Full stop : कोटेदारी व्यवस्था पर पूर्णविराम की तैयारी डीबीटी से बदलेगी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तस्वीर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा की गई
- एक बड़ी घोषणा के तहत अब प्रदेश की दशकों पुरानी कोटेदारी व्यवस्था को खत्म करने की योजना तैयार कर ली गई है। यह कदम सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए उठाया जा रहा है, जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लगे और वास्तविक लाभार्थियों को योजनाओं का पूरा लाभ मिल सके। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सब्सिडी की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से भेजी जाएगी, ताकि बिचौलियों और कोटेदारों की मनमानी पर रोक लग सके।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि अगर शासन की योजनाएं ईमानदारी से आम जनता तक पहुँचें, तो कोई भी व्यक्ति भूख, बीमारी या कुपोषण से नहीं मरेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार का कर्तव्य केवल योजनाएं बनाना नहीं है, बल्कि उनका सुचारू और पारदर्शी क्रियान्वयन भी सुनिश्चित करना है। कोटेदारी व्यवस्था में वर्षों से चली आ रही धांधलियों, फर्जीवाड़ों और अनियमितताओं को देखते हुए इस नई व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया गया है।
30 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द किए गए
- योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 30 लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं, जिससे बड़ी मात्रा में खाद्यान्न की चोरी रोकी जा सकी है। इन फर्जी कार्डधारकों के माध्यम से हर महीने बड़ी मात्रा में राशन कालाबाजारी के माध्यम से बाजार में पहुँचाया जा रहा था, जिससे वास्तविक गरीब जनता तक खाद्यान्न नहीं पहुँच पाता था। फर्जी कार्डों की पहचान कर उन्हें सिस्टम से बाहर करने से न केवल भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा, बल्कि सरकारी संसाधनों की भी बचत हुई।
ई-पॉइंट ऑफ सेल मशीनों से हुई 350 करोड़ की बचत
- मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अब तक 13 हजार कोटेदारों के यहाँ ई-पॉइंट ऑफ सेल (e-POS) मशीनें लगाई जा चुकी हैं। इस व्यवस्था से राशन वितरण में पारदर्शिता आई है और सरकार को 350 करोड़ रुपये की बचत हुई है। इस कदम से यह सुनिश्चित किया गया कि जो व्यक्ति वाकई पात्र है, वही राशन प्राप्त कर सके। इससे पहले कई बार एक ही व्यक्ति को कई कार्डों के माध्यम से या किसी मृत व्यक्ति के नाम पर राशन मिलता था।
- मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे ही यह ई-पॉइंट ऑफ सेल व्यवस्था प्रदेश के सभी 80 हजार कोटेदारों पर लागू हो जाएगी, हर वर्ष लगभग 2000 करोड़ रुपये की बचत की संभावना है। यह धनराशि राज्य सरकार की अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं में उपयोग की जा सकेगी, जिससे प्रदेश के गरीब, मजदूर और जरूरतमंद नागरिकों को सीधा लाभ मिलेगा।
Full stop : कोटेदारी व्यवस्था पर पूर्णविराम की तैयारी डीबीटी से बदलेगी सार्वजनिक वितरण प्रणाली की तस्वीर ?
कोटेदारों को अब बदलना होगा व्यवसाय
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में साफ शब्दों में कहा कि कोटेदारों को अब कोई दूसरा व्यवसाय करना होगा, क्योंकि अब उनके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली में स्थान नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की यह प्राथमिकता है कि योजनाओं को डिजिटल, पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जाए। इस दिशा में डीबीटी प्रणाली एक क्रांतिकारी कदम है, जिससे सब्सिडी सीधे पात्र व्यक्ति के खाते में जाएगी और वह स्वयं तय कर सकेगा कि वह कहां से और कैसे राशन लेना चाहता है।
- सीएम योगी ने कहा कि कोटेदारों द्वारा की जा रही खाद्यान्न की चोरी, राशन वितरण में हेराफेरी, कम तोलना, नाम न होने पर राशन न देना, और बिना अंगूठा लगाए राशन उठाने जैसी शिकायतों के चलते सरकार के सामने यह फैसला जरूरी हो गया था। डिजिटल प्रणाली से अब यह सब नियंत्रण में आ जाएगा।
लाभार्थियों को होगा सीधा लाभ
- डीबीटी प्रणाली लागू होने से आम जनता को यह लाभ होगा कि वह राशन लेने के लिए कोटेदार के पास जाने के लिए मजबूर नहीं होगी। सरकार द्वारा निर्धारित सब्सिडी की राशि उसके खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी, जिससे वह अपनी जरूरत के अनुसार खाद्यान्न खरीद सकेगा। यह प्रणाली ‘वन नेशन, वन राशन कार्ड’ योजना को भी और अधिक सशक्त बनाएगी, जिससे देश के किसी भी हिस्से में रहने वाला व्यक्ति अपने राशन का लाभ उठा सकेगा।
पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी
- सरकार की इस नई नीति से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में न केवल पारदर्शिता आएगी, बल्कि अधिक जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। अब यदि किसी को सब्सिडी नहीं मिलती है, तो वह सीधे शिकायत दर्ज करा सकेगा और सरकार के पास उसे ट्रैक करने का डिजिटल सिस्टम भी होगा। पहले कोटेदारों की मनमानी के खिलाफ शिकायतों पर अक्सर कार्रवाई नहीं हो पाती थी क्योंकि सबूत जुटाना मुश्किल होता था। अब पूरी प्रक्रिया डिजिटल होने से सब कुछ रिकॉर्ड में रहेगा।
निष्कर्ष
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कोटेदारी व्यवस्था को खत्म करने की घोषणा उत्तर प्रदेश की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है। डीबीटी प्रणाली को लागू करके सरकार न केवल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने जा रही है, बल्कि लाभार्थियों को सीधे और पारदर्शी तरीके से योजनाओं का लाभ देने के अपने वादे को भी निभा रही है। हालांकि यह बदलाव कोटेदारों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से यह कदम जनहित में और दीर्घकालिक सुधार की दिशा में एक मजबूत पहल है। अब देखना होगा कि यह व्यवस्था धरातल पर कितनी प्रभावी ढंग से लागू हो पाती है और गरीबों तक इसका कितना वास्तविक लाभ पहुँचता है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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