Indian Red Cross : इंडियन रेडक्रास सोसाइटी ने सीपीआर प्रशिक्षण अभियान आयोजित कर डॉ. अनुराग ने जीवनरक्षक तकनीक सिखाई

फतेहपुर, 09 दिसंबर 2025। इंडियन रेडक्रास सोसाइटी के तत्वावधान में एक विशेष सीपीआर प्रशिक्षण एवं जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया, जिसमें समाज में जीवनरक्षा के महत्व और कार्डियक इमरजेंसी के समय किए जाने वाले उचित उपायों पर प्रकाश डाला गया। यह प्रशिक्षण और जागरूकता अभियान सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, वीआईपी रोड एवं विद्या त्रिपाठी इंटर कॉलेज, फतेहपुर में आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व इंडियन रेडक्रास सोसाइटी उत्तर प्रदेश के कार्यकारिणी सदस्य एवं फतेहपुर के चेयरमैन डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. अनुराग ने उपस्थित छात्रों, शिक्षकों और सहयोगियों को सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) के महत्व के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सीपीआर एक जीवनरक्षक तकनीक है, जिसे कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन के नाम से भी जाना जाता है। यह तकनीक उस समय प्रयोग में आती है जब किसी व्यक्ति की अचानक हृदय गति रुक जाती है या वह सांस लेने में असमर्थ हो जाता है। इस स्थिति में तत्काल हस्तक्षेप जीवन बचाने में निर्णायक साबित होता है।
डॉ. अनुराग ने उपस्थित लोगों को स्पष्ट रूप से बताया कि एक वर्ष से ऊपर के व्यक्तियों के लिए सीपीआर प्रक्रिया में सबसे पहले 30 बार छाती पर दबाव डालना (Chest Compressions) और इसके बाद 2 बार मुंह से सांस देना (Mouth-to-Mouth Respiration) शामिल है। यह प्रक्रिया लगातार तब तक दोहराई जाती है जब तक हृदय की धड़कन पुनः सक्रिय न हो जाए। इसके माध्यम से किसी व्यक्ति को बिना देर किए प्रारंभिक जीवन समर्थन उपलब्ध कराया जा सकता है, जिससे उसकी जान बचाई जा सकती है।
इसके साथ ही उन्होंने एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए सीपीआर की विशेष तकनीक भी समझाई। उन्होंने बताया कि छोटे बच्चों के लिए 15 बार छाती दबाना और 2 बार मुंह से सांस देना पर्याप्त होता है। इस प्रक्रिया में बच्चे की संवेदनशीलता और शारीरिक संरचना का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक होता है, जिससे उनकी हड्डियों या अंगों को नुकसान न पहुंचे।
डॉ. अनुराग ने इस अवसर पर सीपीआर का व्यावहारिक प्रदर्शन भी किया। उन्होंने बताया कि इस तकनीक को सीखने और अभ्यास करने के लिए डमी या प्रशिक्षण मॉडलों का उपयोग किया जा सकता है। इससे व्यक्ति आत्मविश्वास और दक्षता के साथ वास्तविक स्थिति में कार्य कर सकता है। उन्होंने छात्रों को यह भी सलाह दी कि किसी भी आकस्मिक स्थिति में डरकर पीछे न हटें, बल्कि तुरंत उपलब्ध तकनीक का उपयोग करें और आपातकालीन सेवाओं को सूचित करें

इस कार्यक्रम में प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र सिंह और श्रीमती राजकुमारी सोनी उपस्थित रहे, जिन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे जीवनरक्षक तकनीकों के बारे में अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करें। इसके अतिरिक्त प्रमुख सहयोगी सुरेश कुमार श्रीवास्तव, जो इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य हैं, भी इस कार्यक्रम में मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि इस तरह के प्रशिक्षण और जागरूकता अभियानों का उद्देश्य केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करना नहीं है, बल्कि समाज में सक्रिय और जिम्मेदार नागरिकों की भावनाओं को विकसित करना भी है।
डॉ. अनुराग ने यह भी बताया कि सीपीआर किसी भी उम्र के व्यक्ति पर लागू की जा सकती है, बशर्ते प्रक्रिया के दौरान उचित तकनीक का पालन किया जाए। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया कि समय पर की गई सीपीआर और त्वरित आपातकालीन प्रतिक्रिया कितनी महत्वपूर्ण होती है। उनके अनुसार, सही प्रशिक्षण और अभ्यास से आम व्यक्ति भी जीवनरक्षक तकनीक का उपयोग कर किसी की जान बचा सकता है।
कार्यक्रम के दौरान छात्रों ने भी डॉ. अनुराग के निर्देशन में सीपीआर का अभ्यास किया। उन्होंने अपने अनुभव साझा किए कि प्रारंभिक अभ्यास में कुछ संकोच था, लेकिन डॉ. अनुराग के मार्गदर्शन से सभी छात्रों ने आत्मविश्वास के साथ प्रक्रिया को पूरा किया। इस प्रकार प्रशिक्षण का उद्देश्य केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि इसे व्यावहारिक रूप में सीखने और आत्मसात करने का भी था।
इस जागरूकता अभियान के माध्यम से छात्रों, शिक्षकों और सहयोगियों को यह संदेश भी दिया गया कि आपातकालीन स्थिति में स्थिर मानसिकता, धैर्य और त्वरित प्रतिक्रिया जीवन बचाने में निर्णायक भूमिका निभाती है। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने डॉ. अनुराग और उनके सहयोगियों को इस महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए धन्यवाद दिया।
अंत में, डॉ. अनुराग ने सभी उपस्थित लोगों को प्रेरित किया कि वे न केवल स्वयं इस तकनीक को सीखें, बल्कि अपने परिवार और मित्रों को भी इसके महत्व के प्रति जागरूक करें। उन्होंने यह भी कहा कि इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी समय-समय पर ऐसे प्रशिक्षण और जागरूकता अभियानों का आयोजन करती रहेगी, ताकि समाज के प्रत्येक व्यक्ति को जीवनरक्षक तकनीकों का ज्ञान और अभ्यास प्राप्त हो सके।
इस प्रकार, आज का यह सीपीआर प्रशिक्षण एवं जागरूकता अभियान न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण था, बल्कि यह समाज में सशक्त, जागरूक और जिम्मेदार नागरिकों के निर्माण की दिशा में एक कदम था। छात्रों और शिक्षकों ने इस अवसर का पूर्ण लाभ उठाते हुए भविष्य में ऐसे प्रशिक्षणों में भाग लेने का संकल्प लिया।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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