IER’: Research : मोटापे और डायबिटीज में राहत दे सकता है ‘आईईआर’: शोध ?

IER’: Research : मोटापे और डायबिटीज में राहत दे सकता है ‘आईईआर’: शोध

IER': Research : मोटापे और डायबिटीज में राहत दे सकता है 'आईईआर': शोध
IER’: Research : मोटापे और डायबिटीज में राहत दे सकता है ‘आईईआर’: शोध

 

  • नई दिल्ली:-  एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि अलग-अलग तरह के डाइट प्लान्स, जैसे कि इंटरमिटेंट एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (आईईआर), टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (टीआरई), और कंटीन्यूअस एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (सीईआर), मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। ये सभी डाइट प्लान ब्लड शुगर के स्तर को बेहतर करने और शरीर के वजन को कम करने में मदद करते हैं। बता दें कि इंटरमिटेंट एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (आईईआर) का मतलब कभी-कभी खाने की मात्रा को कम करने से है, जैसे हफ्ते में कुछ दिन कम कैलोरी लेना। वहीं टाइम-रिस्ट्रिक्टेड ईटिंग (टीआरई) का मतलब एक तय समय सीमा के अंदर खाने से है, जैसे दिन में सिर्फ 8 घंटे के अंदर खाना और बाकी समय उपवास रहना। इसके अलावा, कंटीन्यूअस एनर्जी रेस्ट्रिक्शन (सीईआर) का अर्थ हर दिन थोड़ी-थोड़ी कैलोरी कम खाना है।
  • शोधकर्ताओं ने पाया कि तीनों डाइट प्लान से एचबीए1सी बेहतर हुआ है और साइड इफेक्ट्स भी तीनों ग्रुप में लगभग एक जैसे थे। लेकिन आईईआर वाले ग्रुप को कुछ अतिरिक्त फायदे मिले, जैसे फास्टिंग ब्लड ग्लूकोस कम हुआ, इंसुलिन का असर बेहतर हुआ, ट्राइग्लिसराइड्स घटी और लोग इस डाइट को लंबे समय तक ज़्यादा अच्छी तरह से फॉलो कर पाए। इस स्टडी में शोधकर्ताओं ने देखा कि 5:2 आईईआर और 10 घंटे की टीआरई वाली डाइट में से कौन-सी डाइट मोटापे और डायबिटीज के मरीजों के लिए ज़्यादा फायदेमंद है। चीन के झेंगझोऊ विश्वविद्यालय के प्रथम संबद्ध अस्पताल के मुख्य चिकित्सक, पीएचडी, हाओहाओ झांग ने कहा, “इस स्टडी में साइंटिफिक सबूत मिले हैं, जिससे वह यह तय कर सकें कि डायबिटीज और मोटापे से ग्रस्त मरीजों के लिए कौन-सी डाइट सबसे सही होगी।” इस स्टडी में 90 मरीजों को शामिल किया गया, और उन्हें तीन बराबर ग्रुपों में बांटा गया- आईईआर, टीआरई, और सीईआर। हर ग्रुप को समान मात्रा में कैलोरी दी गई।
  • पूरे 16 हफ्तों की इस डाइट की निगरानी डायटीशियन की एक टीम ने बारीकी से की, ताकि सभी सही तरीके से डाइट फॉलो करें।
    90 लोगों में से 63 लोगों ने इस स्टडी को पूरा किया। उनमें से 18 महिलाएं और 45 पुरुष थे। सभी की औसतन उम्र 36.8 साल थी। उन्हें डायबिटीज को लगभग 1.5 साल हो चुका था, और उनका शुरुआती बीएमआई 31.7 था, जो मोटापे की श्रेणी में आता है। वहीं, एचबीए1सी 7.42 प्रतिशत था। यह ब्लड शुगर कंट्रोल का एक माप है, और यह सामान्य से थोड़ा ज्यादा है। स्टडी खत्म होने पर, तीनों डाइट ग्रुप्स, आईईआर, टीआरई, और सीईआर, में एचबीए1सी और वजन कम होने में कोई बहुत बड़ा अंतर नहीं था। लेकिन फिर भी आईईआर ग्रुप में एचबीए1सी और वजन में सबसे ज्यादा गिरावट पाई गई। जब आईईआर की तुलना टीआरई और सीईआर से की गई, तो आईईआर ने फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज और ट्राइग्लिसराइड्स को ज्यादा कम किया।
  • इस डाइट ने शरीर में इंसुलिन के काम करने की क्षमता को भी बेहतर बनाया। लेकिन तीनों ग्रुप्स में यूरिक एसिड और लीवर एंजाइम्स में कोई खास बदलाव नहीं हुआ। आईईआर और टीआरई ग्रुप में 2 मरीजों को और सीईआर ग्रुप में 3 मरीजों को हल्का हाइपोग्लाइसीमिया हुआ। यानी ब्लड शुगर थोड़ा ज्यादा नीचे चला गया, लेकिन यह समस्या हल्की थी। आईईआर और सीईआर ग्रुप की डाइट फॉलो करने की दर टीआरई ग्रुप से काफी बेहतर थी। आईईआर ग्रुप के 85 प्रतिशत लोग अपनी डाइट को सही तरीके से फॉलो कर पाए। सीईआर ग्रुप में 84 प्रतिशत लोगों ने डाइट ठीक से निभाई। टीआरई ग्रुप में 78 प्रतिशत लोगों ने डाइट फॉलो की। डॉ. झांग ने कहा कि ये नतीजे बताते हैं कि मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज़ वाले लोगों के लिए खानपान में बदलाव करना संभव है और यह असरदार भी है

 

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News Editor- (Jyoti Parjapati)

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