Most of the schools were robbed : उत्तर प्रदेश के स्कूलों की मनमानी और लूट खसौट नही ले रही रुकने का नाम सबसे ज्यादा स्कूलों में लूट ?

उत्तर प्रदेश के स्कूलों की मनमानी और लूट खसौट नही ले रही रुकने का नाम सबसे ज्यादा स्कूलों में लूट हो रही है जनपद हापुड़ में!!*
शिक्षा का पूरी तरह हो रहा बाजारीकरण..!
अभिभावक लंबी लंबी लाइनों में लगकर शोषण का शिकार हो रहे हैं कभी एडमिशन के नाम पर जो कभी किसी और चीज के नाम पर..!!
बहुत कम समय में बहुत ज्यादा अमीर और कई गुना अपने स्कूल का विस्तार कर लेते हैं लाख टके का सवाल..!!
- सरकार शिक्षा को लेकर हर रोज सार्थक प्रयास करने की कोशिश कर रही है लेकिन शिक्षा माफिया भी अपनी हठधर्मिता से बाज नहीं आ रहे हैं और यदि हम प्राइवेट पब्लिक स्कूलों की बात करें तो इस मामले में इन्होंने अभिभावको से मनमाने तरीके से रुपये ऐठने के मामले में हद कर रख दी है हर चीज में रुपये बढ़ा रहे हैं तथा अपनी दुकानदारी चला रहे हैं इन पर लगाम कसने के लिए सरकार ने एक गाइडलाइन भी जारी की थी लेकिन अभी तक उस पर कोई भी अमल होते दिखाई नहीं दे रहा है जिलों में बैठे अधिकारी भी इस मामले में अभी कोई गंभीरता नहीं दिखा रहे हैं जिसका परिणाम यह है कि पब्लिक स्कूल वाले बेलगाम होकर वसूली कर रहे हैं फ़ीस से लेकर स्कूल बैग बच्चों की ड्रेस के नाम पर जमकर उगाही की जा रही है।अभिभावक शिकायत करके थक चुके हैं लेकिन कहीं भी कोई हल नहीं हो पा रहा है।एडमिशन हो रहे हैं लेकिन देख कर लगता है कि यह शिक्षा ना होकर कोई पूरी तरीके से व्यापार हो गया हो शिक्षा के इस बाजारीकरण में आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है जिला स्तर पर किसी भी प्रकार की कोई लगाम इन पर नहीं है यह पब्लिक स्कूल वाले अपने तरीके से अपनी मनमानी और हठधर्मिता चलाते हैं किसी का भी इन पर कोई अंकुश नहीं है एक गरीब परिवार एवं मध्यम वर्गीय इसमें पूरी तरीके से पीसकर रह गया है बेहतर हो की योगी सरकार तत्परता के साथ इन पर लगाम कसने के अपने फार्मूले पर पूरी गंभीरता दिखाएं शायद तभी सुधार की कोई गुंजाइश दिखाई दे अभी तक कहीं कोई भी सुधार होते हुए दिखाई नहीं दे रहा है। अभिभावक लंबी लंबी लाइनों में लगकर शोषण का शिकार हो रहे हैं कभी एडमिशन के नाम पर जो कभी किसी और चीज के नाम पर शोषण हो रहा है जिले के जिलाधिकारी महोदय यदि अपने स्तर से अभी भी जांच कराएं और पब्लिक स्कूल वालों की मनमानी का नजारा देखें तो सारी सच्चाई और वास्तविकता सामने आ जाएगी इसी वजह से शिक्षा का पूरी तरह बाजारीकरण हो गया है इन पर अंकुश लगना हर प्रकार से जनहित में है शिक्षा विभाग के अधिकारी इस मामले में कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है उनका कहना है कि उन्हें इस मामले में बहुत ज्यादा अधिकार मिले हुए नहीं है इस कारण यह पब्लिक स्कूल वाले अपनी मर्जी के हिसाब से वसूली कर रहे हैं यदि इनकी वसूली पर नजर डाली जाए तो बहुत ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं यह मनमानी फीस के साथ बिल्डिंग फीस बच्चों की ड्रेस तथा कई अन्य प्रकार की फीस भी वसूल रहे हैं जिसका कोई सरोकार ही नहीं है।साथ ही इन्होंने अपनी सुविधा और अपने फायदे के अनुसार दुकानदारों को अधिकार करके रखा हुआ है कौन सी किताब चलेगी कौन सी नहीं चलेगी इसका निर्धारण यह स्कूल वाले स्वयं करते हैं महंगे कोर्स के नाम पर जबरदस्त वसूली है इतना ही नहीं किस कपड़े वाले के यहां से कौन सा कपड़ा और ड्रेस खरीदनी है यह भी स्कूल वाले ही निर्धारित करते हैं इनका बस नहीं चलता वरना यह बच्चों के खाने पीने की चीज भी अपने हिसाब से अपने दुकानदारों को फिक्स कर दें बेहतर हो इस मामले में सरकार गंभीरता के साथ ध्यान दें इनकी इंतहा इस कदर हो चुकी है की अभिभावकों के सर से ऊपर गुजर रही है।आर्थिक मार के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक मार का सामना भी करना पड़ रहा है पब्लिक स्कूल वालों का हाल यह है कि यह बहुत कम समय में बहुत ज्यादा अमीर और कई गुना अपने स्कूल का विस्तार कर लेते हैं लाख टके का सवाल है की है इनकी मनमानी और लूट-खसोट का ही परिणाम है बहुत लंबे समय से यह बात हो रही है की अभिभावकों के साथ ज़्यादती हो रही है।लेकिन सरकार ने पीछे कुछ वर्ष अच्छे फैसले लिए हैं लेकिन यह फैसले जब तक पूरी तरह लागू नहीं किए किये जायेगे तब तक सुधार की बात भी बेमानी ही मानी जाएगी।।
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