little hands : नन्हे-नन्हे हाथ, जुबान पर कुछ निवालों की ख्वाहिश लिए, विकास में इन्हें क्यों नहीं शामिल किया जाता

सड़कों पर खुलेआम लोगों के सामने इतने सारे हाथ कैसे उम्मीद और ख्वाहिश में..!! व्यवस्था और परंपरा पर शर्मिंदगी..!! अमूमन सभी शहरों-महानगरों में हाथ फैलाए खड़े कई बच्चों पर लोगों की नजर लगभग हर रोज जाती है!सेल्फियों के जरिए लोगों द्वारा उनकी मासूमियत के संग चिपकी गरीबी को कैद होते हुए मैं भी देखता है!नन्हे-नन्हे हाथ, जुबान पर कुछ निवालों की ख्वाहिश लिए भारत का भविष्य माने जाने वाले बहुत सारे बच्चे आज अपने विकास की उम्मीद में दर-दर कहें या घर-घर भटकते हैं। दरअसल, भारत का एक हिस्सा आधुनिकता को जान और पहचान रहा है या उसके साथ खुद को अभ्यस्त करने की कोशिश भी कर रहा है। लेकिन उनका क्या, जो आज भी लोगों में समृद्धि की हलकी-सी निशानी देख कर भी हाथ पसार देते हैं! भारत भले ही उम्र के हिसाब से विकास की ओर बढ़ रहा हो, लेकिन आज भी महज पांच, छह और सात व दस से बारह साल के बच्चे भीख मांगते अक्सर दिख जाते हैं! इन्हें देख कर जेहन में सवाल उठता है कि विकास में इन्हें क्यों नहीं शामिल किया जाता है। इतनी सारी योजनाएं बनने और देश में योजना बनाने वालों की भरमार के बावजूद इन बच्चों को उचित सुविधाएं मुहैया कराते हुए एक मॉडल बनाने की दिशा में प्रयास क्यों नहीं होता! सरकार के स्तर पर कोई ‘सुपर 30’ इनके लिए काम क्यों नहीं करती! अगर एक ठोस पहलकदमी हो तो कोई कारण नहीं कि इन्हें भी इंजीनियर नहीं बनाया जा सके।

बगैर इन बच्चों के भविष्य पर चिंतन के न ‘डिजिटल भारत’ का सपना पूरा होगा और न ‘इंडिया’ ही सकारात्मक तौर पर परिभाषित किया जा सकेगा!भारत में भीख मांगना अपराध की श्रेणी में रखा गया है! फिर देश की सड़कों पर खुलेआम लोगों के सामने इतने सारे हाथ कैसे उम्मीद और ख्वाहिश में फैले रहते हैं? अगर भीख मांगना अपराध है तो बिना किसी तरह की हिचक के सबके सामने यह ‘अपराध’ कैसे चलता रहता है? घोषित अपराध को रोकने वाला हमारा महकमा कहां सो रहा होता है? इनके प्रति आंखें मूंद रख कर कहीं हमारी व्यवस्था अपनी इन जिम्मेदारियों से मुंह तो नहीं चुरा रही होती है कि अभाव में मर-जी रहे अपने नागरिकों को इस दलदल से निकालना उसका दायित्व है? इन सारी बातों पर बहसें लगातार होती रही हैं। लेकिन मंच पर सजी राजनीतिक जुबानों पर इनका जिक्र कहीं नहीं आता है, क्योंकि राजनेताओं ने राजनीति का मतलब महज धर्म का बंटवारा और जाति में मतभेद बना रखा है। लेकिन मुद्दा लाख टके का है। कभी भी उछालिए तो खूब बिकेगा भी। लोग अफसोस भी जताएंगे। कुछ दिन के लिए नजर और नजरिया भी बदलेगा। चाट के ठेलों, समोसे की दुकानों से खासतौर पर एकाध चीजें लेकर दान देने का हम दिखावा भी करेंगे। लेकिन क्या इस प्रयास से वे अभाव के मारे सुखी हो जाएंगे? क्या एक दिन जुबान में हमारे द्वारा पैदा किया चटखारा उन्हें धन्य कर जाएगा? इस व्यवस्था और परंपरा पर शर्मिंदगी होती है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
सभी समाचार देखें सिर्फ अनदेखी खबर सबसे पहले सच के सिवा कुछ नहीं ब्यूरो रिपोर्टर :- अनदेखी खबर ।
YouTube Official Channel Link:
https://youtube.com/@atozcrimenews?si=_4uXQacRQ9FrwN7q
YouTube Official Channel Link:
https://www.youtube.com/@AndekhiKhabarNews
Facebook Official Page Link:
https://www.facebook.com/share/1AaUFqCbZ4/
Whatsapp Group Join Link:
https://chat.whatsapp.com/KuOsD1zOkG94Qn5T7Tus5E?mode=r_c
अनदेखी खबर न्यूज़ पेपर भारत का सर्वश्रेष्ठ पेपर और चैनल है न्यूज चैनल राजनीति, मनोरंजन, बॉलीवुड, व्यापार और खेल में नवीनतम समाचारों को शामिल करता है। अनदेखी खबर न्यूज चैनल की लाइव खबरें एवं ब्रेकिंग न्यूज के लिए हमारे चैनल को Subscribe, like, share करे।
आवश्यकता :- विशेष सूचना
(प्रदेश प्रभारी)
(मंडल प्रभारी)
(जिला ब्यूरो प्रमुख)
(जिला संवाददाता)
(जिला क्राइम रिपोर्टर)
(जिला मीडिया प्रभारी जिला)
(विज्ञापन प्रतिनिधि)
(तहसील ब्यूरो)
(प्रमुख तहसील संवाददाता