Held a review meeting : बसुही-वरूणा पुनर्जीवन हेतु जिलाधिकारी ने समीक्षा बैठक की

बैठक का उद्देश्य और प्रारंभिक परिचर्या
- कलेक्ट्रेट सभागार में सम्पन्न हुई निष्पादन समिति (Implementation Committee) की बैठक जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बैठक का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), नई दिल्ली द्वारा जारी आदेश के अनुपालन में गंगा नदी की सहायक नदियों—बसुही एवं वरूणा की बहाली और कायाकल्प परियोजना पर चर्चा करना था। इस दिशा में सिंचाई विभाग, वन विभाग, शहरी विकास विभाग, जल निगम, राज्य स्वच्छ गंगा मिशन (SMCG), प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
बसुही नदी का पुनरोद्धार: डी-सिल्टिंग और वेटलैंड निर्माण
- अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग ने बैठक में बताया कि बसुही नदी ग्राम भीलमपुर से निकलकर रामपुर-गोपालपुर लिंक मार्ग होते हुए मड़ियाहूं क्षेत्र के पास जादूपुर—सरवा में वरूणा नदी से मिलती है। नदी के पुनरोद्धार के लिए कार्य योजना के अंतर्गत प्रमुख गतिविधियों में डी-सिल्टिंग, नदी तटों का सुदृढ़ीकरण, और वरूणा नदी संगम से 100 मीटर पूर्व एक निर्मित (constructed) वेटलैंड का निर्माण शामिल है। इस वेटलैंड में जलग्राही पौधों का रोपण करके पानी को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने की योजना है। क्षेत्र में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण कार्य भी समन्वित तरीके से किया जाएगा।
जनपद में वृक्षारोपण और DPR स्वीकृति प्रक्रिया
- जिलाधिकारी ने प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग को निर्देशित किया कि बसुही नदी के दोनों तटों पर अधिकाधिक वृक्षारोपण कर जनपदवासियों को इसका लाभ पंहुचाया जाए। वहीं, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता को डीपीआर (DPR) तैयार करके उसकी स्वीकृति के लिए आवश्यक कार्यवाही शीघ्रता से पूरी करने के निर्देश दिए गए। DPR में नदी का वर्तमान स्तिथि, पर्यावरणीय स्थिति, तकनीकी विवरण, बजट प्रस्ताव आदि शामिल होंगे। इस तरह की कार्यवाही राष्ट्रीय हरित अधिकरण की गाइडलाइन्स के अनुरूप है।
सहायक विभागों की भूमिका और समन्वय
- बैठक में प्रमुख विकास अधिकारी ध्रुव खाड़िया, सिंचाई विभाग, वन विभाग, जल निगम, शहरी विकास विभाग, SMCG एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपनी रिपोर्ट एवं सुझाव साझा किए। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नदी में अवैध नालों और untreated sewage का निरीक्षण करने, स्टेप ट्रीटमेंट प्लांट्स की स्थिति जानने और वन विभाग को आसपास की जैव विविधता को संरक्षित रखने की जिम्मेदारी दी गई। शहरी विकास एवं जल निगम को नदी के पास बने अतिक्रमण हटाने, सीवरेज प्रबंधन और स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत निरीक्षण एवं कार्यान्वयन सुनिश्चित करने हेतु काम सौंपे गए थे ।
निष्कर्ष: स्वच्छ गंगा मिशन एवं पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम
- यह बैठक सिर्फ एक प्रशासनिक बैठक नहीं थी, बल्कि गंगा की सहायक नदियों के पुनरोद्धार हेतु स्थायी रणनीति तैयार करने की दिशा में एक निर्णायक कदम थी। नदी के पुन: प्रवाह और पानी की गुणवत्ता सुधारना, प्रदूषण नियंत्रण, नदी तटों पर प्राकृतिक वनस्पति का विकास तथा स्थानीय सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित करना इस परियोजना की मुख्य नीतियां हैं। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के समन्वय ने यह अवसर दिया कि निर्णय प्रभावी तरीके से लागू हों। इस परियोजना से न केवल पर्यावरण संतुलन स्थापित होगा, बल्कि जल सुरक्षा, जल जीवन और स्थानीय जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा। यह पहल स्वच्छ गंगा मिशन का स्थानीय स्तर पर साकारात्मक कार्यान्वयन दिखाती है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)