Expressed displeasure : रेल बजट में बिहार-बंगाल को प्राथमिकता, महाराष्ट्र की उपेक्षा पर सांसद ने जताई नाराज़गी

महोदया, मैंने लालू प्रसाद जी के अन्तरिम रेल बजट और ममता जी के रेल बजट को ध्यानपूर्वक पढ़ा है। ये दोनों ही यूपीए के बजट हैं, केवल मंत्री बदले हैं, लेकिन जब यूपीए का बजट लालू प्रसाद जी ने रखा तो उनका लक्ष्य, उनका ध्यान केवल बिहार की ओर था और जब रेल बजट ममता जी ने रखा तो उनका ध्यान केवल बंगाल की ओर है। हर साल रेल मंत्री बदलते हैं और वे केवल अपने प्रदेश की ही चिन्ता करते हैं। क्या कभी महाराष्ट्र का भी मौका आने वाला है या नहीं? हमारे विलासराव जी को जो मंत्रालय मिला है, भारी उद्योग मंत्रालय, उसे बदलना चाहिए। क्या आप अन्य प्रदेशों की चिन्ता करेंगे या नहीं? केवल बिहार और बंगाल पूरा देश नहीं हैं। पूरे भारत के सभी प्रदेशों का प्रतिबिंब, सभी प्रदेशों की आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति रेल बजट में होनी चाहिए थी, लेकिन वह नहीं है। मैं आशा करता हूं कि जब मंत्री जी इसका जवाब देंगी तो अपने प्रस्तावों में सुधार करके, सभी प्रदेशों की मांगों के लिए परिवर्तन करके बजट में लाने की कोशिश करेंगी, तो मैं उनका स्वागत करूंगा। लालू जी का बजट लोक सभा चुनाव को नजर में रखते हुए था, कितने रेलवे स्टेशन्स, कितनी फास्ट ट्रेन्स घोषित हुईं, लेकिन वे शुरू नहीं हुईं और आज ममता जी का जो रेल बजट है, वह पश्चिम बंगाल के चुनाव को नजर में रखते हुए लाया गया है। हमारे महाराष्ट्र में भी चुनाव होने वाले हैं। महाराष्ट्र पर बहुत अन्याय हुआ है। महाराष्ट्र में कोई नया रेलवे मार्ग, कोई नया इलेक्ट्रिफिकेशन प्रोजेक्ट शुरू करने का प्रस्ताव नहीं है, उसके लिए कोई प्रॉविजन नहीं किया गया है। महाराष्ट्र के आठ मंत्री हैं, क्या वे इस बजट से खुश हैं? उन्होंने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, ममता जी से भेंट भी नहीं की, प्रधानमंत्री जी से भेंट भी नहीं की। हमारे प्रदेश से वरिष्ठ मंत्री श्री शरद पवार जी भी मंत्रिमंडल में हैं। अगर वह इस बजट से खुश हैं तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र के चुनाव को नजर में रखते हुए सत्ताधारी पार्टी भी उसके लिए मांग करे। मैं यह मांग करूंगा कि शरद पवार जी मांग करें कि महाराष्ट्र के लिए रेल बजट में प्रॉविजन किया जाए, नहीं तो वह सरकार से समर्थन वापस लें। लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे।…( व्यवधान) दत्ता मेघे जी, शरद पवार जी के लिए आपकी भावना मुझे मालूम है।…( व्यवधान)
अध्यक्ष महोदया : आप इधर देखकर बोलिए।
श्री गोपीनाथ मुंडे: महोदया, शरद पवार जी ने उनको पार्टी से निकाल दिया है, इसलिए वह कांग्रेस में चले गए हैं। आज आपको उनके लिए इतना प्यार क्यों आ रहा है?…( व्यवधान)
श्री दत्ता मेघे (वर्धा): महोदया, माननीय सदस्य मुझ पर गलत आरोप लगा रहे हैं। मुझे निकाला नहीं गया है। इनको जानकारी नहीं है।…( व्यवधान)
श्री गोपीनाथ मुंडे : महाराष्ट्र को कुछ मिले या न मिले, इनकी झंडी और बत्ती बजती रहे, यही इनकी अपेक्षा है। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप महाराष्ट्र की जनता की भावना को यहां क्यों नहीं रखते हैं?…( व्यवधान)
