Farmers’ inclination : हापुड़ में एक दिवसीय जनपद स्तरीय मिलेट्स मेला/प्रदर्शनी कार्यक्रम का आयोजन श्रीअन्न के प्रति बढ़ा किसानों का रुझान

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा चलाए जा रहे मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम (राज्य सेक्टर) वर्ष 2025-26 के अंतर्गत किसानों को मिलेट्स (श्रीअन्न) के प्रति जागरूक करने एवं इनके उत्पादन व उपयोग को बढ़ावा देने हेतु जनपद हापुड़ के कृषि विभाग द्वारा दिनांक 19 सितम्बर 2025 (दिन शुक्रवार) को कृषि विज्ञान केन्द्र, बाबूगढ़, हापुड़ परिसर में एक दिवसीय जनपद स्तरीय मिलेट्स मेला एवं सह प्रदर्शनी कार्यक्रम का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा हापुड़ के जिला अध्यक्ष श्री अमित सिवाल द्वारा फीता काटकर किया गया। कार्यक्रम में भा.ज.पा. जिला सचिव श्री ज्ञान सिंह, श्री अमित चौधरी, ग्राम प्रधान उपैड़ा श्री अमरपाल सहित जनपद स्तरीय विभिन्न अधिकारी, सम्मानित कृषकगण, कृषि विशेषज्ञ एवं आम जनमानस की उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही।
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को परंपरागत पोषक अन्नों — जिन्हें वर्तमान में “श्रीअन्न” या “मिलेट्स” के नाम से जाना जा रहा है — के महत्व से अवगत कराना, इनके वैज्ञानिक तरीकों से उत्पादन की जानकारी देना एवं बाजार संभावनाओं की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना रहा। गौरतलब है कि श्रीअन्न (जैसे — कोदो, सांवा, बाजरा, कुटकी, रागी, ज्वार आदि) को भारतीय कृषि परंपरा में अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक, पोषक एवं जलवायु-सहिष्णु फसलें माना गया है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2023 को “अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष” घोषित किए जाने के उपरांत इन फसलों को पुनः लोकप्रियता मिल रही है।
इस अवसर पर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मिंग सिस्टम रिसर्च, मेरठ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आर.पी. मिश्रा, बासमती निर्यात संस्थान, मेरठ के वैज्ञानिक डा. प्रमोद तोमर, एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, बाबूगढ़ के प्रभारी वैज्ञानिक डा. अरविंद यादव, डा. आशीष त्यागी, डा. पी.के. मडके, डा. विनीता एवं डा. अशोक ने अपने व्याख्यानों के माध्यम से किसानों को विभिन्न प्रकार के मिलेट्स फसलों की वैज्ञानिक खेती, उन्नत किस्मों, बीज उपचार, फसल चक्र, जल प्रबंधन, कीट एवं रोग नियंत्रण, कटाई-छटाई की विधियाँ तथा उनके प्रसंस्करण एवं विपणन की जानकारी दी।
वैज्ञानिकों ने यह भी बताया कि मिलेट्स फसलें अल्प जल संसाधनों में भी अच्छे उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं तथा इनका पोषण मूल्य अत्यधिक होता है, जिससे कुपोषण की समस्या से जूझ रहे क्षेत्रों में इनके उत्पादन को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि ये फसलें जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक सहिष्णु होती हैं और कम लागत में अधिक लाभ देती हैं। डा. मिश्रा ने बताया कि श्रीअन्न में उपस्थित फाइबर, कैल्शियम, आयरन, जिंक एवं अन्य माइक्रोन्यूट्रिएंट्स मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं और नियमित सेवन से मधुमेह, हृदय रोग, मोटापा आदि बीमारियों में लाभ होता है।
