New dimension : गुल्लक के अन्नु से मंडला मर्डर्स के विक्रम सिंह तक वैभव राज गुप्ता ने दिखाया अभिनय का नया आयाम

उत्तर प्रदेश के सीतापुर से मुंबई तक का सफर तय करने वाले वैभव राज गुप्ता ने अब खुद को भारतीय ओटीटी इंडस्ट्री के सबसे बहुमुखी अभिनेताओं में स्थापित कर लिया है। शुरू में मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई के लिए मुंबई आए वैभव को थिएटर की दुनिया ने ऐसा आकर्षित किया कि उन्होंने सात साल मंच पर अभिनय साधना में लगा दिए। उन्हीं वर्षों ने उनके अभिनय की नींव को मजबूत किया और उन्हें स्क्रीन पर भावनाओं से भरपूर किरदार निभाने के लिए तैयार किया।
वैभव का ऑन-स्क्रीन सफर लघु फिल्मों से शुरू हुआ, जिनमें White Shirt, Love Not at First Sight जैसी कहानियाँ शामिल थीं, जो उनके भावनात्मक और चरित्र आधारित अभिनय की झलक दिखाती हैं। 2017 में फिल्म नूर में ट्रैफिक सिग्नल बॉय की भूमिका से उन्होंने मुख्यधारा की फिल्मों में प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने Inside Edge, Life Sahi Hai, Strugglers, Mai: A Mother’s Rage, और Good Bad Girl जैसी डिजिटल सीरीज़ में अभिनय किया, जिससे उनकी पहचान बढ़ी।
लेकिन वैभव के करियर का असली मोड़ आया 2019 में, जब उन्हें टीवीएफ की चर्चित वेब सीरीज़ गुल्लक में आनंद ‘अनु’ मिश्रा का किरदार निभाने का मौका मिला। इस किरदार ने उन्हें देशभर के दर्शकों के दिलों में बसा दिया। खासकर महामारी के दौर में जब गुल्लक की लोकप्रियता आसमान छूने लगी, तब वैभव का अभिनय भी उसी ऊंचाई पर पहुंचा। वह बार-बार इस बात का ज़िक्र करते हैं कि गुल्लक सीज़न 2 ने न केवल शो को ऊंचाई दी, बल्कि उन्हें भी एक सशक्त अभिनेता के रूप में स्थापित किया।
अपने अभिनय सफर पर बोलते हुए वैभव ने बताया कि मुंबई ने उन्हें धैर्य सिखाया और अभिनय में उनकी सफलता सिर्फ उनके प्रदर्शन की वजह से नहीं, बल्कि गुल्लक के सेट पर मिले सहयोगात्मक और संवेदनशील माहौल का भी परिणाम है, खासकर नवोदित कलाकारों के लिए जो बहुत सीखते हैं। उन्होंने अपने दादा का भी उल्लेख किया, जिन्होंने उन्हें बचपन से ही विश्व सिनेमा से परिचित कराया और उनके अंदर रचनात्मकता की चिंगारी जगाई।
अब, जुलाई 2025 में वैभव एक बार फिर चर्चा में हैं नेटफ्लिक्स की क्राइम-थ्रिलर सीरीज़ मंडला मर्डर्स में अपने दमदार और बदले हुए अंदाज़ के साथ। 25 जुलाई को रिलीज़ हुई इस सीरीज़ में वह विक्रम सिंह का किरदार निभा रहे हैं—एक निलंबित पुलिस अफसर जो अपने बीते हुए दर्दनाक अतीत से जूझ रहा है। वह वाणी कपूर द्वारा निभाई गई सीबीआई अफसर रिया थॉमस के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश के काल्पनिक कस्बे चरणदासपुर में हो रही रहस्यमयी हत्याओं की गुत्थी सुलझाता है।
इस सीरीज़ में वैभव का प्रदर्शन आलोचकों द्वारा बेहद सराहा गया है। उन्होंने ‘अनु’ की मासूमियत और घरेलूपन को पूरी तरह पीछे छोड़ एक गंभीर, रहस्यमयी और परतदार किरदार में खुद को ढाल लिया है। मंडला मर्डर्स के लिए उन्होंने न केवल भावनात्मक बल्कि शारीरिक रूप से भी खुद को पूरी तरह रूपांतरित किया, और एक बार फिर साबित कर दिया कि वह हर किरदार में खुद को ढालने वाले दुर्लभ कलाकारों में से एक हैं।

मंडला मर्डर्स की सफलता की बधाई देते हुए खास खबर डॉट कॉम के संवाददाता राजेश कुमार भगताणी ने उसने फोन पर बातचीत की। प्रस्तुत है उस बातचीत के मुख्य अंश—
गुल्लक का चौथा सीजन आ चुका है। इसकी सफलता पर कुछ कहेंगे?
गुल्लक का चौथा सीजन रिलीज हो चुका है और इसकी सफलता के लिए हमें बहुत खुशी है। यह शो हर सीजन में बहुत अच्छा लिखा जा रहा है और दर्शकों द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है।
क्या आपने पहले सीजन के लिए ऑडिशन देते समय सोचा था कि यह सीरीज इतनी सफल होगी?
नहीं, मुझे नहीं पता था कि यह सीरीज इतनी लंबी और सफल यात्रा करेगी। लेकिन जब हम शो की शूटिंग कर रहे थे, तब मुझे लगा कि हम कुछ खास बना रहे हैं।
आपने शॉर्ट फिल्म, वेब सीरीज और फिल्मों में काम किया है। तीनों में क्या अंतर है?
मेरे लिए कोई बड़ा अंतर नहीं है। तीनों में मेहनत उतनी ही होती है। बस समय और बजट का फर्क होता है।
यशराज बैनर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
मंडेला में काम करना बहुत मजेदार रहा। यशराज बैनर के साथ काम करना एक अच्छा अनुभव था। वे बहुत प्रोफेशनल और रिस्पेक्टफुल लोग हैं।
क्या आपने अपने किरदार विक्रम सिंह के लिए मानसिक रूप से तैयारी की?
हाँ, मैंने मानसिक और शारीरिक रूप से बहुत तैयारी की। यह मेरे लिए बहुत जरूरी था क्योंकि मुझे एक अलग किरदार निभाना था। मैं बस यही कहूंगा कि अपने पर विश्वास रखें, मेहनत करें और अपनी वैल्यू समझें।
क्या आपने कभी निराशा महसूस की है?
हाँ, कई बार निराशा होती है, लेकिन आपको अपने आप को मोटिवेट करना पड़ता है और आशा की तरफ देखना पड़ता है।
क्या आप भविष्य में डायरेक्शन या फिल्म लेखन में जाना चाहेंगे?
मैं अभी एक्टिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूँ, लेकिन मुझे लिखने का शौक है। मैं कविताएँ लिखता हूँ। अगर मुझे आगे मौका मिला तो राइटर डायरेक्टर का काम करूंगा। लेकिन फिलहाल मेरा पूरा ध्यान अपने अभिनय पर है।
आपका आने वाला कोई प्रोजेक्ट जो दर्शकों में उत्साह जगा सके?
अभी मंडेला प्रोजेक्ट ने दर्शकों में उत्साह जगाया है। आगे कुछ होगा, तो हम आपको बताएंगे।
वैभव राज गुप्ता का यह सफर प्रेरणा देता है कि यदि किसी कलाकार में जुनून, समर्पण और धैर्य हो, तो वह किसी भी माध्यम में अपनी छाप छोड़ सकता है—चाहे वह थिएटर का मंच हो या फिर डिजिटल स्क्रीन की रोशनी।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)
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