श्री दत्ता मेघे: हमने रखा है।
श्री गोपीनाथ मुंडे: मैं और आप शरद पवार जी को जानते हैं, फिर आप उनका पक्ष क्यों ले रहे हैं।
अध्यक्ष महोदया : कृपया आप इधर देखकर अपनी बात कहिए।
श्री गोपीनाथ मुंडे: महोदया, मैं रेल मंत्री जी ने जो बातें कहीं, उनमें से एक बात का स्वागत करता हूं। उन्होंने आपके सामने, आपकी परमीशन से इस सदन के सामने एक प्रस्ताव रखा, एक सवाल रखा। एक बुनियादी सवाल उन्होंने आपके सामने रखा कि आर्थिक दृष्टि से सुविधा सम्पन्न लोगों के लिए रेलवे का विकास होना चाहिए,आर्थिक व्यावहारिकता से उनके निर्णय होने चाहिए या सामाजिक न्याय, पिछड़ेपन के आधार पर इसका निर्णय होना चाहिए। इस सवाल का जवाब उन्होंने स्वयं ही देते हुए कहा कि मैं मानती हूं कि आर्थिक प्रभावशालिता गलत है। [r6] सामाजिक न्याय, पिछड़े वर्गों को न्याय की बात जो उन्होंने कही, उससे मुझे बहुत खुशी हुई, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि उनके रेल बजट में आगे चलकर सामाजिक न्याय, पिछड़े वर्ग के लिए न्याय के लिए कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इस रेल बजट को पढ़ने के बाद मुझे ऐसा लगा कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है। उन्होंने गरीब की बात कही, सामाजिक न्याय की, पिछड़े वर्ग को न्याय देने की बात तो कही, लेकिन इसके लिए आम भारतीय को लक्ष्य बनाकर या केन्द्र बिंदु बनाकर उसके लिए कदम भी उठाने की बात होनी चाहिए। अपने रेल बजट में रेल मंत्री जी ने पृष्ठ संख्या तीन पर यह कहा कि यात्रियों की सुविधा बढ़ाई जाएगी, उनके खान-पान पर ध्यान दिया जाएगा, साफ-सफाई पर ध्यान दिया जाएगा और समय पालन किया जाएगा। मैं यह कहना चाहता हूं कि ये जो प्राथमिकताएं हैं, यह तो रेलवे का रुटीन वर्क है। लालू जी जब रेल मंत्री थे, तब वह अपने रेल बजट भाषण में ऐसी बातों को नहीं रखते थे। नए संडास लाएंगे, नए पंखे लगाएंगे, ये कोई प्राथमिकता के काम नहीं हैं। देश की अपेक्षा क्या है, देश की अपेक्षा है कि नए रेल मार्ग बनें। हमारे महाराष्ट्र में बहुत से रेल मार्ग तो निजाम ने बनाए थे। आजादी के बाद भी आज देश में कई ऐसे प्रदेश हैं, जहां लोगों ने अभी तक रेलगाड़ी नहीं देखी। मेरी मांग है कि प्राथमिकता को बदला जाए और नए रेल मार्ग बनाने को प्राथमिकता दी जाए। यह जो रेलवे का आधुनिकीकरण या विद्युतीकरण या दूसरे काम हैं, इन्हें दूसरी प्राथमिकता देनी चाहिए। देश के जो पिछड़े भाग हैं, कई ऐसे जिले हैं, जिन्होंने रेल नहीं देखी, वहां पर ध्यान देना चाहिए। रेल मंत्री जी ने अपने रेल बजट भाषण में कहा कि वह गरीब आदमियों को इज्जत देना चाहती हैं, उन आदमियों को जो आज तक ट्रेन में नहीं बैठे हैं। उनके लिए आपने 25 रुपए का पास देने की बात कही है, मैं इसका स्वागत करता हूं। लेकिन वे गरीब ट्रेन में कहां बैठेंगे, क्योंकि उनके जिले में तो रेल लाइन ही नहीं है। जिन आदिवासी एरियाज में दुर्गम स्थलों पर रेल लाइन ही नहीं है, वे आदिवासी कहां ट्रेन में बैठेंगे। क्या 25 रुपए का पास लेकर वे 200 किलो मीटर चलकर या बस में यात्रा करके ट्रेन में बैठेंगे?
