land mafias : विवेक विहार थाना क्षेत्र में महिला के साथ मारपीट, भू-माफियाओं के हौसले बुलंद

जोधपुर। शहर के विवेक विहार थाना क्षेत्र में इन दिनों एक विवाद ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। आरोप है कि कुछ भू-माफिया तत्वों ने स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से एक परिवार के घर पर जबरन कब्जा करने की कोशिश की और वहां अवैध निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया। पीड़ित परिवार का कहना है कि जब उन्होंने इसका विरोध किया, तो उनके साथ न केवल मारपीट की गई बल्कि पुलिस ने शिकायत दर्ज करने से भी इनकार कर दिया। इस घटनाक्रम से पूरे क्षेत्र में आक्रोश फैल गया है और लोगों में यह भावना गहराती जा रही है कि प्रशासनिक स्तर पर न्याय की उम्मीद अब धूमिल होती जा रही है।
पीड़ित परिवार की आपबीती
प्राप्त जानकारी के अनुसार, पीड़ित परिवार पिछले कई वर्षों से विवेक विहार क्षेत्र में अपने मकान में रह रहा है। परिवार का कहना है कि कुछ प्रभावशाली भू-माफिया उनके घर पर कब्जा जमाने की नीयत से आए और जबरन दीवार तोड़कर निर्माण सामग्री डाल दी। जब घर के सदस्यों ने इसका विरोध किया, तो उनके साथ धक्का-मुक्की, गाली-गलौज और मारपीट की गई। पीड़ित महिला ने बताया कि हमलावरों ने उन्हें धमकी दी कि अगर वे दोबारा विरोध करेंगे तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।
परिवार ने तत्काल पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन उनका आरोप है कि थाना पुलिस ने न तो शिकायत दर्ज की और न ही घटनास्थल पर जाकर जांच की। परिवार का कहना है कि उन्हें बार-बार थाने के चक्कर लगाने पड़े, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे स्पष्ट होता है कि स्थानीय स्तर पर पुलिस-प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है और यह सवाल उठता है कि आखिर कानून व्यवस्था का पालन कराने वाली संस्था ही अगर मौन रहे, तो आम नागरिक कहां जाए।
भू-माफियाओं के बढ़ते हौसले
स्थानीय निवासियों ने बताया कि विवेक विहार क्षेत्र में बीते कुछ समय से भू-माफियाओं की सक्रियता बढ़ती जा रही है। कई ऐसे लोग हैं जो सरकारी जमीन या निजी संपत्तियों पर कब्जा कर अवैध निर्माण करवाने का काम करते हैं। इस तरह के माफिया अक्सर स्थानीय अधिकारियों और पुलिसकर्मियों से सांठगांठ कर अपने काम को अंजाम देते हैं। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया, तो स्थिति और भी विकराल हो सकती है।
एक स्थानीय बुजुर्ग निवासी ने कहा, “हमारे क्षेत्र में यह पहली बार नहीं हो रहा। कई बार पहले भी शिकायतें दी गईं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ आश्वासन मिला। कुछ लोग इतने प्रभावशाली हैं कि पुलिस भी उनके खिलाफ बोलने से डरती है।” यह बयान क्षेत्र में कानून व्यवस्था की गिरती स्थिति को दर्शाता है।

पुलिस की चुप्पी पर सवाल
इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा सवाल पुलिस की भूमिका को लेकर उठ रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि थाना स्तर पर पुलिस की ओर से शिकायत दर्ज करने में जानबूझकर देरी की जाती है और कभी-कभी शिकायत को “निजी विवाद” बताकर टाल दिया जाता है। इससे भू-माफियाओं को खुली छूट मिल जाती है और वे दिनदहाड़े लोगों की संपत्ति पर कब्जा करने की हिम्मत दिखाते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में पुलिस की जिम्मेदारी होती है कि वह तुरंत एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच करे। लेकिन जब पुलिस खुद उदासीन रहती है, तो पीड़ित के पास न्याय पाने का रास्ता बहुत सीमित रह जाता है। यही वजह है कि अब आमजन में पुलिस के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ रही है।
ग्रामीणों की चेतावनी और प्रशासन से अपेक्षा
घटना के बाद ग्रामीणों ने एकत्र होकर विरोध जताया और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सामूहिक रूप से प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे। लोगों का कहना है कि इस तरह की घटनाएँ न केवल सामाजिक असंतुलन पैदा करती हैं, बल्कि क्षेत्र की कानून-व्यवस्था को भी गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक से आग्रह किया है कि इस मामले की जांच किसी उच्च अधिकारी या स्वतंत्र टीम से करवाई जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर भू-माफियाओं को जल्द रोका नहीं गया, तो यह प्रवृत्ति पूरे जोधपुर शहर में फैल सकती है।
प्रशासनिक जवाबदेही की आवश्यकता
यह मामला केवल एक परिवार के अन्याय की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक व्यवस्था की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार की झलक भी पेश करता है। जब भू-माफिया पुलिस की निगरानी में अवैध कब्जे कर रहे हों और पीड़ित दर-दर भटकता रहे, तो यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर सवाल खड़े करता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएँ तब तक नहीं रुकेंगी जब तक पुलिस और प्रशासन में जवाबदेही तय नहीं की जाएगी। आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे मामलों में तत्काल प्रभाव से कार्रवाई की जाए, दोषियों पर सख्त दंडात्मक कदम उठाए जाएँ और पीड़ित को सुरक्षा दी जाए।
निष्कर्ष
विवेक विहार क्षेत्र की यह घटना केवल एक स्थानीय विवाद नहीं, बल्कि यह पुलिस प्रशासन की विश्वसनीयता और कानून व्यवस्था की स्थिति पर एक गंभीर टिप्पणी है। यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो ऐसे मामलों से लोगों का भरोसा पूरी तरह खत्म हो सकता है। अब देखना यह है कि जोधपुर प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई भू-माफियाओं पर शिकंजा कसने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाते हैं या फिर यह मामला भी अन्य कई घटनाओं की तरह फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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