Montaga : ओडिशा के राजगढ़ में चक्रवात ‘मोंथगा’ से निपटने की तैयारियां: जिला प्रशासन पूरी तरह सतर्क और सशक्त

ओडिशा राज्य का राजगढ़ जिला इन दिनों चक्रवात ‘मोंथगा’ की संभावित आहट के कारण पूरी तरह सतर्क हो गया है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार यह चक्रवात आंध्र प्रदेश के तट से टकराने की संभावना है, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव ओडिशा के दक्षिणी जिलों पर भी पड़ सकता है। इसी संदर्भ में राजगढ़ जिला प्रशासन ने व्यापक स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं ताकि किसी भी प्रकार की जनहानि या संपत्ति के नुकसान को न्यूनतम किया जा सके। जिला कलेक्टर आशुतोष कुलकर्णी ने बताया कि भले ही रेगाडा (राजगढ़) चक्रवात के सीधे मार्ग में नहीं है, फिर भी एहतियात के तौर पर जिले में 28 और 29 अक्टूबर को भारी बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है। प्रशासन ने सभी ब्लॉक और तहसील स्तर पर अधिकारियों को उच्च सतर्कता पर रखा है और आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
कलेक्टर कुलकर्णी के अनुसार, जिला प्रशासन ने “बेसिक प्रिपेयर्डनेस मॉड्यूल” लागू किया है, जिसके तहत सभी विभागों को अपने-अपने स्तर पर तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। प्रत्येक ब्लॉक में जेसीबी मशीनें, ट्रैक्टर, और अन्य भारी उपकरण तैयार रखे गए हैं ताकि भारी बारिश या भूस्खलन की स्थिति में सड़कों को तुरंत साफ किया जा सके और राहत एवं बचाव कार्यों में कोई बाधा न आए। जिले के कई इलाकों में पहाड़ी और ढलवां भूभाग होने के कारण भूस्खलन का खतरा अधिक रहता है। इसलिए प्रशासन ने पहले से ही संभावित प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर ली है। स्थानीय पंचायतों और ग्रामीण स्वयंसेवकों को आपात स्थिति में राहत कार्यों में सहायता के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
जिले में बिजली आपूर्ति बनाए रखने के लिए टीपीएस (टेक्निकल पावर सपोर्ट) टीमों को चौबीसों घंटे के लिए तैयार रखा गया है। चक्रवात के दौरान बिजली के तार टूटने या खंभे गिरने जैसी घटनाओं से निपटने के लिए मरम्मत दलों को आवश्यक उपकरणों और जनरेटर के साथ तैनात किया गया है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में दवाओं का पर्याप्त भंडार उपलब्ध कराया गया है। डॉक्टरों और नर्सों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से तुरंत निपटा जा सके।

प्रशासन ने शिक्षा विभाग को भी सतर्क कर दिया है। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सभी स्कूलों और सरकारी दफ्तरों को दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। इस दौरान स्कूलों की इमारतों को अस्थायी आश्रयों में परिवर्तित किया जा रहा है, जहां जरूरत पड़ने पर लोगों को शरण दी जा सकेगी। कलेक्टर ने बताया कि जिले में कई ऐसे मकान हैं जो कच्चे हैं या कमजोर संरचना वाले हैं। ऐसे सभी असुरक्षित घरों की सूची तैयार कर ली गई है, और यदि मौसम की स्थिति बिगड़ती है तो इन क्षेत्रों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा। इन अस्थायी आश्रयों में भोजन, पेयजल, दवाइयों और प्राथमिक उपचार की सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।
महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए जिला प्रशासन ने विशेष योजना बनाई है। विशेष रूप से उन गर्भवती महिलाओं की पहचान की गई है जिनका प्रसव अगले सात दिनों में होने वाला है। प्रशासन इन महिलाओं को पहले ही सुरक्षित अस्पतालों या मातृशिशु देखभाल केंद्रों में स्थानांतरित कर रहा है, ताकि चक्रवात या भारी बारिश के दौरान उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। यह कदम सरकार की “मदर एंड चाइल्ड सेफ्टी प्रोग्राम” के तहत उठाया गया है, जिससे मातृ मृत्यु दर और नवजात जोखिम को कम किया जा सके।
इसके साथ ही, राजस्व, आपदा प्रबंधन, पुलिस, और जल संसाधन विभागों के बीच समन्वय स्थापित किया गया है। प्रत्येक विभाग को अपने-अपने क्षेत्र में विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है। पुलिस विभाग ने बचाव दलों को तैयार रखा है और आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर सक्रिय कर दिए गए हैं। स्वयंसेवी संगठन, एनजीओ और स्थानीय युवाओं को भी राहत कार्यों में सहयोग के लिए शामिल किया गया है। ग्रामीण इलाकों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं ताकि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।
जिला प्रशासन ने इस बात पर भी जोर दिया है कि लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मनाने में स्थानीय सरपंचों और पंचायत प्रतिनिधियों की अहम भूमिका होगी। ग्राम स्तर पर कंट्रोल रूम स्थापित किए जा रहे हैं जो मौसम की जानकारी और चेतावनियों को तुरंत लोगों तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा, पशुपालन विभाग ने पशुओं की सुरक्षा के लिए भी व्यवस्था की है। चारे और पशु चिकित्सा की सुविधाएं अस्थायी शिविरों में उपलब्ध कराई जा रही हैं ताकि ग्रामीणों के मवेशियों को भी किसी प्रकार का नुकसान न हो।
कुल मिलाकर, राजगढ़ जिला प्रशासन ने चक्रवात ‘मोंथगा’ से निपटने के लिए बहुस्तरीय और व्यापक तैयारी की है। अधिकारियों की तैनाती, संसाधनों की उपलब्धता, और जनजागरूकता अभियानों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके। कलेक्टर आशुतोष कुलकर्णी का कहना है कि प्रशासन का लक्ष्य “शून्य जनहानि” रखना है और इसके लिए सभी विभाग पूरी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से बचें, प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और मौसम की स्थिति पर लगातार नजर रखें। इस तरह राजगढ़ जिला आज आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में तैयारियों का एक सशक्त उदाहरण बनकर उभरा है, जो यह दिखाता है कि समन्वित प्रयास और समय पर की गई कार्रवाई किसी भी प्राकृतिक आपदा से होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम कर सकती है।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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