Emphasis on need : कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे क्षेत्र की एकमात्र राहत: 21-बैंड मशीन की आवश्यकता पर ज़ोर ?

Emphasis on need : कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे क्षेत्र की एकमात्र राहत: 21-बैंड मशीन की आवश्यकता पर ज़ोर

Emphasis on need : कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे क्षेत्र की एकमात्र राहत: 21-बैंड मशीन की आवश्यकता पर ज़ोर ?
Emphasis on need : कमजोर नेटवर्क से जूझ रहे क्षेत्र की एकमात्र राहत: 21-बैंड मशीन की आवश्यकता पर ज़ोर ?

स्थानीय लोगों को भारी दिक्कत, नेटवर्क का संकट बना रोजमर्रा की चुनौती

  • वर्तमान समय में संचार एक बुनियादी आवश्यकता बन चुका है। मोबाइल नेटवर्क की स्थिरता अब केवल बात करने तक सीमित नहीं रही, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार और आपातकालीन सेवाओं से लेकर डिजिटल लेन-देन तक, हर क्षेत्र इससे जुड़ा हुआ है। लेकिन दुर्भाग्यवश, कुछ ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में अभी भी मोबाइल नेटवर्क की स्थिति बेहद दयनीय बनी हुई है। ऐसे ही एक क्षेत्र में, जहां फिलहाल केवल 7-बैंड की मशीन से बीएसएनएल का टावर संचालित किया जा रहा है, वहां के नागरिक रोजमर्रा की नेटवर्क समस्याओं से त्रस्त हैं। स्थानीय निवासी फरमान भाई और अन्य जागरूक नागरिकों ने यह महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है कि 7-बैंड की मशीन वर्तमान क्षेत्र की भौगोलिक और जनसंख्या जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही। नेटवर्क कभी आता है, कभी पूरी तरह से चला जाता है, जिससे लोग आवश्यक कार्य समय पर नहीं कर पाते और उनका भरोसा नेटवर्क सेवा पर से उठता जा रहा है। खासकर छात्रों और ऑनलाइन कार्य करने वाले युवाओं को इसका सबसे अधिक नुकसान हो रहा है।

तकनीकी असंतुलन और 7-बैंड मशीन की सीमाएं

  • 7-बैंड की मशीन सीमित क्षमता के साथ आती है, और यह मशीन अपेक्षाकृत छोटे या कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों के लिए डिज़ाइन की गई होती है। लेकिन जब इसका उपयोग घनी आबादी, बहु-उपयोगकर्ता और विविध भौगोलिक परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में किया जाता है, तो यह मशीन अपनी क्षमता से अधिक लोड नहीं सह पाती। इसके कारण दो मुख्य समस्याएं पैदा होती हैं – पहली, नेटवर्क की अस्थिरता। कभी कॉल कनेक्ट नहीं होती, कभी इंटरनेट नहीं चलता, और कई बार नेटवर्क पूरी तरह से गायब हो जाता है। दूसरी, सेवा की गुणवत्ता पर असर। धीमी इंटरनेट स्पीड, कॉल ड्रॉप, वीडियो स्ट्रीमिंग में बाधा जैसी समस्याएं रोजमर्रा का हिस्सा बन जाती हैं। विशेषज्ञों की राय में, जब किसी क्षेत्र में उपभोक्ता की संख्या बढ़ जाती है, या जहां भौगोलिक बाधाएं (जैसे ऊंचे भवन, घनी हरियाली, पहाड़ी क्षेत्र) होती हैं, वहां उच्च क्षमता वाली 21-बैंड मशीन ही उपयुक्त रहती है। यह मशीन मल्टी-फ्रीक्वेंसी सपोर्ट करती है और एक साथ कई कनेक्शनों को संभाल सकती है।

