Master Trainer : मास्टर ट्रेनर नवीन दीक्षित ने अवकाश लेकर मॉडल स्कूल अकबरपुर में छात्रों को फाइलेरिया बचाव सिखाया

अकबरपुर, कानपुर देहात (उ.प्र.)। समाजहित और जनस्वास्थ्य के प्रति समर्पित प्रयासों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मीना मंच के मास्टर ट्रेनर नवीन कुमार दीक्षित ने आकस्मिक अवकाश लेकर मॉडल प्राथमिक विद्यालय, अकबरपुर में विद्यार्थियों को फाइलेरिया (हाथीपांव रोग) से बचाव के संबंध में महत्वपूर्ण जागरूकता प्रदान की। यह कार्यक्रम स्वप्रेरित विद्यादान अभियान के अंतर्गत आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को स्वास्थ्य, स्वच्छता और रोग-प्रतिरोध से संबंधित मूलभूत जानकारियाँ उपलब्ध कराना है।
कार्यक्रम की शुरुआत में नवीन दीक्षित ने बच्चों को स्वच्छता की शपथ दिलाई तथा उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े आवश्यक बिंदुओं के बारे में सरल भाषा में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि फाइलेरिया, जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी कहा जाता है, एक गंभीर बीमारी है जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होती है। यह रोग इतनी धीमी गति से शरीर में विकसित होता है कि इसके लक्षण कई बार 10 से 15 वर्षों बाद तक दिखाई देते हैं। इसलिए, बचपन से ही इसके प्रति सतर्कता और एहतियात रखना अत्यंत आवश्यक है।
उन्होंने बच्चों को समझाया कि फाइलेरिया की बीमारी केवल शारीरिक कष्ट ही नहीं देती, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूप से भी अत्यधिक हानिकारक है। उन्होंने कहा कि जब परिवार का कोई सदस्य ऐसी लंबी बीमारी से ग्रसित हो जाता है, तो दवा, इलाज और देखभाल पर खर्च बढ़ जाता है और परिवार गरीबी रेखा की ओर धकेला जा सकता है। इसीलिए इस बीमारी से बचाव ही सबसे प्रभावी उपाय है।
मास्टर ट्रेनर दीक्षित ने बच्चों को यह भी बताया कि इस रोग से बचने का प्रमुख तरीका है कि मच्छरों से स्वयं को बचाया जाए। उन्होंने छात्रों को विशेष रूप से मच्छरदानी में सोने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि चाहे गर्मी हो या सर्दी, मच्छरदानी का प्रयोग आदत बनाना चाहिए, क्योंकि इससे मच्छरों के संपर्क में आने की संभावना अत्यंत कम हो जाती है।
उन्होंने आगे समझाया कि फाइलेरिया से बचने का एक महत्वपूर्ण और वैज्ञानिक तरीका है कि लोग वर्ष में एक बार फाइलेरिया-रोधी दवाओं का सेवन अवश्य करें। सरकार द्वारा लगाए जाने वाले फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी डी.ई.सी. (डाइएथाइल कार्बामाज़ीन), एल्बेण्डाजोल, और आइवरमेक्टिन दवाएँ उपलब्ध कराते हैं। ये दवाएँ शरीर में छिपे फाइलेरिया के कीटाणुओं को नष्ट करती हैं और संक्रमण को फैलने से रोकती हैं। नवीन दीक्षित ने बच्चों से अपील की कि वे अपने अभिभावकों को इस दवा को लेने के लिए प्रेरित करें और स्वयं भी जब डॉक्टर या स्वास्थ्य अधिकारी दें, तब दवा का पूर्ण डोज़ लें।

बच्चों को मच्छरों के पनपने के स्थलों के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मच्छर आमतौर पर गंदे और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं। इसलिए घर और आसपास की जगहों पर पानी जमा न होने दें। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे अपने घरों के कोनों, कूलरों, टूटे हुए टायर, गमलों, डिब्बों और अन्य पात्रों की नियमित सफाई करें ताकि उनमें वर्षा जल एकत्र न हो पाए। उन्होंने जोर दिया कि स्वच्छता केवल घर के अंदर ही नहीं बल्कि घर के बाहर और आसपास की गलियों व नालियों में भी बराबर आवश्यक है।
नवीन दीक्षित ने कहा कि मच्छर जनित रोगों—जैसे डेंगू, मलेरिया और फाइलेरिया—से बचने के लिए शाम के समय पूरे बाजू के कपड़े पहनने चाहिए। साथ ही, मच्छर भगाने वाली क्रीम, दवाओं या धूप/कॉइल का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बच्चों को बताया कि यह छोटे-छोटे कदम बीमारी को काफी हद तक रोक सकते हैं।
उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे नियमित रूप से स्वास्थ्य परीक्षण कराते रहें, विशेषकर यदि उनके घर में या आसपास कोई मच्छर जनित रोगों से ग्रसित व्यक्ति रहा हो। समय-समय पर डॉक्टर से परामर्श लेना और स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जाने वाले जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेना भी अत्यंत आवश्यक है।
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थी उत्साहपूर्वक प्रश्न पूछते रहे और नवीन दीक्षित ने धैर्यपूर्वक उनके सभी सवालों का विस्तृत उत्तर दिया। बच्चों ने यह भी वादा किया कि वे अपने परिवार और पड़ोस में लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करेंगे और स्वच्छता के नियमों का पालन करेंगे।
अंत में, विद्यालय के स्टाफ ने मास्टर ट्रेनर नवीन दीक्षित के इस प्रेरक और जनहितकारी प्रयास के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अचानक अवकाश लेकर भी बच्चों को जागरूक करने का उनका यह सराहनीय प्रयास उन्हें एक आदर्श शिक्षक और संवेदनशील नागरिक के रूप में स्थापित करता है। उनके अनुसार, ऐसे कार्यक्रम न केवल शैक्षणिक ज्ञान बढ़ाते हैं बल्कि बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करते हैं।
इस प्रकार, स्वप्रेरित विद्यादान कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित यह जागरूकता अभियान न केवल स्वास्थ्य सुरक्षा का संदेश लेकर आया, बल्कि बच्चों को यह भी सिखाया कि स्वच्छता, सावधानी और समय पर दवाओं का सेवन जीवन को गंभीर बीमारियों से सुरक्षित रख सकता है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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