Heavy rain : राजस्थान में भारी बारिश और चंबल नदी का उफान धौलपुर में मिनी टैंकर बहा, दो लापता

राजस्थान
- के हाड़ौती अंचल में बीते कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। विशेष रूप से कोटा में स्थित बड़े बांधों से लगातार पानी छोड़े जाने के कारण चंबल नदी उफान पर है, जिससे धौलपुर जिले में खतरे की स्थिति पैदा हो गई है। चंबल नदी का बहाव इतना तेज़ हो गया है कि उसके आसपास बसे गांवों के लोग दहशत में हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसे का रूप ले लिया, जब धौलपुर जिले के मनिया थाना क्षेत्र में एक मिनी टैंकर चंबल नदी के तेज़ बहाव में बह गया।
- हादसा रांडोली पुलिया के पास उस समय हुआ, जब एक मिनी टैंकर पुलिया पार करते समय अनियंत्रित होकर बहाव में आ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उस समय चंबल नदी का जलस्तर पहले से काफी बढ़ा हुआ था, और पुलिया से पानी बह रहा था। टैंकर ने जैसे ही पुलिया पार करने की कोशिश की, वह संतुलन खो बैठा और बहते पानी की तेज़ धारा में बह गया।
- मिनी टैंकर में चार लोग सवार थे। स्थानीय ग्रामीणों और राहत दलों की मदद से दो लोगों को समय रहते बाहर निकाल लिया गया, लेकिन बाकी दो लोग अभी भी लापता हैं। प्रशासन और बचाव दलों द्वारा नदी में खोजबीन का काम लगातार जारी है, लेकिन अभी तक उनका कोई सुराग नहीं मिला है।
चंबल नदी का बढ़ता जलस्तर बना मुसीबत
- कोटा बैराज और अन्य बांधों से लगातार छोड़े जा रहे पानी ने चंबल नदी को विकराल रूप दे दिया है। कोटा बैराज से हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिसका सीधा प्रभाव धौलपुर, करौली और सवाई माधोपुर जिलों पर पड़ रहा है। धौलपुर जिले की सीमा से बहने वाली चंबल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और कई जगहों पर खतरे के निशान को पार कर चुका है।
- इससे सबसे अधिक प्रभावित वे ग्रामीण हो रहे हैं, जो नदी के किनारे या निचले इलाकों में रहते हैं। खेत, घर, मवेशी सब कुछ जलमग्न होने के कगार पर हैं। प्रशासन ने पहले ही चेतावनी जारी की थी कि ग्रामीण नदी किनारे ना जाएं और पुल-पुलियों से होकर आवागमन से बचें, लेकिन रांडोली पुलिया पर हुई यह घटना बताती है कि चेतावनी के बावजूद भी कई लोग जोखिम उठाते हैं।
प्रशासन सतर्क, लेकिन चुनौतियां बरकरार
- धौलपुर जिला प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों के लिए एनडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमों को सक्रिय कर दिया है। जलस्तर बढ़ने के कारण पहले से ही कई गांवों में अलर्ट जारी किया गया था और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने का कार्य चल रहा था। हालांकि अब रांडोली पुलिया की घटना के बाद प्रशासन और ज्यादा सतर्क हो गया है।
- मनिया थाना पुलिस और राहत दल लगातार नदी में लापता दो व्यक्तियों की तलाश में जुटे हुए हैं। प्रशासन ने रेस्क्यू बोट्स, गोताखोरों और अन्य संसाधनों को नदी में उतार दिया है। लेकिन चंबल का तीव्र बहाव और मटमैला पानी रेस्क्यू ऑपरेशन को और मुश्किल बना रहा है।
ग्रामीणों में दहशत, लगातार बारिश से स्थिति गंभीर
- रांडोली पुलिया की घटना ने आसपास के गांवों में भय का माहौल पैदा कर दिया है। लोग अपने घरों में कैद हैं और चिंता में हैं कि कहीं जलस्तर और अधिक न बढ़ जाए। बारिश का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा, जिससे और ज्यादा पानी जमा हो रहा है। जिन इलाकों में पहले ही जलभराव हो चुका है, वहां की स्थिति और भी खराब हो रही है।
- कई ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है कि चंबल इस तरह उफान पर है, लेकिन इस बार पानी छोड़ने की मात्रा और लगातार बारिश ने खतरे को और गंभीर बना दिया है। “हमारे खेत पानी में डूब चुके हैं, मवेशी सुरक्षित नहीं हैं और बच्चों को स्कूल तक भेजना मुश्किल हो गया है,” एक ग्रामीण ने मीडिया से बातचीत में बताया।
हादसे ने खोली व्यवस्था की पोल
- इस दुखद घटना ने स्थानीय प्रशासन और बुनियादी ढांचे की तैयारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। यदि पहले से पर्याप्त बैरिकेडिंग की गई होती, या पुलिया पर मार्ग बंद किया गया होता, तो शायद यह हादसा टल सकता था। लोगों का आरोप है कि प्रशासन केवल चेतावनी जारी करता है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर उसकी अमल में कमी रहती है।
- इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में चेतावनी और सूचना तंत्र की भी कमी सामने आई है। कई बार प्रशासन द्वारा जारी की गई चेतावनी गांवों तक समय से नहीं पहुंच पाती, या ग्रामीण उसे गंभीरता से नहीं लेते। नतीजा, ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिनमें जान का नुकसान होता है।
सरकार से मदद की मांग
- लापता लोगों के परिजन और ग्रामीण अब सरकार से तत्काल मदद और मुआवज़े की मांग कर रहे हैं। परिजनों का कहना है कि यदि समय पर टैंकर को रोका गया होता, या पुलिया पर ट्रैफिक बंद कर दिया गया होता, तो यह हादसा नहीं होता। उन्होंने मांग की है कि लापता लोगों की जल्द तलाश की जाए और पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता दी जाए।
निष्कर्ष
- धौलपुर में हुई यह घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा का उदाहरण नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और बुनियादी चेतावनी प्रणालियों की विफलता का भी प्रमाण है। चंबल नदी का जलस्तर अभी भी खतरनाक बना हुआ है और आने वाले दिनों में और अधिक बारिश की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में केवल चेतावनी देने से नहीं, बल्कि ठोस ज़मीनी उपायों की ज़रूरत है।
- सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वह नदी किनारे के सभी इलाकों में राहत और बचाव कार्य तेज़ करे, पुल-पुलियों पर निगरानी बढ़ाए और जनसंपर्क तंत्र को मज़बूत करे, ताकि आगे इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके। साथ ही, लोगों को भी चाहिए कि वे प्रशासन की चेतावनियों को गंभीरता से लें और अनावश्यक जोखिम से बचें। अभी उम्मीद है कि लापता व्यक्तियों की जल्द ही खोज हो सकेगी और इस आपदा से और ज्यादा नुकसान न हो।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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