Records set : iPhone उत्पादन में भारत का कमाल: चीन को पीछे छोड़ रिकॉर्ड कायम

- अपने 300 इंजीनियर ले गया तब भी चीन हमारा कुछ नहीं बिगाड़ पाया, भारत ने iPhone प्रोडक्शन का बना दिया रिकॉर्ड
- भारत में साल 2017 से एप्पल (Apple) के iPhone की असेंबली हो रही है। तब से अब 2025 आ गया भारत iPhone उत्पादन और निर्यात में बहुत तेजी से बढ़ा है।
- अमेरिका भारत से एक्सपोर्ट किए गए iPhone का सबसे बड़ा मार्केट बना.
- भारत में iPhone 17 सीरीज का ट्रायल प्रोडक्शन शुरू हुआ.
- भारत से iPhone निर्यात में हुआ रिकॉर्ड उछाल, Apple ने जून तिमाही में 5 अरब डॉलर को किया पार
- भारत से स्मार्टफोन निर्यात के मोर्चे पर बड़ी सफलता सामने आई है।
- Apple ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 5 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के iPhone का निर्यात किया है।
- यह देश के कुल स्मार्टफोन निर्यात का लगभग 70% है।
- फॉक्सकॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख विनिर्माताओं के उत्पादन बढ़ाने से देश का कुल स्मार्टफोन निर्यात इस तिमाही में 7
- अरब डॉलर को पार कर गया, जो पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही के 5 अरब डॉलर से 40% अधिक है।
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एपल के CEO टिम कुक से कहा है कि भारत में फैक्ट्रियां न लगाए. लेकिन इस धमकी का भारत पर कोई खास असर देखने को नहीं मिला. साल 2025 की पहली छमाही में भारत से iPhone का एक्सपोर्ट 53 प्रतिशत बढ़ा है.
- एपल को ट्रम्प की धमकी के बावजूद अमेरिका में बिकने वाले 78% आईफोन भारत में बन रहे हैं।
- 2025 में जनवरी से जून के बीच भारत में 23.9 मिलियन (2 करोड़ 39 लाख) आईफोन बने, जो पिछले साल की तुलना में 53% ज्यादा है।
- भारत से आईफोन का निर्यात (भारत से विदेश भेजे गए आईफोन) भी बढ़कर 22.88 मिलियन (2 करोड़ 28 लाख) यूनिट तक पहुंच गया है। पिछले साल समान अवधि (जनवरी से जून) में ये भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग का आंकड़ा 15.05 मिलियन (1 करोड़ 50 लाख) था। यानी सालाना आधार पर इसमें 52% की बढ़ोतरी हुई है।
- 2025 की पहली छमाही में भारत से करीब 1.94 लाख करोड़ रुपए के आईफोन निर्यात किए गए। पिछले साल यही आंकड़ा 1.26 लाख करोड़ रुपए था।
Records set : iPhone उत्पादन में भारत का कमाल: चीन को पीछे छोड़ रिकॉर्ड कायम - 2025 के अप्रैल महीने में भारत से अमेरिका को 33 लाख आईफोन्स भेजे गए। वहीं चीन से भेजे मोबाइल की संख्या 9 लाख रही। जिन आईफोन का निर्माण भारत में हुआ, उनमें से 78% अमेरिका में भेजे गए। पिछले साल यह आंकड़ा 53% था।
- सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसी दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र पर ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।
- गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिशिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
- बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।
- एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इम्पोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।
- स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसी फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।
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News Editor- (Jyoti Parjapati)