Filled with joy : नवसस्येष्टि यज्ञ एवं होली मिलन समारोह हर्षोल्लास से सम्पन्न ?

नवसस्येष्टि यज्ञ एवं होली मिलन समारोह हर्षोल्लास से सम्पन्न
भारतीय संस्कृति दान देकर,बाँट कर खाने में विश्वास करती है-प्रमोद शास्त्री
होली एक प्राकृतिक पर्व है ऐतिहासिक नही-चन्द्र पाल शास्त्री
यज्ञ एवं योग मनुष्य जीवन के आवश्यक कर्तव्य के साथ मोक्ष प्राप्ति में सहायक-प्रवीण आर्य
ग़ाज़ियाबाद,रविवार,09-03-2025 को आर्य समाज कवि नगर में वासन्तीय नवसस्येष्टि यज्ञ एवं होली मिलन समारोह हर्षोल्लास से सम्पन्न हुआ।

- वैदिक विद्वान प्रमोद शास्त्री के ब्रह्मत्व में वासन्तीय नवसस्येष्टि यज्ञ से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।मुख्य यज्ञमान श्रीमती अंजना गोयल एवं नरेश गोयल रहे।उन्होंने यज्ञ एवं होली के महत्व पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि होली मनाने का सही विधान,वसन्त ऋतु के नये अन्न को यज्ञ (हवन) में आहुति देकर ग्रहण करना है।क्योंकि भारतीय संस्कृति दान देकर,बाँट कर खाने में विश्वास करती है।उन्होंने यज्ञमानों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए उनके सुखद एवं सफल जीवन की प्रभु से प्रार्थना की।
- सहारनपुर से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक अभिषेक आर्य, मृदुल अग्रवाल, नरेश चन्द्र के द्वारा गाये होली मिलन एवं देश भक्ति के गीतों को सुनकर श्रोता झूम उठे।
- होली मिलन समारोह के मुख्य वक्ता आचार्य चन्द्र पाल शास्त्री का पीतवस्त्र ओढ़ाकर कर अभिनंदन किया गया।उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत शिक्षा के अभाव में हमें वास्तविक तथ्यों का ज्ञान नहीं हो पाया।होली का यथार्थ तिनको की अग्नि में भूने हुए अधपके फली युक्त फसल को होलक (होला) कहते हैं।अर्थात् जिन पर छिलका होता है, जैसे हरे चने आदि।ऋतु के अनुसार,दो मुख्य प्रकार की फसलें होती हैं।1) खरीफ,2) रवि। रवि की फसल में आने वाले सभी प्रकार के अन्न को होला कहते है। “वासन्तीय नवसस्येष्टि होलकोत्सव” वसन्त ऋतु में आई हुई रवि की नवागत फसल को होम हवन मे डालकर फिर श्रद्धापूर्वक ग्रहण करने का नाम होली है।यह पर्व प्राकृतिक है ऐतिहासिक नही है और बाद में होला से ही होली बना है।उन्होंने होली पर्व पर बेस्ट बनने का संकल्प कराया।वेदों का स्वाध्याय कर एवं अपने जीवन को तदानुकूल बनाकर।

- योगी प्रवीण आर्य ने कहा कि यज्ञ से जितने अधिक प्राणियों को शुद्ध प्राणवायु व वर्षा जल की शुद्धि से ओषिधियों की शुद्धि व उनके प्रभाव में वृद्धि होती है,उससे उस यज्ञानुष्ठान करने वाले योगी व उपासक की कर्म-पूंजी इतर सभी योगाभ्यासियों से अधिक होने के कारण उसे शीघ्र योग के लाभों की प्राप्ति का होना निश्चित होता है।यज्ञ व अग्निहोत्र करना ईश्वर की आज्ञा भी है।यज्ञ,योग,उपासना ईश्वर की प्राप्ति में अत्यन्त सहायक एवं उपयोगी कर्म वा साधन हैं।दोनों परस्पर पूरक हैं और जीवन के अत्यावश्यक कर्म वा कर्तव्य हैं।इन्हें करने से ही मनुष्य का जीवन सार्थक व सफल होता है।
- समारोह में डा प्रमोद सक्सेना ने अपने उद्बोधन में कहा कि होली मिलन का पर्व है इस दिन सब लोग एक दूसरे पर रंग व गुलाल डाल कर खुशी मनाते हैं,एक दूसरे के गले मिलते हैं,मिल बैठकर खाते हैं,इससे सब का आपसी मनोमालिन्य धुल जाता है।सब वैमन्स्य दूर हो जाता है।इसलिए इस को मिलन का त्यौहार कहा जाता है।
- इस अवसर पर मुख्य रूप से सर्वश्री यज्ञवीर चौहान, ममता चौहान,सत्य पॉल आर्य,आशा रानी आर्य,सुमन चौहान, डा प्रमोद सक्सेना, ब्रिज पाल गुप्ता, प्रेम पाल शर्मा,श्रीपाल आर्य एवं नरेन्द्र आर्य आदि उपस्थित रहे।
- मंच का कुशल संचालन यशस्वी मंत्री लक्ष्मण सिंह चौहान ने किया।समाज के प्रधान वीके धामा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।शांतिपाठ एवं ऋषि प्रसाद के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
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