Questions arising : शामली जनपद में बढ़ते चोरी के मामलों से दहशत में किसान और आम नागरिक कानून व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

शामली जनपद में इन दिनों चोरी की बढ़ती वारदातों ने आम जनता, विशेषकर किसानों और स्थानीय निवासियों की नींद उड़ा दी है। एक के बाद एक हो रही घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि जिले में अपराधी बेखौफ हो चुके हैं और पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं। सबसे ताजा मामला सदर कोतवाली क्षेत्र से सामने आया है, जहाँ देर रात अज्ञात चोरों ने एक साथ 12 किसानों के ट्यूबवेल पर धावा बोलते हुए कीमती मोटर, केबल और अन्य उपकरण चुरा लिए। ये घटनाएं न केवल किसानों के लिए आर्थिक संकट लेकर आई हैं, बल्कि प्रशासनिक ढांचे की असफलता को भी उजागर कर रही हैं। चोरों द्वारा की गई इस सुनियोजित चोरी में लाखों रुपए के सामान का नुकसान हुआ है, जिससे पीड़ित किसान बेहद आहत हैं। इनमें से कई किसान ऐसे हैं जिनकी जीविका पूरी तरह इन्हीं संसाधनों पर निर्भर थी, और अब वे पूरी तरह टूट चुके हैं।
घटना के बाद सभी पीड़ित किसानों ने सदर कोतवाली पहुंचकर थाने में तहरीर दी है। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अज्ञात लोगों के खिलाफ सामूहिक मुकदमा दर्ज कर लिया है, लेकिन अब तक चोरों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। इस तरह की वारदातें केवल एक क्षेत्र तक सीमित नहीं हैं। इसी दौरान थाना भवन क्षेत्र में भी बीते 5 दिनों के भीतर दो अलग-अलग स्थानों से मोटरसाइकिल चोरी की घटनाएं प्रकाश में आई हैं। लगातार हो रही इन वारदातों ने पुलिस की कार्यशैली और अपराध नियंत्रण तंत्र की पोल खोलकर रख दी है।
पीड़ितों का कहना है कि पुलिस हर बार आश्वासन देकर वापस भेज देती है, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। बाइक चोरी जैसे मामलों में तो सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय जानकारी की मदद से त्वरित कार्रवाई संभव है, लेकिन पुलिस अब तक अपराधियों को पकड़ने में असफल रही है। इससे यह संदेश जा रहा है कि जिले में अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया है कि वे दिन-रात कहीं भी वारदात को अंजाम देकर आसानी से फरार हो जा रहे हैं। न तो उन्हें पुलिस का कोई डर है, और न ही कानून का कोई भय। लगातार हो रही चोरियों से पीड़ितों को न केवल आर्थिक नुकसान हो रहा है, बल्कि मानसिक रूप से भी वे बेहद परेशान हैं। कुछ किसानों ने तो यहां तक कहा है कि अगर जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
इन घटनाओं ने आम नागरिकों के बीच असुरक्षा की भावना को जन्म दे दिया है। हर कोई अपने घर, दुकान, वाहन या खेत की सुरक्षा को लेकर चिंतित है। ट्यूबवेल से मोटर और केबल की चोरी की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि चोर अब खेतों और दूरदराज के इलाकों को भी नहीं छोड़ रहे, जहाँ अक्सर निगरानी नहीं होती। यह पुलिस के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि अपराध अब पारंपरिक शहरी इलाकों से आगे बढ़ चुका है और ग्रामीण क्षेत्रों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इसके अतिरिक्त, दोपहिया वाहनों की चोरी की घटनाएं आम जनता के लिए चिंता का विषय हैं, क्योंकि यह आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी से जुड़ा सीधा मुद्दा है।
पुलिस प्रशासन का कहना है कि वे मामले की जांच कर रहे हैं और जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लेकिन यह आश्वासन अब लोगों को संतुष्ट नहीं कर पा रहा है। हर वारदात के बाद ‘कानूनी कार्रवाई जारी है’ जैसे बयान अब औपचारिकता मात्र प्रतीत होते हैं। आम नागरिक यह जानना चाहता है कि आखिर कब तक चोरों को खुली छूट मिलती रहेगी? कब तक पुलिस केवल रिपोर्ट दर्ज करके अपने कर्तव्य की इतिश्री करती रहेगी? और कब तक पीड़ितों को केवल कार्रवाई के नाम पर आश्वासन ही मिलता रहेगा?

चोरी की घटनाएं चाहे शहर में हों या गाँव में, वे न केवल व्यक्तिगत हानि होती हैं, बल्कि समाज में डर और अविश्वास का माहौल भी पैदा करती हैं। जब लोग पुलिस पर भरोसा करना छोड़ देते हैं, तो समाज में अराजकता की स्थिति बनती है, जो किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक है। प्रशासन को यह समझना होगा कि अपराधियों पर सख्ती और समय पर कार्रवाई ही समाज में सुरक्षा का भरोसा बनाए रख सकती है। इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस रात्रि गश्त बढ़ाए, संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँ, और खुफिया तंत्र को सक्रिय किया जाए।
शामली जैसे जनपदों में जहाँ बड़ी संख्या में किसान रहते हैं, वहाँ ट्यूबवेल जैसे संसाधन उनके जीवन का मूल आधार होते हैं। इनसे सिंचाई होती है, फसलें उगाई जाती हैं और पूरे परिवार की आजीविका चलती है। जब इस तरह की मूलभूत सुविधाओं को ही चोर निशाना बनाने लगें, तो समझा जा सकता है कि आम किसान की स्थिति कितनी दयनीय हो जाती है। ऊपर से यदि प्रशासन निष्क्रिय बना रहे, तो यह पीड़ा और भी गंभीर हो जाती है।
इन हालातों में आवश्यकता है कि प्रशासन न केवल सजग हो, बल्कि सक्रिय भी हो। अपराधियों को शीघ्र गिरफ्तार कर सख्त सजा दिलवाने की दिशा में कदम उठाए जाएं, ताकि समाज में एक स्पष्ट संदेश जाए कि कानून का डर अब भी कायम है। साथ ही, पुलिस को चाहिए कि वह जनसहयोग को बढ़ावा दे। ग्रामीण क्षेत्रों में चौकीदार व्यवस्था को सुदृढ़ किया जाए, और स्थानीय युवाओं को जागरूक कर ‘कम्युनिटी पुलिसिंग’ जैसे मॉडल को अपनाया जाए, जिससे लोग पुलिस के सहयोगी बनें और अपराध नियंत्रण में मदद करें।
अंततः, चोरी की इन बढ़ती घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि शामली जनपद में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंता का विषय बन चुकी है। अगर समय रहते ठोस और निर्णायक कार्रवाई नहीं की गई, तो जनता का पुलिस व प्रशासन से विश्वास उठ सकता है, और यह स्थिति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। आम जनता, किसान वर्ग और सभी सामाजिक संगठनों को अब एकजुट होकर आवाज़ उठानी होगी, ताकि उनके मुद्दों को गंभीरता से लिया जाए और दोषियों के खिलाफ समयबद्ध कार्रवाई हो।
News Editor- (Jyoti Parjapati)
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