It’s a paper attack : फर्जी मुकदमा, सच की जीत पर कागज़ी हमला है

- जब किसी पत्रकार की कलम सच बोलने लगती है, जब उसकी आवाज़ जन-जन की आवाज़ बनने लगती है, और जब वह ताकतवर लोगों की नींदें हराम करने लगे तब कुछ लोग कानून का सहारा लेकर झूठ की चादर ओढ़ने की कोशिश करते हैं।
- ऐसा ही हुआ डॉ. नाज़िया द्वारा दर्ज कराए गए फर्जी मुकदमे में जहाँ एक निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार को डराने, दबाने और बदनाम करने की कोशिश की गई। लेकिन यह सभी जानते हैं कि यह सिर्फ एक प्रयास था — सच को रोकने का, पराजय को छुपाने का और अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने का।
- पत्रकारिता को मुकदमों से नहीं रोका जा सकता।
- सच को झूठ के पन्नों में नहीं छुपाया जा सकता।
- एक ईमानदार पत्रकार को झुकाया नहीं जा सकता।
- फर्जी मुकदमे दर्ज करवा देने से किसी की लोकप्रियता नहीं कम होती, बल्कि यह साबित करता है कि सच कहना आज भी क्रांति है।
- हम उस कलम के साथ खड़े हैं जो झुकती नहीं,
- हम उस आवाज़ के साथ हैं जो सत्ता से सवाल पूछती है।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)