Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी ?

Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी

Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी ?
Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी ?

जौनपुर।
पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (EDD-II) के अंतर्गत कार्यरत कंप्यूटर ऑपरेटरों की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। लगभग 10 महीनों से वेतन न मिलने के कारण इन कर्मचारियों पर आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। बरसठी, सिकरारा, नेवढ़िया, सिंगरामऊ और रामपुर जैसे कई उपखंडों में तैनात ऑपरेटर रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इनके अनुसार विभाग द्वारा उनसे नियमित रूप से तमाम तकनीकी और प्रशासनिक कार्य कराए जा रहे हैं, लेकिन बदले में वेतन भुगतान को लेकर कोई ठोस व्यवस्था नहीं की जा रही है।

ऑपरेटरों का कहना है कि वे बिजली उपभोक्ताओं के बिलिंग, मीटर रीडिंग डेटा एंट्री, शिकायत दर्ज एवं समाधान से जुड़े कार्यों को समय पर पूरा करते हैं। कई बार रात देर तक ड्यूटी करनी पड़ती है, मगर इसके बाद भी उन्हें अपने काम का उचित प्रतिफल नहीं मिल पा रहा है। पिछले लगभग चार महीनों से विभागीय अधिकारियों की ओर से यह भरोसा जरूर दिलाया जा रहा है कि मार्च 2025 तक के सभी बकाया वेतन को जल्द ही जारी कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक यह आश्वासन केवल आश्वासन ही बना हुआ है। किसी भी स्तर पर न तो लिखित आदेश दिए गए हैं और न ही भुगतान की ठोस प्रक्रिया शुरू की गई है।

इन परिस्थितियों में कर्मचारियों के सामने आर्थिक बदहाली की स्थिति आ खड़ी हुई है। बढ़ती महंगाई, घर का किराया, बच्चों की पढ़ाई, दैनिक खर्च, बिजली-पानी के बिल जैसी आवश्यकताओं को पूरा करना उनके लिए मुश्किल होता जा रहा है। कई ऑपरेटर बताते हैं कि अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए उन्हें कर्ज लेना पड़ रहा है। कुछ लोगों ने सोने-चांदी के गहने गिरवी रख दिए, जबकि कई दूसरों पर निर्भर होने के लिए मजबूर हैं। लगातार तनाव और अनिश्चितता के कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है।

कर्मचारियों का कहना है कि स्थिति इतनी विकट हो गई है कि कई बार उन्हें यह तक सोचना पड़ता है कि घर का खर्च चलाएं या अपने बच्चों की फीस जमा करें। त्योहारों और अन्य सामाजिक अवसरों पर भी वे भाग नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि उनके पास खर्च करने के लिए पैसा ही नहीं है। कुछ ऑपरेटरों ने तो यहां तक कहा कि यदि समय पर वेतन नहीं मिला तो उन्हें नौकरी छोड़ने का निर्णय लेना पड़ सकता है, लेकिन वर्तमान समय में बेरोजगारी के माहौल को देखते हुए यह भी आसान विकल्प नहीं है।

Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी ?
Financial trouble : जौनपुर में कंप्यूटर ऑपरेटरों को 10 माह से वेतन नहीं EDD-II के उपखंडों में कर्मचारियों को आर्थिक परेशानी ?

विभागीय अधिकारियों से संपर्क करने का कई बार प्रयास किया गया, लेकिन कर्मचारियों के अनुसार अधिकारी फोन नहीं उठाते या बात को टाल देते हैं। इस कारण कर्मचारियों में नाराज़गी और असंतोष बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि विभाग की ओर से यदि समय रहते वेतन जारी कर दिया जाए तो वे पूरी ईमानदारी से अपना काम और बेहतर तरीके से कर सकेंगे, लेकिन लगातार आर्थिक दबाव के चलते मनोबल टूटता जा रहा है।

स्थानीय स्तर पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। उपभोक्ता भी इस स्थिति से अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। जब कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिलता, तो उनके कार्य प्रदर्शन पर असर पड़ना स्वाभाविक है। कई उपखंडों में बिलिंग कार्य में देरी और ऑनलाइन सेवाओं में बाधा आने की शिकायतें सामने आ चुकी हैं। हालांकि, कर्मचारी अब भी अपनी जिम्मेदारियों को निभाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि उपभोक्ताओं को अनावश्यक परेशानी न हो।

ऑपरेटरों ने प्रशासन से मांग की है कि उनके वेतन भुगतान की प्रक्रिया को प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि वे पहले ही लंबे समय से आर्थिक संकट झेल रहे हैं। वेतन उनका अधिकार है, न कि किसी तरह की कृपा। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो कर्मचारी आंदोलन की राह अपनाने पर भी विचार कर सकते हैं।

कुल मिलाकर, EDD-II के अधीन कंप्यूटर ऑपरेटरों की यह समस्या केवल वेतन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस संवेदनशील व्यवस्था पर भी सवाल खड़ी करती है, जिसमें कर्मचारियों से काम तो कराया जाता है, लेकिन समय पर उनका पारिश्रमिक तय नहीं किया जाता। अब देखना यह होगा कि विभागीय अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर कब और कैसे कार्रवाई करते हैं, ताकि इन कर्मचारियों को राहत मिल सके और वे सम्मानजनक तरीके से अपने जीवन का संचालन कर सकें।

News Editor- (Jyoti Parjapati)

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