Kabaddi competition : उत्तर प्रदेश के जनपद हापुड़ के कुचेसर रोड चोपला फाटक के पास इस साल भी कबड्डी प्रतियोगिता आयोजित

हापुड़ जनपद के बाबूगढ़ थाना क्षेत्र स्थित कुचेसर चौपला का नाम आज खेल प्रेमियों के बीच एक पहचान बन चुका है। लगभग 18 वर्षों से लगातार यहाँ भव्य कबड्डी प्रतियोगिता आयोजित की जा रही है, जिसने न केवल स्थानीय खिलाड़ियों को मंच दिया है, बल्कि देश के कई राज्यों के होनहार खिलाड़ियों को भी एक साथ जोड़ने का कार्य किया है। वर्षों पुरानी यह परंपरा अब एक बड़ा खेल समारोह बन चुकी है, जिसमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड जैसे राज्यों से खिलाड़ी उत्साह के साथ भाग लेने पहुँचते हैं।
कुचेसर चौपला में आयोजित इस प्रतियोगिता का उद्देश्य न केवल खेल को बढ़ावा देना है बल्कि ग्रामीण युवाओं में खेल के प्रति रुचि जगाना भी है। कबड्डी, जो भारत की माटी से जुड़ा हुआ खेल माना जाता है, आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बना रहा है। ऐसे में ग्रामीण स्तर पर इस तरह के लगातार आयोजन खेल प्रतिभाओं को निखारने का कार्य कर रहे हैं।
भारत सरकार और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा खेलों को बढ़ावा देने के लिए चलाया जा रहा “खेलो इंडिया” अभियान भी देश के युवाओं में नई ऊर्जा का संचार कर रहा है। इसी प्रेरणा को ध्यान में रखते हुए कुचेसर चौपला की यह पारंपरिक प्रतियोगिता साल-दर-साल और भव्य होती जा रही है। स्थानीय आयोजकों और कमेटी के सदस्यों का मानना है कि प्रधानमंत्री के खेलो इंडिया कार्यक्रम ने खेल संस्कृति को नई दिशा दी है, जिसका सकारात्मक प्रभाव यहाँ के आयोजन पर भी देखने को मिलता है। कई युवा खिलाड़ी इस मंच से प्रेरित होकर जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच रहे हैं।
प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों के उत्साह को बढ़ाने के लिए कमेटी द्वारा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कार एवं सम्मान भी प्रदान किया जाता है। यह सम्मान खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाता है और उन्हें अपने खेल में और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करता है। दूर-दूर के गांवों, कस्बों और शहरों से आने वाले खिलाड़ियों और दर्शकों के लिए आयोजन समिति द्वारा खाने-पीने, ठहरने और अन्य आवश्यक सुविधाओं का पूरा प्रबंध किया जाता है। यही वजह है कि यह प्रतियोगिता वर्ष दर वर्ष लोकप्रिय होती जा रही है और बड़ी संख्या में खिलाड़ी इसमें प्रतिभाग करने आते हैं।
इस आयोजन की एक विशेषता यह भी है कि यहाँ कबड्डी के साथ-साथ नेशनल कुश्ती प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। यह परंपरा कई वर्षों से लगातार जारी है और भारतीय akhadA संस्कृति की झलक को जीवित रखे हुए है। पहलवानों का दमदार प्रदर्शन, दांव-पेंच और ग्रामीण खेल संस्कृति की झलक यहाँ देखने को मिलती है, जो युवा पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ती है।
कहते हैं कि यह आयोजन साहित्य और संस्कृति से भी जुड़ा हुआ है। बताया जाता है कि खड़ख बोली के सुप्रसिद्ध कवि, महात्मा—जिनकी काव्य धारा ने ग्रामीण संस्कृति को नई पहचान दी—उनकी स्मृति में यह आयोजन वर्षो से किया जाता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि इस आयोजन के माध्यम से न केवल खेल बल्कि सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण भी किया जा रहा है।

इस पूरे आयोजन को सफल बनाने में कमेटी की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। संयोजक, पहलवान, और अन्य जिम्मेदार सदस्य मिलकर कई माह पहले से तैयारी में जुट जाते हैं। खिलाड़ियों को बुलाने से लेकर मैदान की तैयारी, मंच व्यवस्था, सुरक्षा, जलपान, चिकित्सा सुविधा और दर्शकों के बैठने तक की हर व्यवस्था कमेटी द्वारा अत्यंत सजगता के साथ की जाती है। इस वर्ष भी आयोजन समिति ने पूरी मेहनत और लगन से खेल प्रतियोगिता को सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
संयोजक पहलवान ने मीडिया से बातचीत में बताया कि कुचेसर चौपला पर होने वाली यह कबड्डी और कुश्ती प्रतियोगिता अब एक ब्रांड बन चुकी है। हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और उत्तराखंड के नामी खिलाड़ी यहाँ आकर खेलते हैं। खिलाड़ियों को इस मंच से जो सम्मान और पहचान मिलती है, वह उन्हें आगे बढ़ने की शक्ति देती है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण स्तर पर ऐसे आयोजन प्रतिभाओं को उभरने का अवसर देते हैं और युवाओं को गलत राह से बचाकर खेल की ओर प्रेरित करते हैं।
इसी क्रम में रियाज, मीडिया प्रभारी कमेटी (हिंदुस्तान पेपर) ने बताया कि इतने लंबे समय से निरंतर होने वाले इस आयोजन को लेकर मीडिया में भी विशेष रुचि रहती है। हर वर्ष बड़ी संख्या में दर्शक, खेल प्रेमी, स्थानीय लोग और मीडिया प्रतिनिधि इस आयोजन को कवर करने पहुँचते हैं। रियाज ने कहा कि कमेटी की टीम हर खिलाड़ी को परिवार जैसा माहौल देने का प्रयास करती है, ताकि खिलाड़ी किसी भी तरह की असुविधा के बिना अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।
कुचेसर चौपला की यह प्रतिस्पर्धा न केवल एक खेल आयोजन है बल्कि गाँव और शहर की एकजुटता, सामुदायिक सद्भाव, सांस्कृतिक विरासत और खेल भावना का संगम भी है। यह आयोजन यह संदेश देता है कि यदि समाज खेलों को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हो जाए, तो ग्रामीण स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नई प्रतिभाएँ लगातार उभर सकती हैं।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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