Divine Center for Redemption : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: आस्था, चमत्कार और पाप मुक्ति का दिव्य केंद्र ?

Divine Center for Redemption : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: आस्था, चमत्कार और पाप मुक्ति का दिव्य केंद्र

Divine Center for Redemption : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: आस्था, चमत्कार और पाप मुक्ति का दिव्य केंद्र
Divine Center for Redemption : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: आस्था, चमत्कार और पाप मुक्ति का दिव्य केंद्र

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा?

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक शहर से लगभग 30 किलोमीटर दूर त्र्यंबक गांव में स्थित है. इस मंदिर का नाम त्र्यंबकेश्वर इसलिए पड़ा क्योंकि ये तीन पहाड़ों ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और कालगिरी से घिरा हुआ है. साथ ही, गोदावरी नदी यहां से शुरू होती है, जो इसे और भी खास बनाती है. शिव पुराण की श्रीकोटिरुद्र संहिता के 42वें अध्याय के अनुसार, त्र्यंबक भगवान शिव का आठवां अवतार है. भगवान शिव के त्र्यंबक रूप की उत्पत्ति गोतमी नदी के किनारे ऋषि गौतम की प्रार्थना और कामना से हुई थी.

कथा के अनुसार, बहुत समय पहले

गौतम ऋषि नाम के एक बड़े तपस्वी थे. वो अपनी पत्नी अहिल्या के साथ जंगल में रहते थे और तपस्या करते थे. जहां गौतम ऋषि रहते थे, उस इलाके में लंबे समय तक बारिश नहीं हुई थी. सूखा पड़ गया था. तब गौतम ऋषि ने भगवान वरुण से वहां पानी की कमी दूर करने की प्रार्थना की थी. वरुण देव प्रसन्न हुए और उन्होंने गौतम ऋषि को एक गड्ढा खोदने को कहा. जैसे ही गौतम ऋषि ने गड्ढा खोदा, उसमें से पानी की धारा फूट पड़ी. ये धारा गोदावरी नदी की शुरुआत थी. अब, इस चमत्कार से गौतम ऋषि की ख्याति और बढ़ गई. आस-पास के कुछ ऋषियों को ये अच्छा नहीं लगा कि गौतम ऋषि इतने पूजनीय हो रहे हैं. उन्होंने गौतम ऋषि के खिलाफ षड्यंत्र रचा. उन्होंने गौतम ऋषि के आश्रम में एक गाय को भेजा, जो उनके खेतों में घुस गई. जब गौतम ऋषि ने गाय को हटाने की कोशिश की तो गलती से गाय की मृत्यु हो गई. फिर ये बात पूरे गांव में फैल गई कि गौतम ऋषि से गौ-हत्या का पाप हो गया है. गौतम ऋषि बहुत दुखी हो गए. सभी ने गौतम ऋषि से कहा कि इस हत्या के पाप का प्रायश्चित करने के लिए देवी गंगा को यहां लाना पड़ेगा

उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की

कि वो इस पाप से मुक्ति दिलाएं. गौतम ऋषि ने ब्रह्मगिरी पर्वत पर घोर तप किया. आखिरकार, शिवजी प्रकट हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा. इसके बाद ऋषि गौतम ने शिवजी से देवी गंगा को उस स्थान पर भेजने का वरदान मांगा. देवी गंगा ने कहा कि अगर शिवजी भी उस स्थान पर ज्योति रूप में रहेंगे, तभी वह भी वहां रहेंगी. गंगा की बात सुनकर शिवजी ने त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ लिंग रूप में वहां रहने का निर्णय लिया. इसके बाद गंगा नदी गौतमी (गोदावरी) के रूप में वहां बहने लगी. इस तरह त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति हो गई.

Divine Center for Redemption : त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग: आस्था, चमत्कार और पाप मुक्ति का दिव्य केंद्र
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क्यों खास है त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग?

यह ज्योतिर्लिंग बहुत ही खास है क्योंकि इस ज्योतिर्लिंग में तीन मुख हैं, जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माने जाते हैं. आज भी लोग यहां पापों से मुक्ति, मन की शांति और आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं. खासकर, कुंभ मेले के समय तो ये जगह और भी खास हो जाती है.

यहां कैसे पहुंचे?

रेल मार्ग- अगर आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं तो आपको सबसे पहले दिल्ली से मुंबई की ट्रेन लेनी होगी, जो 27 घंटे का सफर रहेगा. फिर, मुंबई पहुंचने के बाद वहां से आपको नासिक जाने के लिए ट्रेन मिल जाएगी, जो 2 घंटे 17 मिनट तक का सफर रहेगा. उसके बाद नासिक सेंट्रल बस स्टैंड से आपको त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिए बस मिल जाएगी यानी नासिक से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग लगभग 28 किमी. है.  हवाई मार्ग- ​​​​​​त्र्यंबकेश्वर का निकटतम हवाई अड्डा ओझार हवाई अड्डा है, जो लगभग 56 किमी दूर है. दिल्ली-एनसीआर से यात्रा करने वालों के लिए मुंबई का छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा एक अच्छा विकल्प है, जो त्र्यंबकेश्वर से लगभग 180 किमी दूर स्थित है. इसके अलावा, नासिक हवाई अड्डा भी एक अच्छा विकल्प है, जो त्र्यंबकेश्वर मंदिर से लगभग 30 से 40 किमी दूर है. आप इन हवाई अड्डों से टैक्सी या बस लेकर त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुंच सकते हैं.

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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