBI, IB, IT, आदि) ने अब तक कोई ठोस सबूत नहीं पाया।
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विपक्षी और नागरिक समाज ने यह प्रश्न उठाया है कि क्या यह आरोप राजनीतिक या रूप से लक्षित है, और क्या इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी और आंदोलन के अधिकार के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।
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जितनी भी जानकारी सत्ताधारित उपकरणों और मीडिया से बाहर आई है, उसमें विश्लेषक यह कहते हैं कि इस तरह के आरोपों पर “साफ एवं प्रमाण‑आधारित पब्लिक खुलासा” होना चाहिए, ताकि जनता को पता हो सके कि दावे कितने विश्वसनीय हैं।
इस पूरे घोल-मोल की पृष्ठभूमि यह है कि लद्दाख में राज्य का दर्जा देने तथा उसे छठे अनुसूची (Sixth Schedule) के तहत विशेष संवैधानिक सुरक्षा देने की मांग को लेकर बार-बार आंदोलन हो रहा है। वांगचुक इस मांग के प्रमुख चेहरे बने हुए थे। इस समय उनकी गिरफ्तारी, उन पर लगे आरोप एवं पुलिस द्वारा उठाए गए सुराग—इन सभी का भविष्य में कैसे विश्लेषण किया जाता है, वह इस पूरे विवाद की संवेदनशीलता और गंभीरता को दर्शाता है।
अगर आप चाहें, तो मैं इस विषय पर तटस्थ विश्लेषण लिख सकता हूँ — जिसमें दावों की वैधता, प्रमाणों की स्थिति, संभावित राजनीतिक या न्यायिक इंटरेस्ट, और अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिहाज से समीक्षा शामिल होगी। क्या आप चाहेंगे कि मैं वह विश्लेषण तैयार कर दूँ?
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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