श्रीमती सुषमा स्वराज 2: एम.पी. भी कैसे देगा?
श्री गोपीनाथ मुंडे:यह भी आपने कहा है कि एक एम.पी. 1500 रुपए तक कमाने वालों के लिए सिफारिश कर सकता है। यह 1500 रुपए तक की जो बात कही है, यह कोई बड़ी बात नहीं है, इसे 3000रुपए करना चाहिए था। आज नरेगा में काम करने वाले मजदूरों को हर दिन 100 रुपए काम करने के हिसाब से भी महीने में 3000 रुपए की मजदूरी मिलती है। इस तरह से नरेगा में मजदूरी करने वाला मजदूर भी आपकी’इज्जत’ स्कीम में नहीं आता। आप किसे इज्जत देना चाहती हैं? यह जो 1500 रुपए तक की आमदनी वालों को पास देने की बात है, यह पास किसी के उपयोग में नहीं आएगा। नरेगा में काम करने वाले मजदूर को भी महीने में 3000 रुपए मिलते हैं, तो क्या आप इसे बढ़ाकर 3000 रुपए नहीं कर सकतीं?
जहां तक महाराष्ट्र की बात है, नई रेल मार्गों के लिए आपने जो पहले लालू जी ने रेल बजट पेश किया था, उसमें इन्होंने 1750 करोड़ रुपए की बढ़ोत्तरी की है। लेकिन यह जो बढ़ोत्तरी की है, यह रेल मार्गों की नहीं दी है, आधुनिकीकरण को दी है, विद्युतीकरण के लिए दी है। वह पैसा अगर नए रेल मार्गों को दिया जाता, तो मैं इसका स्वागत करता।

मैं जिस चुनाव क्षेत्र बीड से आता हूं, वहां पूरे जिले में दस किलो मीटर भी रेल लाइन नहीं है। मुझे भी यहां आने के लिए 280 किलो मीटर चलकर रेलवे स्टेशन आना पड़ता है। ऐसे जिलों का आप पता लगाएं। परली-बीड-अहमदनगर रेल मार्ग को मंजूर किया गया है। उसका सर्वे करने में ही दस साल लग गए। उसका लैंड एक्वीजिशन चार साल से नहीं हो रहा है। हर साल पांच या दस करोड़ रुपए दे दिए जाते हैं। आप खुद ही समझ सकती हैं कि क्या इतने पैसे में 250 किलो मीटर का लैंड एक्वीजिशन हो सकता है। इसके अलावा और भी रेल मार्ग हैं। परली-बीड-अहमदनगर को टेक्नीकल फाइनेंशियल सेंक्शन मिला है। उसके लिए 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इतने पैसे में तो लैंड एक्वीजिशन भी नहीं हो सकता। इसलिए मैं मांग करता हूं परली-बीड और अहमदनगर, जिस चुनाव क्षेत्र से मैं जीतकर आया हूं, उस क्षेत्र के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि रखी जाए।
अध्यक्ष महोदया, जब लालू प्रसाद जी रेल मंत्री थे, तब हम उनसे शरद पवार जी के नेतृत्व में मिले थे। उस समय उन्होंने घोषणा की थी कि 200 करोड़ रुपए इस मार्ग के लिए दिए जाएंगे। लेकिन उन्होंने साथ ही एक कंडीशन भी रखी थी कि जिस रेल मार्ग पर राज्य सरकार 50 प्रतिशत खर्चा करेगी, ऐसे ही रेलमार्ग को केन्द्र सरकार अग्रमिता के आधार पर प्राथमिकता देगी।[R7] खुशी की बात है कि महाराट्र सरकार ने उन्हें खत लिखा कि परली-अहमद नगर, नांदेड़-वर्धा, मनमाड-इंदौर, यवतमाड-मुर्तीजापुर-अचलपुर, सोलापुर-उस्मानाबाद-जलगांव, जालना-खामगांव, वडसा-देसाईगंज-आरमोरी-गडचिरौली, घाटनांदूर-अंबाजागोई- ये मार्ग हैं। महाऱाट्र सरकारे ने लैटर लिखा तो रेल मंत्रालय ने कहा कि लैटर से काम नहीं चलेगा, मांग से काम नहीं चलेगा बल्कि महाराट्र के बजट में उसका प्रॉविजन होना चाहिए। अध्यक्ष महोदया, इस समय महाराट्र सरकार ने अपने बजट से 296 करोड़ रुपये का प्रॉविजन, महाराट्र के नये रेलवे मार्ग के लिए किया है। अब केन्द्र सरकार को भी 296 करोड़ रुपये देना चाहिए और उसमें प्रिओरिटी आप तय कीजिए। अगर हमारी सरकार 300 करोड़ रुपये देती है और आपकी सरकार तीन सौ करोड़ रुपये देती है तो महाराट्र के चार-पांच मार्ग उससे बन सकते हैं। महाराट्र सरकार की तैयारी है कि आगे आने वाले मार्गों के लिए भी वे खर्चा करने के लिए तैयार हैं।