स्थानीय जागरूकता और जनहित में पहल की आवश्यकता

  • फरमान भाई जैसे नागरिकों ने इस मुद्दे को जिस तरह से सामने रखा है, वह सराहनीय है। अब जरूरत है कि इस जनजागृति को औपचारिक रूप दिया जाए। नागरिकों को संगठित होकर बीएसएनएल के संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए, ज्ञापन देना चाहिए और तकनीकी टीम को क्षेत्र का भौतिक निरीक्षण कराने हेतु आमंत्रित करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां डिजिटल शिक्षा, बैंकिंग सेवाएं, और सरकारी योजनाएं अब मोबाइल नेटवर्क पर आधारित हैं, वहां नेटवर्क की खराबी सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि एक बड़ी बाधा है। इसके समाधान के लिए बीएसएनएल को तत्काल 21-बैंड मशीन लगाने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। कई बार देखा गया है कि अधिकारी फील्ड की वास्तविक स्थिति से अनभिज्ञ होते हैं, और केवल कागजों पर रिपोर्ट देखकर निर्णय लेते हैं। ऐसे में क्षेत्रीय प्रतिनिधि, जनप्रतिनिधि और आम नागरिकों को मिलकर ज़मीनी हकीकत को सामने लाना होगा। क्षेत्र का तकनीकी सर्वे कराया जाए, ट्रैफिक डेटा बीएसएनएल मुख्यालय भेजा जाए, और यह सिद्ध किया जाए कि 7-बैंड मशीन यहां अपर्याप्त है।

सरकारी योजनाओं और ‘डिजिटल इंडिया’ मिशन की सफलता के लिए मजबूत नेटवर्क अनिवार्य

  • भारत सरकार का “डिजिटल इंडिया” मिशन इस विचार पर आधारित है कि देश का हर नागरिक डिजिटल रूप से सक्षम हो, और सरकारी सेवाएं मोबाइल के जरिए हर घर तक पहुंचे। लेकिन अगर नेटवर्क ही स्थिर न हो, तो डिजिटल इंडिया सिर्फ एक नारा बनकर रह जाएगा। चाहे वह डिजिटल भुगतान हो, डिजिलॉकर से दस्तावेज़ डाउनलोड करना हो, ऑनलाइन कक्षाएं हो, टेलीमेडिसिन सेवा हो, या किसान पोर्टल से जुड़ी जानकारी प्राप्त करनी हो – हर कार्य नेटवर्क पर आधारित है। यदि कोई छात्र ऑनलाइन परीक्षा दे रहा हो और नेटवर्क बीच में चला जाए, तो उसका भविष्य संकट में आ सकता है। यदि कोई मरीज डॉक्टर से वीडियो कॉल पर बात कर रहा हो और नेटवर्क गायब हो जाए, तो इलाज में देरी हो सकती है। यह स्थिति अस्वीकार्य है। इसलिए यह केवल तकनीकी अपग्रेड का मामला नहीं, बल्कि नागरिक अधिकार और समावेशी विकास से जुड़ा विषय है। 21-बैंड मशीन की स्थापना अब विलासिता नहीं, एक ज़रूरत बन गई है।

निष्कर्ष: 21-बैंड मशीन की स्थापना में ही है समाधान

  • उपरोक्त विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि मौजूदा 7-बैंड मशीन अब इस क्षेत्र की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रही है। बार-बार नेटवर्क के गायब होने की स्थिति, अस्थिर कॉल कनेक्टिविटी और धीमी इंटरनेट स्पीड ने आम जनता की ज़िंदगी को प्रभावित किया है। अब वक्त है कि बीएसएनएल अपनी ज़िम्मेदारी समझे और इस क्षेत्र को उपयुक्त नेटवर्क सुविधा प्रदान करे। इसके लिए पहला और सबसे प्रभावी कदम यही होगा कि यहां तुरंत 21-बैंड मशीन स्थापित की जाए। स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि, बीएसएनएल अधिकारी और क्षेत्रवासी सभी मिलकर इस मांग को गंभीरता से उठाएं ताकि आने वाले दिनों में क्षेत्र के नागरिक एक स्थिर, सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाली संचार सेवा का लाभ ले सकें। क्योंकि “सशक्त नागरिक वही होता है, जिसके पास सशक्त संचार व्यवस्था होती है।”

हमारे आदर वेबसाइट जैसे युटुब, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, इत्यादि लिंक पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। लाइक, शेयर, सब्सक्राइब, करना करना ना भूले और अगर आपको लगता है कुछ एडवाइस देना चाहे तो वह भी सेंड करें।
follow us on
http://www.youtube.com/@AndekhiKhabarNews
https://www.facebook.com/profile.php?id=61562253072823
https://www.instagram.com/sa_chinkumar1185/
https://andekhikhabar.com/
https://x.com/home

News Editor- (Jyoti Parjapati)

Check Also

Demand for action : हापुड़ में घायल नीलगाय का अंतिम संस्कार, गौ सेवा संघ ने की तत्काल कार्रवाई की मांग ?

Demand for action : हापुड़ में घायल नीलगाय का अंतिम संस्कार, गौ सेवा संघ ने की तत्काल कार्रवाई की मांग ?

Demand for action : हापुड़ में घायल नीलगाय का अंतिम संस्कार, गौ सेवा संघ ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *