Pradhan’s bail granted : फर्जी आरोप में जेल गए अतुल प्रधान की जमानत मंजूर, परिवार ने इसे न्याय की जीत बताया

फर्जी आरोप में जेल गए अतुल प्रधान की जमानत मंजूर
- धौलाना (हापुड़): ग्राम प्रधान अतुल शिशोदिया, जो कि गांव शाहपुर फगोता के निवासी हैं, को हापुड़ न्यायालय से जमानत मिल गई है। यह मामला फर्जी आरोपों के तहत उनके खिलाफ दर्ज किया गया था। माननीय जज साहब ने उनकी जमानत को मंजूरी दे दी, जिससे क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ गई। यह फैसला न्याय की जीत के रूप में देखा जा रहा है, और अतुल के परिजनों ने इसे न्याय की सत्ता और सत्य की विजय के रूप में स्वागत किया है।
अतुल प्रधान पर लगे थे फर्जी आरोप
- अतुल प्रधान पर आरोप था कि उन्होंने कुछ विवादों में शामिल होकर क्षेत्र में तनाव उत्पन्न किया। पुलिस ने बिना पूरे तथ्यों की जांच किए और केवल दबाव में आकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। फर्जी आरोपों के तहत अतुल को जेल भेजा गया था। उनके अधिवक्ता, प्रशांत प्रकाश शर्मा ने बताया कि मामले में आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद थे और पुलिस ने बिना उचित जांच के कार्रवाई की थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस मामले में पुलिस ने केवल राजनीतिक दबाव के कारण अतुल को झूठे आरोपों में फंसा दिया था।
माननीय न्यायालय ने किया जमानत का आदेश
- आज, अतुल की जमानत को लेकर हापुड़ न्यायालय में जिरह हुई, जिसमें न्यायालय ने इन आरोपों को उचित मानते हुए उनके पक्ष में फैसला सुनाया। न्यायालय ने फर्जी आरोपों को सिरे से नकारते हुए और पुलिस द्वारा की गई जल्दबाजी को खारिज करते हुए अतुल प्रधान की जमानत मंजूर कर ली। इस फैसले ने क्षेत्र में एक नए तरह की उम्मीद और विश्वास को जन्म दिया है, क्योंकि लोग अब महसूस करते हैं कि अगर कोई दोषी नहीं है तो उसे न्याय जरूर मिलेगा।
विरोधी पक्ष की ओर से की गई जमानत खारिज की कोशिश
- विरोधी पक्ष की ओर से जमानत खारिज करने के लिए कई अधिवक्ताओं ने कड़ी दलीलें दीं। उनका तर्क था कि अतुल प्रधान पर गंभीर आरोप हैं और उनकी जमानत से क्षेत्र में कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। हालांकि, माननीय जज साहब ने इन तर्कों को खारिज करते हुए जमानत मंजूरी का आदेश दिया। इस फैसले के बाद से विरोधी पक्ष के वकीलों को भी अपने दलीलों पर पुनर्विचार करना पड़ा।
परिजनों और ग्रामीणों ने इसे न्याय की जीत बताया
- इस फैसले के बाद, अतुल प्रधान के परिजनों और ग्रामीणों ने इसे सत्य की जीत और न्याय का प्रतीक बताया। परिजनों ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि यह फैसला उनके लिए राहत की तरह था, और वे हमेशा न्याय में विश्वास रखते थे। ग्रामीणों ने कहा कि अतुल प्रधान एक सम्मानित व्यक्ति हैं और उनका नाम बिना किसी ठोस कारण के बदनाम किया गया था। अब जब उन्हें न्याय मिला है, तो क्षेत्र के लोग भी राहत महसूस कर रहे हैं।
- इसके अलावा, उन्होंने इस निर्णय को न्यायपालिका की निष्पक्षता का प्रतीक बताया। लोगों का कहना था कि यदि कोई निर्दोष है, तो उसे जरूर न्याय मिलेगा, और न्याय का यह कदम समाज में विश्वास को और मजबूत करेगा।
निष्कर्ष
- इस पूरे मामले में, जहां एक ओर अतुल प्रधान को न्याय मिलने से क्षेत्र में खुशी का माहौल है, वहीं दूसरी ओर यह घटना पुलिस कार्यप्रणाली और न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करती है। अगर जांच में लापरवाही न होती और मामलों को जल्दबाजी में नहीं उठाया जाता, तो शायद यह समस्या कभी उत्पन्न नहीं होती।
- अतुल प्रधान के मामले ने एक बार फिर से साबित किया है कि न्यायपालिका और निष्पक्ष न्याय प्रणाली में विश्वास रखना बहुत महत्वपूर्ण है। अब जब उन्हें जमानत मिल चुकी है, तो यह उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले समय में ऐसे फर्जी आरोपों के मामलों में उचित जांच और कार्रवाई की जाएगी।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)