अध्यक्ष महोदया, जब आठ मंत्री महाराट्र में पैसे का प्रॉविजन करा सकते हैं तो यहां क्यों नहीं करा सकते हैं, वे क्या कर रहे हैं? मुझे लगता है कि उन्हें सरकार पर दबाव बनाना चाहिए। वोट डालने का जैसे हमें अधिकार है वैसे ही विकास का भी अधिकार होना चाहिए। लेकिन वह अधिकार लोगों को नहीं मिला है।
अध्यक्ष महोदया : अब आप समाप्त कीजिए।
श्री गोपीनाथ मुंडे : अध्यक्ष महोदया, मेरा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
अध्यक्ष महोदया : पार्टी का टाइम नहीं है, इसलिए आप जल्दी समाप्त कीजिए।
श्री गोपीनाथ मुंडे: अध्यक्ष महोदया, किसानोन्मुखी परियोजना का उल्लेख किया गया। अध्यक्ष महोदया, इस परियोजना का मैं स्वागत करता हूं लेकिन यह विचार चलने वाला नहीं है। आपने अपने बजट में कहा है कि 35 से 40 हजार करोड़ रुपये घाटा होता है, किसान का बजट वही खत्म हो जाता है और उन्हें घाटा होता है। उसके लिए कोई पॉलिसी क्यों नहीं बननी चाहिए? अगर किसान और देश के 40-50 हजार करोड़ रुपये बचाए जाते हैं तो नयी ट्रेन्स के लिए और नये मार्गों के लिए पैसा उपलब्ध हो सकता है। आपने कहा है कि हम सोचेंगे लेकिन इस सोच को आप वास्तविकता में लाओ। कोल्ड स्टोरेज और ताप-नियंत्रित नाशवान कार्गो प्राइवेट और गवर्नमेंट दोनों सेक्टर्स में करें, क्योंकि सरकार के पास पैसा नहीं है और रेल बजट में रेलवे के पास भी पैसा नहीं है। अगर प्राइवेट और गवर्नमेंट पार्टनरशिप की जाए तो फायदा होगा। आज महाराट्र में प्याज है, केला है, शुगर है लेकिन उनके लिए ट्रेन्स नहीं मिलती हैं और किसान को उससे बहुत नुकसान होता है। मेरी मांग है कि आप एक एक्सपैरीमेंट करें जिसमें नासिक से मुम्बई, पुणे से मुम्बई, औरंगाबाद से मुम्बई गुड ट्रेन्स दिल्ली, मुम्बई, बंगलौर आदि मैट्रो-सिटीज के लिए शुरु करें। आप ऐसा करेंगी तो आपका स्वागत होगा।
आज मुम्बई बंद है और एक भी लोकल ट्रेन वहां नहीं चल रही है। बरसात के कारण तीन दिनों से लोकल ट्रेन्स बंद हैं। मुम्बई की लोकल ट्रेन्स में 50 लाख यात्री एक दिन में यात्रा करते हैं। रेल में यात्रा करने वाले 50 प्रतिशत लोग मुम्बई के हैं और अगर तीन दिन मुम्बई लोकल बंद होती है तो आप हालात का अंदाजा लगा सकते हैं। माननीय रेल मंत्री जी, मुम्बई की सारी लोकल ट्रेन्स आज बंद हैं। अध्यक्ष महोदया, दिल्ली के लिए मैट्रो है, कोलकाता के लिए मैट्रो है लेकिन मुम्बई के लिए मैट्रो नहीं है। हमारे माननीय अनंत कुमार जी जब वाजपेयी जी की सरकार में थे तो उन्होंने बंगलौर, हैदराबाद और मुम्बई के लिए मैट्रो की बात कही थी। मुम्बई के लिए आज तक मैट्रो क्यों नहीं है?
