Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण ?

Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण

Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण ?
Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण ?

भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद केवल रोगों का उपचार नहीं करती, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के संतुलन के माध्यम से सम्पूर्ण स्वास्थ्य की दिशा में मार्ग प्रशस्त करती है। आज के युग में जब लोग दवाओं और रासायनिक उपचारों पर अधिक निर्भर होते जा रहे हैं, वहीं आयुर्वेद अपने सरल, सस्ते और प्रभावी उपायों के कारण फिर से लोकप्रियता पा रहा है। “जय बाबा धनवंतरी” — यह वाक्य न केवल एक आस्था का प्रतीक है बल्कि आयुर्वेद की दिव्यता का स्मरण कराता है।

आइए, आज जानते हैं दो ऐसी घरेलू और बेहद प्रभावशाली औषधियों के बारे में — सौंफ-मिश्री मिश्रण और मुलहठी चूर्ण, जिनका वर्णन आयुर्वेद के अनेक ग्रंथों में किया गया है और जिनका उपयोग हज़ारों वर्षों से होता आया है।

सौंफ और मिश्री का संयोजन: पेट के रोगों का रामबाण इलाज

सौंफ, जिसे संस्कृत में मधुरिका और अंग्रेज़ी में Fennel कहा जाता है, एक अत्यंत लाभकारी औषधि है। यह न केवल भोजन के पाचन में मदद करती है बल्कि पेट की अनेक समस्याओं को जड़ से मिटाने में सक्षम है। मिश्री (रॉक शुगर) के साथ इसका संयोजन पेट के मरोड़, आंव (श्लेष्मयुक्त दस्त), गैस और अपच जैसी समस्याओं में अत्यंत लाभकारी माना गया है।

उपयोग विधि:
थोड़ी सी सौंफ को हल्का भून लें और उसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। इस मिश्रण को दिन में चार से पाँच बार, लगभग 6 से 10 ग्राम की मात्रा में फांक लें। इसे धीरे-धीरे चबाकर या गरम पानी के साथ लिया जा सकता है।

Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण ?
Jai Baba Dhanvantari : जय बाबा धनवंतरी आज का आयुर्वेद ज्ञान  सौंफ, मिश्री और मुलहठी के अद्भुत औषधीय गुण ?

लाभ:

  1. आंव और मरोड़ में राहत: सौंफ में एनेथोल (Anethole) नामक तत्व होता है जो आँतों की ऐंठन को कम करता है और पाचन तंत्र को शांत करता है।

  2. दस्त और अपच में लाभ: मिश्री की शीतल प्रकृति और सौंफ की वातशामक गुणधर्म शरीर में शांति लाते हैं, जिससे दस्त और पेट दर्द में तुरंत आराम मिलता है।

  3. पाचन शक्ति में वृद्धि: सौंफ भूख बढ़ाती है और भोजन को आसानी से पचाने में मदद करती है।

  4. मुंह की दुर्गंध दूर करती है: यह प्राकृतिक माउथ फ्रेशनर का काम करती है और मुख के जीवाणुओं को नष्ट करती है।

आयुर्वेद के अनुसार, सौंफ का स्वाद मधुर और कषाय होता है, यह शीतवीर्य होती है और वात-पित्त को संतुलित करती है। यही कारण है कि यह पाचन संबंधी सभी विकारों में उपयोगी है।

मुलहठी चूर्ण: खूनी बवासीर और आंतों के विकार का असरदार उपचार

मुलहठी, जिसे यष्टिमधु या Licorice Root कहा जाता है, आयुर्वेद में अत्यंत महत्वपूर्ण औषधि मानी गई है। यह न केवल गले और स्वरयंत्र के रोगों में लाभकारी है, बल्कि आंतों के विकारों, दस्त और खूनी बवासीर में भी वरदान सिद्ध होती है।

उपयोग विधि:
रात को सोने से पहले लगभग 6 ग्राम मुलहठी का पिसा हुआ और छना चूर्ण लें और इसके बाद गुनगुना पानी पी लें। इसे नियमित रूप से करने से पेट साफ होता है, आंतों की सूजन दूर होती है और खूनी बवासीर में बहने वाला रक्त रुक जाता है।

लाभ:

  1. खूनी बवासीर में राहत: मुलहठी की शीतलता और सूजनरोधक गुण गुदा की सूजन को शांत करते हैं और रक्तस्राव को नियंत्रित करते हैं।

  2. दस्त और पाचन सुधार: यह आंतों को मुलायम करती है, जिससे कब्ज या दस्त दोनों में संतुलन आता है।

  3. रोग की वृद्धि को रोकती है: नियमित सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और पुरानी पाचन समस्याएं जड़ से समाप्त होती हैं।

  4. आंतों की सूजन और संक्रमण में लाभ: इसके एंटीबैक्टीरियल गुण हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, मुलहठी मधुर रस, शीतवीर्य और कफ-पित्त शामक औषधि है। यह शरीर में उष्णता को संतुलित करती है और सूजन, जलन तथा रक्तस्राव को रोकती है।

आयुर्वेद की मूल भावना — जड़ से रोग समाप्त करना
  • आयुर्वेद केवल लक्षणों को दबाने की बात नहीं करता, बल्कि रोग की जड़ को समाप्त करने की प्रक्रिया बताता है। आधुनिक चिकित्सा जहां तुरंत राहत देती है, वहीं आयुर्वेद शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर रोग से स्थायी मुक्ति दिलाता है।
  • सौंफ, मिश्री और मुलहठी जैसे साधारण दिखने वाले पदार्थ वास्तव में प्रकृति की अनुपम देन हैं। इनका सेवन न केवल पेट संबंधी रोगों में लाभकारी है बल्कि पूरे पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
  • आयुर्वेद के महान आचार्य चरक और सुश्रुत ने कहा है —“स्वस्थस्य स्वास्थ्य रक्षणं, आतुरस्य विकार प्रशमनं च।”
  • अर्थात्, आयुर्वेद का उद्देश्य केवल रोगी का उपचार नहीं, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना भी है।
आयुर्वेद अपनाएं, रोग से मुक्ति पाएं
  • आज के भागदौड़ भरे जीवन में जब भोजन की अनियमितता, तनाव और प्रदूषण से स्वास्थ्य बिगड़ रहा है, तब आयुर्वेद हमें एक सरल रास्ता दिखाता है — प्रकृति की ओर लौटने का रास्ता
  • यदि आपको पाचन की समस्या, दस्त, बवासीर या कोई अन्य पुराना रोग हो, तो किसी अनुभवी वैद्य से सलाह अवश्य लें। उदाहरणस्वरूप, वैद्य राजेश श्रीवास्तव, लोनावाला (पुणे) से संपर्क कर आप व्यक्तिगत परामर्श ले सकते हैं। उनके अनुसार, “आयुर्वेद हर रोग का जड़ से नाश कर सकता है, बशर्ते रोगी धैर्य और नियमितता रखे।”

News Editor- (Jyoti Parjapati)

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