मंच से वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि किसानों को पारंपरिक खेती के साथ-साथ पोषक अनाजों की खेती को भी अपनाना चाहिए, जिससे न केवल उनकी आमदनी में वृद्धि हो सके, बल्कि समाज को भी स्वास्थ्यवर्धक विकल्प मिल सके। डा. अरविंद यादव ने जायद की फसलों तथा औद्यानिक फसलों की भी नवीनतम सघन पद्धतियों की जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार मिलेट्स को कृषि प्रणाली में एकीकृत कर अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। उन्होंने इंटरक्रॉपिंग मॉडल, सजीव खादों का उपयोग, फसल विविधता एवं सस्टेनेबल एग्रीकल्चर पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में उपस्थित किसानों ने वैज्ञानिकों से सीधे संवाद किया और अपनी समस्याओं एवं जिज्ञासाओं को साझा किया। विशेषज्ञों ने किसानों के सवालों का सरल भाषा में उत्तर देते हुए उन्हें तकनीकी समाधान भी उपलब्ध कराए। कई किसानों ने बताया कि वे पहले मिलेट्स फसलों के विषय में अनभिज्ञ थे, परंतु इस मेले के माध्यम से उन्हें इस बारे में विस्तृत जानकारी मिली है और अब वे इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित हुए हैं।
कार्यक्रम में प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें मिलेट्स आधारित खाद्य उत्पादों, बीजों, जैविक खाद, कृषि उपकरणों, प्रसंस्करण इकाइयों आदि को प्रदर्शित किया गया। साथ ही मिलेट्स से बने उत्पादों का स्वाद चखने हेतु स्टॉल भी लगाए गए, जिससे किसानों व आम नागरिकों ने इन उत्पादों के स्वाद एवं उपयोगिता का अनुभव किया। यह पहल लोगों को मिलेट्स के प्रति रुचि विकसित करने में सहायक सिद्ध हुई।
श्री अमित सिवाल ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर देशभर में श्रीअन्न के प्रचार-प्रसार का कार्य चलाया जा रहा है और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यह समय है जब किसानों को परंपरागत खेती से आगे बढ़कर पोषण और बाजार दोनों की दृष्टि से लाभकारी फसलों को अपनाना चाहिए। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे वैज्ञानिकों द्वारा दी गई जानकारी का पालन करें और तकनीक आधारित खेती को अपनाकर अपनी आय बढ़ाएं।
भा.ज.पा. जिला सचिव श्री ज्ञान सिंह ने किसानों को सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं अनुदान संबंधी जानकारियों से अवगत कराया और कहा कि मिलेट्स के क्षेत्र में काम करने वाले किसानों को तकनीकी सहयोग के साथ-साथ आर्थिक सहायता भी प्रदान की जाएगी। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि मिलेट्स केवल एक फसल नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जो आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और किसान की समृद्धि दोनों को सुनिश्चित करेगा।
कार्यक्रम के अंत में कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र, और वैज्ञानिक संस्थानों के समन्वय से आयोजित इस भव्य आयोजन की सराहना की गई। इस पहल ने न केवल किसानों को जानकारी दी बल्कि श्रीअन्न के महत्व को जनमानस तक पहुंचाने का कार्य भी किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया और इस प्रकार यह आयोजन जनपद हापुड़ में मिलेट्स जागरूकता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध हुआ।
इस एक दिवसीय मेले ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि किसानों को सही जानकारी, मार्गदर्शन और समर्थन मिले, तो वे किसी भी नई फसल को आत्मसात कर सकते हैं। श्रीअन्न, जो कभी ग्रामीण इलाकों तक सीमित था, अब एक वैश्विक पोषण विकल्प के रूप में उभर रहा है, और हापुड़ जैसे जनपदों में हुए इस प्रकार के आयोजनों से न केवल क्षेत्रीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर मिलेट्स मिशन को एक नई गति मिल रही है।
इस प्रकार, 19 सितम्बर 2025 को आयोजित जनपद स्तरीय मिलेट्स मेला एवं प्रदर्शनी केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि कृषि क्षेत्र में एक नई सोच, नई दिशा और भविष्य की संभावनाओं को खोलने वाला कदम रहा, जिसने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और देश को पोषण समृद्ध बनाने की दिशा में उल्लेखनीय योगदान दिया।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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