रेल मंत्री (कुमारी ममता बनर्जी): जब मैं एनडीए सरकार में मिनिस्टर थी, बंगलौर के लिए मैंने ही किया था। तब मुम्बई रेलवे विकास कॉरपोरेशन तैयार हुआ था।I gave the proposal to the Chief Minister of Bangalore also. Shri Ananth Kumar is here. He knows the things. For Mumbai also, it is there. That is why, the Maharashtra Government gave us the proposal. They want to set up the Mumbai Rail Vikas Corporation. It is with their organisation. Only one Metro is with us, that is, the Kolkata Metro. It is with the Indian Railways. The other Metro has gone to the Urban Development Department. That is why, Madam, it is not with us. I would have been happy to do it had it been with us.[r8] श्री गोपीनाथ मुंडे: महोदया, मैं मंत्री जी की बात को समझ गया हूं, लेकिन महाराष्ट्र सरकार अपने रिसोर्सिज़ से कितना कर पाएगी? पचास-पचास प्रतिशत की भागीदारी के साथ सभी बड़े शहरों में मेट्रो लायी जा सकती है। इसके लिए प्रयास क्यों नहीं किया जाता है? मैं चाहता हूं कि इसकी शुरूआत मुंबई से की जानी चाहिए। मुंबई में 50 लाख प्रवासी रहते हैं, लेकिन वहां पर अभी तक लोकल ट्रेन के डिब्बे नहीं बदले गए हैं। जिस डिब्बे में 50 यात्रियों के बैठने की जगह है, उसमें 210 यात्री सफर करते हैं। जानवर भी इस तरह से नहीं चलते हैं, जिस प्रकार से लोकल ट्रेन के यात्री चलते हैं। लोकल ट्रेन में कोई सुधार नहीं किया गया है, कोई नई गाड़ी और ट्रेक नहीं डाला गया है। पांच हजार करोड़ रूपये के एमयूटीपी प्रोजेक्ट से काम चलने वाला नहीं है। उसमें भी आपको प्रोविजन करना चाहिए। दिल्ली पोलीटिकल कैपिटल है और मुंबई इकोनोमिक कैपिटल है। देश के खजाने में जितना पैसा आता है, उसमें से 70 प्रतिशत मुंबई और महाराष्ट्र देता है, लेकिन रेलवे बजट में हमें पांच रूपये भी नहीं दिए गए हैं। आप इस अन्याय को दूर करेंगी, ऐसी मेरी आपसे अपेक्षा है। आपने सिंगुर में अन्याय के खिलाफ लड़ाई की थी। आप अन्याय के खिलाफ लड़ती हैं और गरीब के लिए बात करती हैं। मुंबई और महाराष्ट्र पर जो बजट में अन्याय हुआ है, उसकी आप अनदेखी न करें। हमें न्याय देने की आपसे अपेक्षा के साथ मैं अपना भाषण समाप्त करता हूं।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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