Dr Farooq : लाल किला जांच में डॉक्टर फारूक से पूछताछ उपकरण जब्त, कॉलेज व्यवहार सामान्य बताया गया

दिल्ली पुलिस द्वारा लाल किला ब्लास्ट से जुड़े मामले की जांच एक बार फिर तेज कर दी गई है। इसी सिलसिले में पुलिस ने उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज में कार्यरत एक डॉक्टर, डॉ. फारूक अहमद डार, को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार यह पूछताछ जांच के दौरान प्राप्त कुछ इनपुट्स के आधार पर की जा रही है, हालांकि अभी तक इसके बारे में आधिकारिक रूप से विस्तृत जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है।
डॉ. फारूक मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं और पिछले लगभग एक वर्ष से हापुड़ में स्थित जीएस मेडिकल कॉलेज में कार्यरत थे। कॉलेज प्रशासन के मुताबिक वे छह अप्रैल 2024 से स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (Obstetrics & Gynecology) में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर सेवा दे रहे थे। इस अवधि में उनका व्यवहार संतुलित और सामान्य रहा तथा उनके कार्य के संबंध में किसी प्रकार की शिकायत सामने नहीं आई।
शैक्षिक पृष्ठभूमि और पेशेवर कार्यकाल
डॉ. फारूक ने हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई की है। कॉलेज के कर्मचारियों और छात्रों का कहना है कि वे आमतौर पर अपने काम में व्यस्त रहते थे और मरीजों के प्रति विनम्र व्यवहार रखते थे। कॉलेज में उनकी तैनाती के दौरान स्टाफ अथवा विद्यार्थियों के साथ किसी प्रकार की विवाद या संदिग्ध गतिविधि की जानकारी सामने नहीं आई।
हापुड़ मेडिकल कॉलेज के एक वरिष्ठ कर्मचारी के अनुसार, “डॉ. फारूक शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। अपने विभागीय कार्यों में नियमित रूप से भाग लेते थे और उनकी मरीजों के बीच अच्छी प्रतिष्ठा थी।” हालांकि दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लिए जाने के बाद कॉलेज प्रशासन ने आधिकारिक रिकार्ड उपलब्ध कराने और जांच में सहयोग करने की बात कही है।
जांच का दायरा और पुलिस की कार्रवाई
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल पिछले कई महीनों से लाल किला ब्लास्ट से जुड़े सुरागों की गहनता से जांच कर रही है। जांच के दौरान कुछ तकनीकी इनपुट्स और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विश्लेषण में ऐसे संकेत मिले, जिनके आधार पर पुलिस ने अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उसके पूर्व छात्रों से जुड़े कुछ लोगों की गतिविधियों की जांच का दायरा बढ़ाया है।
इसी क्रम में डॉ. फारूक को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस सूत्रों के अनुसार उनके पास से एक लैपटॉप और एक पेन ड्राइव जब्त की गई है, जिन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। यह स्पष्ट नहीं है कि इन इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में क्या सामग्री मिली है, लेकिन जांच एजेंसियों का कहना है कि यह पूछताछ “रूटीन प्रक्रिया” का हिस्सा है।
जांच से जुड़े अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि हिरासत में लेने का अर्थ यह नहीं है कि व्यक्ति किसी अपराध में दोषी साबित हो चुका है। कई बार जांच आगे बढ़ाने और घटनाओं की सत्यता पता लगाने के लिए संदिग्ध या सम्बंधित व्यक्तियों से पूछताछ आवश्यक होती है।

कॉलेज परिसर में हलचल और प्रतिक्रियाएँ
डॉ. फारूक को हिरासत में लिए जाने की सूचना मिलते ही जीएस मेडिकल कॉलेज परिसर में हलचल बढ़ गई। कई छात्रों और स्टाफ सदस्यों ने इसे अचानक और हैरान करने वाली घटना बताया। विभाग के कुछ कर्मचारियों का कहना था कि डॉ. फारूक के दैनिक व्यवहार से कभी कोई संदेहजनक संकेत प्राप्त नहीं हुए।
कॉलेज प्रशासन ने एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि वे जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए किसी भी प्रकार की अटकलों से बचने की अपील की है। प्रशासन ने यह भी बताया कि डॉ. फारूक के विरुद्ध कॉलेज में कभी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं हुई।
आतंकी संगठन से संबंध की आशंका—जांच जारी
जांच एजेंसियों की ओर से यह आशंका व्यक्त की गई है कि कुछ पुराने संपर्कों या ऑनलाइन गतिविधियों की वजह से डॉ. फारूक से पूछताछ की आवश्यकता पड़ी। यह साफ किया गया है कि अभी तक यह मात्र “आशंका” है, और किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले विस्तृत डिजिटल, तकनीकी और पृष्ठभूमि संबंधी जांच की जाएगी।
आतंकी संगठनों से जुड़ाव के संदर्भ में पुलिस ने कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। यह कहा जा रहा है कि जांच के दौरान उनके अतीत से जुड़े कुछ पहलुओं की पुष्टि की जानी आवश्यक है। जब्त किए गए उपकरणों की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट आने के बाद स्थिति और स्पष्ट होगी।
परिवार और स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
डॉ. फारूक के परिचितों और सहकर्मियों ने बताया कि वे सामान्य जीवन जीने वाले व्यक्ति थे और किसी भी तरह की कट्टरपंथी गतिविधि में शामिल होने की जानकारी कभी सामने नहीं आई। उनके परिवार ने भी कहा कि वे कानून का सम्मान करते हैं और जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करेंगे।
जांच आगे कहाँ जाएगी?
लाल किला ब्लास्ट से जुड़े मामले में पहले भी कई लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कुछ गिरफ्तारियाँ भी हुई हैं। चूँकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए जांच एजेंसियाँ कोई जोखिम उठाने के पक्ष में नहीं हैं।
डॉ. फारूक से संबंधित जांच अभी शुरुआती चरण में है और पुलिस ने स्पष्ट किया है कि किसी भी ठोस प्रमाण के बिना किसी को दोषी नहीं माना जाना चाहिए। आगे की जांच और फोरेंसिक विश्लेषण के आधार पर ही स्थिति स्पष्ट होगी।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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